फरीदाबाद (म.मो.) दो दिसम्बर को छपे अखबारों के अनुसार निगमायुक्त यशपाल यादव ने कहा है कि दुकानों के सामने रेहड़ी खड़ी करा कर न तो दुकानदारों को सरकारी जगह का किराया वसूलने दिया जायेगा और न ही उन्हें दुकानों के आगे सामान रख कर सडक़ घेरने दी जायेगी। इसके लिये वे वीडियोग्राफी करा कर उचित कार्यवाही करेंगे तथा अवैध कब्ज़ों को भी हटवायेंगे। उपायुक्त महोदय यहां कोई नये नवेले तो आये नहीं हैं, जो कुछ अवैध उन्हें आज दिख रहा है उसे वह वर्षों से देखते आ रहे हैं। निगमायुक्त के साथ-साथ उपायुक्त का चार्ज भी उनके पास रहा है लेकिन एक तीनका तक भी वे तोड़ नहीं पाये अब क्या पहाड़ तोड़ेंगे?
अवैध निर्माणों व कब्जों की जहां तक बात है, इनकी एक लम्बी-चौड़ी सूची यशपाल यादव ने उस समय बनाई थी जब उनके पास उपायुक्त व निगमायुक्त के चार्ज थे। 100 से अधिक ऐसे निर्माणों की पूरी सूची उस वक्त ‘मज़दूर मोर्चा’ ने प्रकाशित की थी। वे तमाम कब्जे व निर्माण आज भी न केवल ज्यों के त्यों कायम हैं बल्कि उन पर निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं। इससे क्या समझा जाये? क्या इस तरह की घोषणायें केवल अवैध धंधेबाजों को धमकाने का एक जरिया मात्र है, ताकि उनसे वसूली अच्छी-खासी हो सके। इसी घोषणा में अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने व शील करने की बात कही गई है। यह शील करने का क्या नाटक है, समझना जरूरी है। यह केवल लोक दिखावा है। आज तक लगी कोई भी शील ऐसी नहीं है जो कुछ समय पश्चात तोड़ न दी गई हो।
रेहड़ी हटाने का जहां तक ताल्लुक है, इसे बिना किसी उचित योजना के हटाया नहीं जा सकता। रेहड़ी जहां एक ओर हजारों लोगों की जीविका का साधन है वहीं उपभोक्ताओं को सस्ता सामान मिलने का जरिया भी है। इसके लिये निगमायुक्त को बाकायदा एक रेहड़ी मार्केट के लिये उचित स्थान उपलब्ध कराना चाहिये। इस तरह के स्थान चंडीगढ़ व लंदन जैसे आधुनिक शहरों में भी बनाये गये हैं क्योंकि ये आम लोगों की जरूरत है।