निजी अस्पताल फिर बंद करेंगे आयुष्मान मरीजों का इलाज योजना का भुगतान नहीं कर रहीं मोदी-सैनी की डबल इंजन सरकारें

निजी अस्पताल फिर बंद करेंगे आयुष्मान मरीजों का इलाज योजना का भुगतान नहीं कर रहीं मोदी-सैनी की डबल इंजन सरकारें
June 30 07:29 2024

मोदी का आयुष्मान व खट्टर का चिरायु गुब्बारा फूटा
ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) जनता को मूर्ख बना कर वोट वसूलने की नीति के तहत फुलाए गए आयुष्मान व चिरायु के गुब्बारे अब फूट चुके हैं। 2018 मेंं पचास करोड़ लोगों को मुफ्त चिकित्सा सेवा देने का डंका पीटने वाली मोदी सरकार आज तक केवल तीस करोड़ ही कार्ड बना सकी है और बमुश्किल कुछ लाख लोगों को ही सुविधा मिल सकी है। उसके बाद खट्टर भला कौन से पीछे रहने वाले थे उन्होंने आयुष्मान के साथ चिरायु जोड़ दिया। आयुष्मान कार्ड जहां पूरी तरह से मुफ्त था वहां खट्टर ने चिरायु के नाम पर अच्छी खासी वसूली कर ली इसके बावजूद भुगतान न होने के कारण निजी अस्पतालों ने एक जुलाई से आयुष्मान व चिरायु के लाभार्थियों को इलाज देने से मना कर दिया है।

यह पहली बार नहीं है मार्च 2024 में भी बकाया भुगतान तीन सौ करोड़ पहुुंच जाने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने योजना लागू करने से हाथ खड़े कर दिए थे, तब भी आईएमए ने सरकार पर सीमित खर्च में ही इलाज करने का दबाव बनाने और भुगतान में बिना कारण बताए 15 से 25 प्रतिशत तक कटौती करने का आरोप लगाया था।

आईएमए पदाधिकारियों के अनुसार फरीदाबाद के 26 निजी अस्पतालों समेत प्रदेश में कुल दो सौ निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के पैनल पर हैं और योजना के लाभार्थियों को इलाज दे रहे हैं। 16 मार्च को सरकार ने भुगतान का आश्वासन दिया था लेकिन वह भी पूर्ण रूप से नहीं किया गया। बीते करीब ढाई महीने से इन अस्पतालों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। सरकार पर इन अस्पतालों का करीब दो सौ करोड़ रुपये बकाया है। आईएमए के अनुसार भुगतान नहीं होने से अस्पतालों के पास संचालन, चिकित्सा उपकरण, दवाएं आदि खरीदने के लिए पूंजी की काफी कमी हो गई है। ऐसे में आयुष्मान के नए मरीजों का आधुनिक तकनीकि जिसकी गुणवत्ता बेहतर लेकिन खर्च ज्यादा होता है, से इलाज करना असंभव हो रहा है। सरकार को बकाया भुगतान के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है, अन्यथा डॉक्टर्स डे यानी एक जुलाई से निजी अस्पतालों में ये योजना बंद कर दी जाएगी।
भुगतान में देरी के साथ ही आईएमए ने अभी भी बिना कारण 15 से 25 प्रतिशत कटौती किए जाने की समस्या का समाधान न होने पर भी चिंता जताई है। आईएमए ने मांग की है कि आयुष्मान भुगतान सॉफ्टवेयर में बदलाव किए जाने चाहिए जिससे भुगतान में कटौती के कारण भी पता चल सकें। एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाना चाहिए ताकि भुगतान में कटौती होने की शिकायत दर्ज कराई जा सके।

दूसरी मांग है कि 2018 से अब तक महंंगाई दर औसत चार से आठ फीसदी रही है लेकिन आयुष्मान के इलाज का खर्च और दरें 2018 वाली ही रखी गई हैं इनमें संशोधन नहीं हुआ है। पांच साल में हर इलाज का पैकेज कम से कम तीस से पचास प्रतिशत तक बढ़ चुका है लेकिन सरकार पुरानी दर ही दे रही है। हालांकि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 2.2 के पैकेज में इलाज की नई दरें घोषित की गई हैं लेकिन सरकारें इसे लागू नहीं कर रही हैं, इससे निजी अस्पतालों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। पीएमजेएवाई 2.2 लागू किया जाए।
यह भी मांग है कि जब सरकार चिरायु योजना के लाभार्थियों से 1500 से छह हजार रुपये तक प्रीमियम वसूल रही है तो इस कैटेगरी के मरीजों के पैकेज में भी बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए। योजना के तहत लंबे इलाज के लिए भर्ती मरीज को भर्ती रखने के लिए हर दूसरे दिन ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है, इस व्यवस्था में कम से कम पांच दिन का समय दिया जाना चाहिए।

वाहवाही लूटने के लिए मोदी ने आयुष्मान योजना तो खट्टर-सैनी सरकार ने चिरायु योजना का ढिंढोरा पीट तो दिया लेकिन भुगतान करने में हालत खराब हो रही है। यह खुला सच है कि निजी अस्पताल व्यापार और मुनाफा कमाने के उद्देश्य से चलाए जाते हैं न कि जन कल्याण के उद्देश्य से। सरकार की स्कीम होने के कारण मजबूरी में अस्पतालों ने इसे लागू तो कर दिया, योजना में हर इलाज का रेट पहले से ही निर्धारित होने के कारण निजी अस्पतालों की कमाई पहले ही गिनी चुनी हो गई उस पर भी समय पर भुगतान न होने और जब किया जाए तो उसमें भी 25 प्रतिशत तक कटौती कर देने से निजी अस्पतालों के लिए ये योजना घाटे का सौदा साबित हो रही है। योजना में बड़े पैमाने पर धांधली का खुलासा होने पर सरकार की फजीहत भी हो चुकी है। ऐसे में लगता है कि मोदी सरकार भी अब इस योजना को चलाने में ज्यादा गंभीर नहीं है, क्योंकि इसके प्रचार प्रसार से उसे जो लाभ मिलना था वो मिल चुका।
प्रदेश सरकार ने भी सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए जोर शोर से चिरायु योजना का ढिंढोरा पीटा था लेकिन भुगतान देख कर गंभीरता समझ में आई तो तुरंत ही लाभार्थियों को आर्थिक आधार पर 1.80 से 3 लाख रुपये आय वर्ग पर 1500, तीन लाख से छह लाख आय वर्ग वालों पर 5000 रुपये और छह लाख से दस लाख रुपये आय वर्ग परिवारों से 6000 रुपये प्रीमियम निर्धारित कर दिया। इतना प्रीमियम चुकाने के बाद भी इलाज इन परिवारों को भी पांच लाख रुपये तक ही मिलना है यानी उनमें और मुफ्त इलाज पाने वालों में कोई फर्क नहीं है।

स्वास्थ्य मामलों के जानकारों के अनुसार सरकार प्रीमियम वसूल कर कमाई तो कर रही है लेकिन अनौपचारिक रूप से निजी अस्पताल वालों को संदेश दिया गया है कि किसी भी मरीज का बीस से पच्चीस हजार रुपये तक ही बिल बनाना अन्यथा बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा। आईएमए के प्रधान डॉ. अजय महाजन के अनुसार चिरायु योजना के तहत मरीज के डिस्चार्ज होने के पंद्रह दिन के भीतर सरकार द्वारा अस्पताल को भुगतान करना होता है लेकिन महीनों लटकाया जाता है। जाहिर है कि सरकार लोगों का मुफ्त इलाज कराना ही नहीं चाहती वो तो बस चिरायु का ढोल पीट कर जनता को बहलाना चाहती है।

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, मेडिकल-पैरामेडिकल स्टाफ की लगातार कम होती संख्या, आवश्यक दवाओं की कई कई दिन तक आपूर्ति नहीं किया जाना, देखरेख और मरम्मत के अभाव में आए दिन मशीनों का खराब होना संकेत है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं से हाथ खींचना चाहती है। यही कारण है कि स्वास्थ्य सेवाएं भी धीरे धीरे निजी क्षेत्र को सौंपी जा रही हैं, जैसे कि बीके अस्पताल में हृदय और गुर्दा रोग के इलाज का ठेका निजी संस्थानों को सौंपा जा चुका है। एमआरआई व सीटी स्कैन भी औपचारिक रूप से निजी संस्थानों को सौंप रखे है और मरीजों को एक्सरे भी अधिकतर बाहर से कराना पड़ता है, क्योंकि यहां की एक्सरे मशीनें अधिकतर खराब रहती है। आयुष्मान और चिरायु योजना भी इसी उद्देश्य से चलाई गई हैं, जो इलाज सरकारी अस्पतालों में मुहैया हो सकता है उसके लिए निजी अस्पतालों को भुगतान किया जा रहा है, यानी सरकार निजी अस्पतालों को बढ़ावा दे रही है इस आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पहले सरकारी अस्पताल केवल ओपीडी तक सीमित कर दिए जाएं और जब सारी जनता निजी अस्पतालों पर निर्भर हो जाए तो सरकार ये स्कीमें भी बंद कर दे।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles