फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक 27.01.2023 को मुख्यमंत्री उडऩ दस्ता, फरीदाबाद को सूचना प्राप्त हुई कि कुम्हारवाडा, बल्लबगढ में सरकारी राशन डिपो द्वारा राशन कार्ड धारकों को वितरित ना करके कालाबाजारी की जा रही है।
प्राप्त सूचना के आधार पर जगदीश निरीक्षक मुख्यमंत्री उडन दस्ता फरीदाबाद द्वारा श्री वीरेन्द्र सिंह खाद्य एंव आपूर्ति निरीक्षक व स्थानीय पुलिस के साथ श्रीमती नेहा के राशन डिपो FPSID-108800400229 को चैक कराया गया। विरेन्द्र सिंह खाद्य निरीक्षक द्वारा इस राशन डिपो का भौतिक निरीक्षण करने व आनलाईन राशन का मिलान करने पर बाजरा 4900 कि.ग्रा., गेंहू 3890 कि.ग्रा. व चीनी 90 कि.ग्रा. मुताबिक रिकार्ड कम पाई गई। जिस बारे राशन डिपो होल्डर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। जिससे प्रथम दृष्टया सरकारी राशन की कालाबाजारी की जानी पाई गई। इस संबंध में श्री विरेन्द्र सिंह खाद्य निरीक्षक की शिकायत पर स्थानीय पुलिस थाना शहर बल्लबगढ़ में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अभियोग अंकित कराया गया है।
मसला बड़ा गंभीर है, जिस राशन डिपो को पकड़ो वही चोर निकलता है। इसके लिये अकेला डिपो होल्डर ही जिम्मेदार नहीं है। पूरा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग जिम्मेदार है। बिना इस विभाग की मिलीभगत के अकेला डिपो होल्डर कोई हेराा-फेरी नहीं कर सकता। प्रत्येक डिपो होल्डर माल उठाने से पहले विभागीय अफसरों से सौदेबाज़ी एवं लेन-देन करता है। और तो और राशन डिपो अलॉट कराने के लिये भी उसे इन्हीं अधिकारियोंं को अच्छी-खासी रिश्वत देनी पड़ती है। सरकार द्वारा राशन वितरण पर डिपो होल्डर को दिया जाने वाला कमीशन इतना कम होता है कि उससे लगाई गई रकम का ब्याज व दुकान का किराया तक भी नहीं निकल पाता।
प्रत्येक डिपो होल्डर इस सारे हिसाब-किताब को समझने के बाद ही इस धंधे में निवेश करता है। अधिकांश डिपो होल्डर यह धंधा इतनी सफाई से करते हैं कि न तो कभी उनकी शिकायत होती है और पकड़े जाने का तो कोई मतलब ही नहीं। इसमें कमाई का असली जरिया वे राशनकार्ड होते हैं जिनका कोई धारक नहीं होता, इनका धारक केवल डिपो होल्डर ही होता है। दूसरा जो राशनकार्ड धारक अपनी राशन किसी वजह से नहीं उठा पाते वो भी डिपो होल्डर की कमाई का साधन बनता है। शिकायत तो केवल उस डिपो होल्डर की होती है जो अधिक लालचवश इन जरियों से भी अधिक कमाने के चक्कर में पड़ता है। उडऩ दस्ता इस तथ्य की पुष्टि बड़ी आसानी से कर सकता है। यदि वह बिना किसी शिकायत के अचानक किसी भी राशन डिपो पर छापा मारे। इसके अलावा यह भी देखने वाली बात है कि चोरी करते पकड़े गये डिपो होल्डरों को आखिर सजा क्या हुई? अधिकांश ले-देकर छूट जाते हैं किसी को कोई सजा होती भी है तो नाममात्र की और वे फिर से उसी धंधे में जुट जाते हैं।