जिस अरावली को हवाओं ने घिसते घिसते 350 लाख साल में इतना घिसा है उस अरावली को भारत और राज्य सरकारों ने खनन माफियाओं के साथ मिलकर सिर्फ 35 सालों में कई गुना अधिक खोद डाला है..

जिस अरावली को हवाओं ने घिसते घिसते 350 लाख साल में इतना घिसा है उस अरावली को भारत और राज्य सरकारों ने खनन माफियाओं के साथ मिलकर सिर्फ 35 सालों में कई गुना अधिक खोद डाला है..
August 22 11:52 2020

जिस अरावली को हवा न घिस सकी उसे, सरकार ने घिस डाला…

विवेक कुमार की ग्राउंड रिपोर्ट

हिमालय के कारण भारत की दुनिया में एक अलग पहचान है। इसे संयोग कहिये या खुशकिस्मती कि दुनिया का सबसे नया पर्वत हिमालय, भारत में है तो साथ ही विश्व के सबसे पुराने ब्लाक पर्वतों की श्रंखला भी भारत में ही है जिसे हम अरावली रेंज के नाम से जानते हैं। दिल्ली से लेकर हरियाणा राजस्थान और गुजरात तक फैले अरावली में न जाने कितने गाँव और सभ्यताएं बसी हैं। फरीदाबाद शहर में अरावली का बहुत बड़ा हिस्सा बचा हुआ है पर पिछले कई वर्षों से इन पहाड़ों को खोद कर लूट का धंधा चालू है तो वहीँ अब पहाड़ों में जमीन कब्जाने का धंधा भी जोरों पर है।

अनखीर पुलिस चौकी से सूरजकुंड को जाने वाली सडक़ पर कुकुरमुत्ते की तरह बैंक्वेट हॉल की एक लम्बी कतार बनी हुई है। डिलाइट बैंक्वेट से बाएं एक अवैध रास्ता अनखीर गाँव की देहश्यामलात में जाता है और सीधे 200 मीटर अन्दर जाने पर शादी करने के पंडालों के बाद एक क्रिकेट ग्राउंड बना हुआ है और उसके साथ ही बना है राधा-स्वामी सत्संग व्यास का विशाल सेंटर।

10 एकड़ में बने इस राधास्वामी सत्संग की जमीन का इस्तेमाल पूर्ण रूप से अवैध है और ये सब प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। कोविड महामारी में इस सत्संग व्यास को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था जिसमे संक्रमितों को देख-रेख के लिये रखा जा रहा था। मौके पर जा कर जब मजदूर मोर्चा टीम ने यह पता किया कि इस वक्त कितने मरीज वहाँ रखे गए हैं तो मौजूद केयरटेकर ने बताया कि फिलहाल तो कोई भी नहीं है।

जिस राधास्वामी सत्संग व्यास को अवैध रूप से बना कर पहले उसपर कब्जा करवाया गया उसी को कोविद केयर सेंटर के रूप में स्थापित करवाकर जनता की सहानुभूति और समर्थन दिलवाने का काम सरकार प्रशासन के साथ मिल कर कर रही है। जब कोरोना के मामले कम थे तब उसका प्रचार-प्रसार बढ़ा-चढ़ा कर किया गया और अब, जब मामले बड़ कर लाखों में आ गए हैं तब इस अवैध सत्संग सेंटरों को बंद कर दिया गया क्योंकि जो सहानुभूति मिलनी थी वो तो मिल चुकी और अब क्यों न कुछ और एकड़ जमीन कब्जाई जाए।

राधा स्वामी सत्संग के एन पीछे ही परमहंस आश्रम बना हुआ है। इस आश्रम की मीयाद राधा स्वामी से भी अधिक पुरानी है। भीतर से खूबसूरत बने इस आश्रम की सफाई करने के बाद अन्दर का सारा कचरा ठीक आश्रम गेट के सामने पहाड़ में फेंक कर हाथ झाड लिए जाते हैं और आने वाले भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग और योग, संत सत्संग जैसी बातें बताई जाती हैं। जाहिर है इसपर भी नेता से लेकर प्रशासन की पूरी-पूरी कृपा बनी हुई है।

जहाँ तक बात न्यापालिका की है वह अब मात्र मूकदर्शक के रोल में दिखाई दे रही है। हाँ कभी-कभी अपनी अवमानना होने पर उसे गुस्सा आ जाता है, पर अपने ही दिए आदेशों की सरेआम अवमानना होने पर न्यायपालिका को फिलहाल कोई रोष नहीं।

इतना ही नहीं न्यापालिका के आदेशों को लागू करने की जिम्मेदारी जिस कार्यपालिका पर है उससे किसी तरह का जवाब मांगने की हिमाकत भी अब न्यायपालिका नहीं करती। ऊपर से सरकार ने पंजाब हरियाणा वन्य अधिनियम बना कर अरावली को खनन माफियाओं के हवाले करने में कोई कसर नहीं उठा रखी है।

खैर जिस अरावली को हवाओं ने घिसते घिसते 350 लाख साल में इतना घिसा है उस अरावली को भारत और राज्य सरकारों ने खनन माफियाओं के साथ मिलकर सिर्फ 35 सालों में कई गुना अधिक खोद डाला है और जो बचा है उसपर गैरकानूनी तरीके से अतिक्रमण करके सत्संगी पाप और पुण्य का पाठ पढऩे का ढोंग कर रहे हैं।

 

 

 

 

 

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Mazdoor Morcha
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