नीलम पुल की आग की कोई जांच नहीं, किसी की जवाबदेही नही एमसीएफ के अधिकारी ने कहा- हम कहां-कहां चौकीदार बैठाएं

नीलम पुल की आग की कोई जांच नहीं, किसी की जवाबदेही नही  एमसीएफ के अधिकारी ने कहा- हम कहां-कहां चौकीदार बैठाएं
November 08 17:03 2020

 

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: नीलम पुल की आग तो बहुत पहले बुझ चुकी है लेकिन उसकी गरमाहट से फरीदाबाद की जनता के अभी भी पसीने छूट रहे हैं। एनआईटी इलाके में नीलम पुल के नीचे कबाड़ में आग 22 अक्टूबर को लगी थी। एक हफ्ते हो चुके हैं लेकिन अभी तक इस आग लगने के जिम्मेदार नगर निगम के अफसरों-कर्मचारियों पर न तो कार्रवाई हुई और न ही किसी तरह की जांच का आदेश हुआ। नगर निगम को अब सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट का इंतजार है, उसके बाद ही इस पुल को फिर से खोलने या उसके एक हिस्से पर ट्रैफिक आपरेशन चलाने पर विचार होगा। नगर निगम अपनी जिम्मेदारी पर इस पुल पर ट्रैफिक नहीं शुरू कराना चाहता है।

जवाबदेही कौन तय करेगा

फरीदाबाद नगर निगम की ओर से नीलम पुल के नीचे आग लगने के मामले में कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है। इस संबंध में मजदूर मोर्चा ने एमसीएफ के सुपरिटेंडेंट ओ.पी. कर्दम से बात की। उनका कहना था कि वहां पड़े कबाड़ में आग लगी थी, एमसीएफ ने पुलिस में एफआईआर करा दी। इसमें नगर निगम के किसी अफसर या कर्मचारी की जिम्मेदारी नहीं बनती है। यह पूछे जाने पर कि नगर निगम के संबंधित अधिकारी या कर्मचारी ने पुल के नीचे किसी कबाड़ी को कबाड़ कैसे जमा करने दिया, उनका कहना था कि नगर निगम हर जगह चौकीदार नहीं बैठा सकता। हर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से एक बिल्डिंग इस्पेक्टर होता है। वह नजर रखता है। अकेला बिल्डिंग इंस्पेक्टर कहां-कहां नजर रख सकता है।

कर्दम ने बताया कि हमने नीलम पुल की रिपेयर और इसे फिर से शुरू करने को लेकर विशेषज्ञों की राय मांगी है। इसमें केंद्रीय सडक़ अनुसंधान संस्थान (सीआरआईआई) के अलावा प्राइवेट एक्सपर्ट भी शामिल हैं। एमसीएफ भी चाहता है कि नीलम पुल जल्द से जल्द शुरू हो लेकिन रिस्क नहीं लिया जा सकता है। इसलिए रिपोर्ट का इंतजार है। अगर विशेषज्ञ कहेंगे कि पुल का एक तरह का हिस्सा ट्रैफिक के लिए खोला जा सकता है तो हम फौरन खोल देंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या रिपोर्ट किसी निर्धारित समय सीमा में आयेगी, ओ.पी. कर्दम ने बताया कि विशेषज्ञ अपने समय के हिसाब से रिपोर्ट देंगे, हम उन्हें बाध्य नहीं कर सकते।

बहरहाल, जगदीश कबाड़ी को किस नगर निगम अफसर या कर्मचारी ने वहां कबाड़ जमा करने की छूट दी, एक गहन जांच से यह बात सामने आ सकती है। एमसीएफ की ओर से जगदीश कबाड़ी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। जिस जगह कबाड़ में आग लगी, वहां इस कबाड़ी का गोदाम भी बताया जाता है। नगर निगम के अधिकारी इस पर चुप हैं। उसी जगह पर नगर निगम अपना कूड़ा भी डालता था, इस पर भी चुप्पी है। इस तरह एक बड़ी घटना पर रहस्यमय पर्दा पड़ा हुआ है।

परीक्षा की पहले से तैयारी नहीं

फरीदाबाद शहर को मथुरा रोड ने दो हिस्सों में बांट रखा है। उसके एक तरफ एनआईटी है तो दूसरी तरह सेक्टर्स हैं। दोनों हिस्सों को आपस में जोडऩे के लिए नीलम पुल के अलावा बाटा चौक पुल, ओल्ड फरीदाबाद अंडरपास और बडख़ल फ्लाईओवर हैं। हालांकि बडखल फ्लाईओवर का इस्तेमाल करने की स्थिति में एनआईटी आने के लिए काफी घूम कर आना पड़ता है। आग लगने के बाद पुलिस ने न सिर्फ नीलम पुल बंद कर दिया, बल्कि उसके ऊपर से गुजरने वाले पैदल और साइकल सवारों का रास्ता भी रोक दिया है। इससे सारा जोर बाटा फ्लाईओवर, ओल्ड फरीदाबाद अंडरपास और बडखल फ्लाईओवर पर पड़ रहा है। इससे सारे शहर का ट्रैफिक अस्तव्यस्त है। लोग कई किलोमीटर का चक्कर काटकर एनआईटी में अपने दफ्तरों और घरों को पहुंच रहे हैं। बाहर से आने वाले अनजान लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। जब वे अजरौंदा मोड़ पर पहुंचते हैं तब उन्हें पता चलता है कि आगे बाटा फ्लाईओवर से जाना पड़ेगा। बाटा फ्लाईओवर पहुंचने पर जाम मिलता है।

इसी तरह ओल्ड फरीदाबाद चौराहे से रेलवे रोड पर बने अंडरपास के आगे और पीछे रेलवे स्टेशन के सामने रेहडिय़ों की वजह से जाम की स्थिति हर वक्त बनी रहती है।

शहर में किसी पुल के नीचे आग लगने की यह पहली घटना है। आमतौर पर शहर का नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन के आला अधिकारी ऐसी किसी आपदा की स्थिति में तैयारी का रोडमैप पहले से तैयार रखते हैं कि असामान्य परिस्थितियों में क्या करना है। लेकिन जब 22 अक्टूबर को पुल के नीचे आग लगी तो अफसरों और ट्रैफिक पुलिस के हाथ-पांव फूल गए।

अगर भविष्य में किसी भी पुल का कोई हिस्सा गिर जाए तब एमसीएफ और प्रशासन के आला अफसर क्या करेंगे, उस बारे में किसी भी तरह की योजना इनके पास नहीं है। उस दिन आग लगने पर फायर ब्रिगेड ने सबसे ज्यादा चुस्ती दिखाई। फायर ब्रिगेड के एडीएफओ आर. एस. दहिया और एनआईटी के फायर अफसर रमेश कुमार ने मौके पर फायर ब्रिगेड की सारी गाडिय़ां बुला लीं और आग पर काबू पाया।

क्या जिला प्रशासन और एमसीएफ भविष्य में मीडिया को इस बारे में बताएगा कि किसी असामान्य स्थिति में वह मथुरा रोड के दोनों तरफ बसे शहर को किस तरह जोड़ेगा और ट्रैफिक में बाधा नहीं आएगी।

रेहड़ी पटरी वालों का दर्द

नीलम पुल के नीचे आग लगने के बाद सबसे ज्यादा आफत किसी पर आई है तो वह बाटा चौक फ्लाईओवर के नीचे रेहड़ी पटरी लगाने वाले छोटे-छोटे दुकानदार हैं। एमसीएफ के अधिकारी और कर्मचारी रोजाना यहां जाकर इनसे कह रहे हैं कि यहां से उन्हें हटना होगा। उन्हें हटाने की कार्रवाई नीलम पुल के नीचे लगी आग की आड़ में की जा रही है। हालांकि नीलम पुल की तरह बाटा फ्लाईओवर के नीचे किसी तरह की गन्दगी या कबाड़ा जमा नहीं है। रेहड़ी पटरी विकास संघ ने इस मामले को उठाया और एमसीएफ कमिश्नर को ज्ञापन भी सौंपा।

संघ के अध्यक्ष दीन दयाल गौतम ने एमसीएफ के अफसरों को बताया कि बाटा चौक पर रेहड़ी पटरी दुकानदार पिछले 40 साल से बैठे हुए हैं। फ्लाईओवर बनने के बाद चौटाला सरकार के समय करीब 350 रेहड़ी पटरी दुकानदारों को बाटा फ्लाईओवर के नीचे बैठने को कहा गया। उसके बाद से ये लोग वहीं बैठ रहे हैं। गौतम ने एमसीएफ अफसरों को बताया कि बाटा फ्लाईओवर की सुरक्षा हम लोग खुद कर रहे हैं। वहां बैठे तीन कबाडिय़ों को हमने खुद हटा दिया है। इसी तरह टायर का काम करने वालों को भी फ्लाईओवर के नीचे से हटा दिया है। रेहड़ी पटरी विकास संघ का वादा है कि वो पुल के नीचे कोई भी ज्वलनशील पदार्थ नहीं बिकने देंगे। दीनदयाल गौतम ने एमसीएफ से मांग की है कि जिस तरह नीलम पुल के नीचे नगर निगम ने दुकानें बना कर बेची हैं, ठीक उसी तरह बाटा फ्लाईओवर के नीचे हमें भी दुकानें आवंटित की जाएं। गौतम को एमसीएफ अफसरों ने आश्वासन दिया है कि अगर उनका संगठन जिम्मेदारी ले रहा है तो नगर निगम बाटा फ्लाईओवर के नीचे से छोटे गरीब दुकानदारों को नहीं हटाएगा।

उधर, नीलम पुल के नीचे नाले के साथ बनी झुग्गियों को भी हटाने का आदेश नगर निगम ने दिया। उन झुग्गियों में बेहद गरीब परिवार रहते और किसी तरह शहर में मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे हैं। यहां रहने वाले कुछ लोग तो भीख तक मांगते हैं। ये लोग बहुत ही बुरे हालात में रह रहे हैं। यहां तो लाइट का इंतजाम है और न ही पानी का। नाले की गंदगी तमाम बीमारियों को वैसे भी जन्म दे रही है। लेकिन यहां लगी आग की वजह से यहां से इनका हटना तय है।

 

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