फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भ्रष्टाचार में डूबी डबल इंजन सरकारों में नगर निगम के निकम्मे अधिकारियों के कारण प्रतापगढ़ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) चार साल में भी नहीं चल पाया और न ही निकट भविष्य में चलने की कोई संभावना है। एसटीपी से अनुपचारित पानी गुडग़ांव नहर में छोड़े जाने के कारण नगर निगम पिछले एक साल से पांच लाख रुपये प्रति माह की दर से एनजीटी में जुर्माना भर रहा है।
लूट कमाई के लिए हर काम में अड़चन पैदा करने वाले निगम के फर्जी डिग्री वाले इंजीनियरों की बदौलत एक ओर जुर्माने के रूप में जनता की कमाई लुटाई जा रही है तो दूसरी ओर दूषित पानी की सिंचाई से तैयार हुई फसलों के कारण पेट रोग से लेकर कैंसर जैसी असाध्य बीमारियां बढ़ रही हैं।
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार जिले में प्रतिदिन 350 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) दूषित पानी निकलता है, इसमें से 340 एमएलडी पानी सीवरेज वाला होता है। वर्ष 2019 में विधानसभा में फरीदाबाद में 787 कैंसर मरीजों का मामला उठा था। तब सदन को बताया गया था कि यह बीमारियां दूषित जल के कारण फैल रही हैं। बढ़ते दूषित पानी के शोधन के लिए तत्कालीन खट्टर सरकार ने 2019 में सेक्टर 56 स्थित प्रतापगढ़ और मिर्जापुर एसटीपी की क्षमता बढ़ाने की 257 करोड़ की परियोजना बनाई थी। यह परियोजना दिसंबर 2022 में पूर्ण होनी थी लेकिन निगम के निकम्मे अधिकारियों की लापरवाही और कमीशनखोर प्रवृत्ति के कारण समय सीमा पूरी नहीं हो सकी। एसटीपी तैयार नहीं होने से यहां से रोजाना करीब अस्सी एमएलडी अनुपचारित पानी गुडग़ांव नहर में छोड़ा जाता रहा। शिकायत होने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी 2023 में एसटीपी से छोड़े जाने वाले पानी की जांच की थी। जांच में प्रतापगढ़ और मिर्जापुर एसटीपी से छोड़े जाने वाला पानी मानक से छह से आठ गुना अधिक प्रदूषित पाया गया था। बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) जो 10 होना चाहिए था वह 78 पाया गया था, इसी तरह केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) जो अधिकतम 50 होना चाहिए था वह 315 पाया गया था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस की औपचारिकता कर पल्ला झाड़ लिया था।
कोई कार्रवाई नहीं होने पर पर्यावरण प्रेमियों ने फरवरी 2023 में एनजीटी में केस दायर किया था। निगम के निठल्ले अधिकारियों ने वहां सफाई दी थी कि मार्च 2023 में एसटीपी चालू हो जाएगा और सारी व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी। एनजीटी ने एसटीपी चालू नहीं होने तक निगम पर पांच लाख रुपये प्रतिमाह की दर से जुर्माना लगाया था। जुर्माने की राशि निगम के अधिकारियों को अपनी जेब से तो भरनी नहीं थी, इसलिए उनकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हुआ। हां, यदि ये वसूली उनकी जेब से की जाती अथवा उनको कैद की सजा दी जाती तो एसटीपी भी बिजली की रफ्तार से चलता। एसटीपी मार्च 2023 की जगह अप्रैल 2024 में बन कर तैयार हुआ लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण अप्रैल के अंत तक चालू नही हो पाया।
नगर निगम के कार्यकारी अभियंता बीके कर्दम के अनुसार एसटीपी अभी ट्रायल पर चलाया जा रहा है, अभी थोड़ी ही मात्रा में सीवेज उपचारित किया जा रहा है। ट्रायल पूरा होने के बाद ही इसे पूर्ण क्षमता से चलाया जाएगा। यानी वर्तमान में 85 से 90 प्रतिशत अनुपचारित पानी गुडग़ांव व आगरा नहर में छोड़ा जा रहा है। निगम अभी तक करीब सवा करोड़ रुपये जुर्माना भर चुका है लेकिन एसटीपी चालू नहीं हुआ और न ही होगा।
आंकड़ों के अनुसार गुडग़ांव और आगरा नहर से फरीदाबाद, आगरा, मथुरा के बड़े इलाके में सिंचाई की जाती है। शहर की सीवरेज का छोड़ा गया अनुपचारित पानी नहर में मिल कर उसके पानी को प्रदूषित करता है। इस पानी से सिंचाई होने के कारण दूषित और सेहत के लिए नुकसानदेह फसलें पैदा हो रही हैं। चार साल बीत गए लेकिन कुछ भी नहीं बदला, वैसे ही दूषित पानी नहरों में बहाया जा रहा है, और दूषित फसलें पैदा हो रही हैं। समझा जा सकता है कि जब तक नगर निगम में अनपढ़ इंजीनियर रहेंगे और लोक कल्याण के नाम का ढिंढोरा पीटने वाले खाऊ-कमाऊ शासक-प्रशासक रहेंगे तो जनता की गाढ़ी कमाई का धन ऐसे ही बर्बाद होता रहेगा और प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही रहेगा, आम जनता तो शुद्ध पानी, शुद्ध सब्जी-फसल के सपने ही देखती रहेगी।