फरीदाबाद (म.मो.) फरीदाबाद शहर की जनता के आवागमन को सुविधाजनक बनाने एवं लम्बा चक्कर काटने से बचाने के लिये यहां तीन रेलवे अंडरपास हैं। जरा सी बारिश होने पर ये सभी अंडरपास पानी में डूब जाते हैं। कई बार तो दुर्घटनायें हुई और कई बार होते-होते बची। दिमाग से पैदल एवं रिश्वतखोर प्रशासक तथा अनपढ़ इंजीनियर कभी भी इनके जलभराव से निपटने का कोई स्थायी हल नहीं ढूंढ पाये।
यदि अक्ल से पैदल और बेईमान न होते तो प्रत्येक अंडरपास के नीचे एक अच्छा बड़ा रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के साथ-साथ पम्पिंग सेट भी लगा सकते थे जिसे जरूरत पडऩे पर चलाया जा सकता। लेकिन ऐसे कोई काम करना तो ये लोग जानते ही नहीं जिससे शहरवासियों को कोई लाभ हो सके। अब, मीडिया में प्रकाशित समाचारों में बताया जा रहा है कि इसके निकासी के लिये आठ किलो मीटर दूर इसे गुडग़ांव नहर से जोड़ा जायेगा। जल निकासी होगी या नहीं, यह तो समय ही बतायेगा लेकिन इस योजना के द्वारा सैंकड़ों करोड़ की चपत जरूर कर दाता को लग जायेगी।
ग्रीन फील्ड कॉलोनी को जोडऩे वाला सबसे पुराना अंडरपास, तो हमेशा ही उस क्षेत्र की जनता के लिये भारी मुसीबत बना रहा है। सबसे अधिक दुर्घटनायें भी इसी अंडरपास पर हुई है। इसकी जल निकासी के लिये सवयं मुख्यमंत्री खट्टर ने कई बार यहां के लोगों को आश्वस्त भी किया था लेकिन हालात हमेशा जस के तस ही रहे। दरअसल जल निकासी हेतु पम्पिंग सेट तो सभी अंडरपासों पर लगे हैं लेकिन कुप्रबन्धन के चलते ये हमेशा बेकार ही साबित हुए हैं।
ग्रीन फील्ड वाले इस अंडरपास का समाधान तो बहुत ही सरल है जिसे ‘मज़दूर मोर्चा’ कई बार लिख चुका है। इस अंडरपास के बिल्कुल निकट से बुढिया नाला चलता है। अंडरपास को इस नाले से जोड़ दिया जाये तो जल निकासी स्वत: हो सकती है। इसके लिये बमुश्किल 50 मीटर की पाइप लाइन डालनी होगी। लेकिन यह बात तो उसी अधिकारी के दिमाग में आ सकती है जिसे जनता के दुख-दर्द से कोई लेना-देना हो।
समझा जा रहा है कि अब यह काम एफएमडीए अपने हाथ में लेने जा रहा है। समय ही बतायेगा कि इन के इंजीनियर एमसीएफ तथा ‘हूडा’ के इंजीनियरों से कितने बढिया पढ़े-लिखे तथा ईमानदार हैं।