फरीदाबाद (म.मो.) खट्टर सरकार कर दाता के धन को बर्बाद करने का कोई मौका छोडऩे वाले नहीं है। यहां के निगमायुक्त 15 दिन की छुट्टी पर चल रहे हैं। उनकी गैरहाजिरी में निगम का चार्ज शहर में मौजूद उपायुक्त, अतिरिक्त उपायुक्त, ‘हूडा’ प्रशासक, तथा निगम में ही बतौर अतिरिक्त निगमायुक्त तैनात आईएएस अधिकारी को न देकर मानेसर के निगमायुक्त को दिया गया है। रोजमर्रा की डाक आदि पर उनके दस्तखत कराने के लिये एक अधिकारी रोजाना सरकारी वाहन से डाक लेकर मानेसर जाता व आता है।
इससे पहले भी कई बार निगमायुक्त की गैरहाजिरी में अतिरिक्त चार्ज यहां के उपायुक्त अथवा ‘हूडा’ प्रशासक को दिया जाता रहा है। यह डबल चार्ज कई-कई महीनों तक भी चलता रहा है। ऐसा अक्सर तब होता रहा है जब सरकार यही तय न कर पाती थी कि निगमायुक्त किसे तैनात किया जाये। समझा जा सकता है कि ऐसी लावारिस हालत में निगम प्रशासन कैसा चलता होगा?
हर रोज 50-60 किमी दूर मानेसर तक डाक लाने ले जाने पर कितना सरकारी धन व्यर्थ जाता है, समझा जा सकता है। परन्तु खट्टर को क्या जरूरत है इसे समझने की, उनके घर से क्या जाता है? इसी को तो कहते हैं माल-ए-मुफ्त दिल-ए-बेरहम।