न्याय मांगने पर जुर्माना

न्याय मांगने पर जुर्माना
July 27 00:11 2022

बस्तर के आदिवासियों के बीच दो दशक रहकर उनकी लड़ाई और हक के लिए अपना खून पसीना बहाने वाले हिमांशु कुमार पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया है।
यह राशि उन्हें 4 हफ्तों में देना होगा,अगर जुर्माना नहीँ दे पाए तो उन्हें जेल जाना होगा। छत्तीसगढ़ सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि धारा 211 के तहत उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करें। हिमांशु कुमार एक असाधारण योद्धा हैं। वे युवा रहते हुए ही आदिवासियों की भलाई के लिए बस्तर आये और परिवार के साथ बस्तर के दंतेवाड़ा में ही रहना शुरू किए. वनवासी चेतना आश्रम बनाकर आदिवासियों के बीच काम करने लगे।

छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार जब माओवादियों के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों को मारने लगे तो उन्होंने विद्रोह किया। उनके आश्रम को रमन सिंह सरकार ने उजाड़ दिया. इसी दौरान कल्लूरी नामक एक दुर्दांत पुलिस अधिकारी ने बस्तर में खूब मारकाट मचाया और सैकड़ों आदिवासियों को नक्सली कहकर मरवा दिया। 2009 में सुकमा ज़िले के गोमपाड़ में 16 आदिवासियों के फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने और एक मासूम बच्चे का हाथ काटने के मामले में हिमांशु कुमार ने सुरक्षा बलों पर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

13 साल बाद न्याय तो नहीं मिला लेकिन हिमांशु कुमार को आदिवासियों के लिए न्याय मांगने पर सजा जरूर मिल गई है। पिछले दिनों ब्रेन हेमरेज झेलने वाले हिमांशु कुमार चेहरे पर मुस्कान रख तानाशाही से लड़ते हैं। मैं व्यक्तिगत तौर पर उन्हें 2007 से जानता हूँ जब वे एक वेबसाइट में बस्तर के अलग-अलग हिस्सों में सुरक्षा बलों के जुल्म की कहानी लिखते थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट में वे कई मामले लेकर गए और उन्हें तब न्याय भी मिला।

हिमांशु कुमार अभी कहते हैं उनके जेब में 5 लाख तो क्या 5 हजार भी नहीं है। हर एक सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता की जेब की यही कहानी है। उनके पास क्या होगा मैं बता सकता हूँ। उनके झोले में बस्तर के आदिवासियों की चि_ी होगी। देश के किसी हिस्से में इस तानाशाही सरकार के खिलाफ लडऩे, एक होने का पम्पलेट होगा। कल संजीव भट्ट को गुजरात दंगा मामले में जेल से ही गिरफ्तार किया गया है और आज 13 साल बाद आदिवासियों के लिए न्याय मांगने पर हिमांशु कुमार को जेल भेजने की पूरी तैयारी है।

हम हमारे लिए इस तानाशाही दौर में लडऩे और लडऩे की हिम्मत देने वाले साथियों को खोते जा रहे हैं। उन्हें जेल में ठूंसा जा रहा है. प्रताडऩा दी जा रही है। आप अगर इस तानाशाही सरकार और बिक चुके न्यायपालिका के खिलाफ हिमांशु कुमार के साथ खड़े नहीं होते हैं तो समझिए आप मुर्दा हैं। कोर्ट के इस निर्णय के बाद हिमांशु जी ने अपना बयान जारी किया है:

चंपारण में गांधी जी से जज ने कहा तुम्हें सौ रुपयी के जुर्माने पर छोड़ा जाता है।
गांधीजी ने कहा मैं जुर्माना नहीं दूंगा।
कोर्ट ने मुझसे कहा पांच लाख जुर्माना दो, तुम्हारा जुर्म यह है तुमने आदिवासियों के लिए इंसाफ मांगा।
मेरा जवाब है मैं जुर्माना नहीं दूंगा।
जुर्माना देने का अर्थ होगा मैं अपनी गलती कबूल कर रहा हूं।
मैं दिल की गहराई से मानता हूं कि इंसाफ के लिए आवाज उठाना कोई जुर्म नहीं है।
यह जुर्म हम बार-बार करेंगे।

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Mazdoor Morcha
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