नेताओं के संरक्षण में गरीबों का राशन डकार रहे भ्रष्ट राशन डिपो होल्डर और अधिकारी

नेताओं के संरक्षण में गरीबों का राशन डकार रहे भ्रष्ट राशन डिपो होल्डर और अधिकारी
February 13 10:38 2024

केवाईसी के नाम पर प्रति यूनिट दस से बीस रुपये तक वसूल रहे, नहीं देने पर यूनिट काटने की देते हैं धमकी

फऱीदाबाद (शेखर दास) गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के राशन पर भ्रष्ट राशन डिपो होल्डर डाका डाल रहे हैं। लाभार्थियों को कम मात्रा में राशन देना या बिना दिए लौटाना तो आम बात है, लेकिन अब केवाईसी भरने के नाम पर इन गरीबों से प्रति यूनिट दस से बीस रुपये वसूले जा रहे हैं। मज़दूर मोर्चा ने जब इनके काले कारनामों की कवरेज कर जनता के सामने सच्चाई रखने का प्रयास किया तो उन्होंने कथित समाजसेवियो, नेताओं से लेकर पुलिस तक से परेशान करवाने का षणयंत्र रच दिया। पुलिस जांच में सब कुछ स्पष्ट होने पर डिपो होल्डर को मुंह की खानी पड़ी, हालांकि इस प्रकरण में संवाददाता को दलालों ने कभी सीआईए तो कभी कोई अधिकारी बता कर दबाव में लेना चाहा।
मज़दूर मोर्चा संवाददाता से आदर्श कॉलोनी निवासी कुछ बीपीएल परिवारों ने शिकायत की थी कि डिपो होल्डर उनसे केवाईसी के नाम पर अवैध वसूली कर रहा है, राशन भी पूरा नहीं दिया जाता। इसकी शिकायत जिला खाद्य एवं आपूर्ति कार्यालय में की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। शिकायत की तस्दीक करने के लिए संवाददाता 24 जनवरी को 4 नंबर आदर्श कॉलोनी स्थित राशन डिपो होल्डर किशन की दुकान पहुंचा। मौके पर लाभार्थियों ने बताया केवाईसी करने के एवज में उनसें प्रति यूनिट दस से बीस रुपये तक लिए गए हैं। कुछ लोगों ने बताया कि जब मुफ्त में केवाईसी करने को कहा तो डिपो होल्डर ने यूनिट कटवाने की धमकी देकर भगा दिया। दुकान पर कुछ लाभार्थी ऐसे भी मिले जिनकी शिकायत थी कि डिपो होल्डर अंगूठा लगवाने के बाद राशन नहीं होने की बात कह लौटा देता है। दो तीन महीने में एक बार ही राशन मिलता है वह भी पूरा नहीं। कहने को तो प्रति यूनिट पांच किलोग्राम गेहूं दिया जाता है लेकिन तौलने पर यह चार किलोग्राम ही निकलता है, बहस करने पर वह भी नहीं मिलता, खाली हाथ लौटना पड़ता है।

लाभार्थियों से बात करते देख डिपो होल्डर किशन दुकान के बाहर आ गया और संवाददाता से कवरेज रोकने की बात कर लेन देन का प्रलोभन देने लगा, लेकिन संवाददाता उसकी बातों को नजर अंदाज कर अपनी करवरेज पूरी कर जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी से मिलकर उनका पक्ष जानने के लिए रवाना हो गया, उनके बाहर होने के कारण मुलाकात न हो सकी।

25 जनवरी को संवाददाता के पास खुद को एमडी शर्मा बताने वाले व्यक्ति ने फोन किया। बोले कि किशन के डिपो पर आए थे इसका क्या चक्कर है? डिपो होल्डर ने मुझसे शिकायत की है कि आप उसे नाजायज तंग कर रहे हैं। इस पर संवाददाता ने कहा कि डिपो होल्डर से कहिए कि यदि मैं उसे नाजायज तंग कर रहा हूं तो वो मेरे खिलाफ केस दर्ज करवा दे। कुछ ही देर बाद संवाददाता के पास एक और कॉल आई। कॉल करने वाले ने अपना परिचय क्राइम ब्रांच सेक्टर 12 से प्रभुदयाल बताया। उन्होंने डिपो होल्डर से समझौता करने का दबाव बनाया लेकिन संवाददाता ने स्पष्ट मना कर दिया। एक बार फिर एमडी शर्मा ने फोन कर मामला सुलटाने को कहा, संवाददाता ने किसी तरह पीछा छुड़ाया। इसके बाद संवाददाता ने सभी की ऑडियो मज़दूर मोर्चा अखबार के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रकाशित कर दीं।

इसके बाद संवाददाता ने डीएफएसओ कार्यालय पहुंच कर अधिकारियों को घटना की जानकारी दी और उनका पक्ष जानना चाहा। अधिकारियों ने कोई शिकायत नहीं होने के कारण जांच और कार्रवाई से इनकार कर दिया। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार संवाददाता के जाने के बाद डीएफएसओ कार्यालय से डिपो होल्डर किशन से संपर्क कर उसे जानकारी देकर मामला किसी तरह सुलटाने की सलाह दी गई।

संवाददाता के किसी तरह नहीं मानने पर एमडी शर्मा और किशन 5 फरवरी को एसजीएम नगर थाने पहुंचे और संवाददाता के खिलाफ ब्लैकमेल करने, पांच हजार रुपये, एक बोरी राशन आदि मांगने का आरोप लगाते हुए शिकायती पत्र दे दिया। शिकायत पर पूरी चुस्ती फुर्ती दिखाते हुए थाने के हवलदार विष्णु डागर ने अगले ही दिन संवाददाता को तलब कर लिया। अगले दिन थाने पहुंचे संवाददाता के सामने किशन अपने झूठे आरोप भूल गया और एक साल से परेशान करने का आरोप लगाते हुए दो लीटर तेल देने का दावा किया। हेड कांस्टेबल विष्णु भी शिकायतकर्ताओं को सही मानते हुए संवाददाता पर दबाव बनाने लगे। इस पर संवाददाता ने कहा कि जांच कर ली जाए यदि आरोप सही हैं तो केस दर्ज कर कार्रवाई करें। इस दौरान एमडी शर्मा और किशन ने कई बार संवाददाता पर दबाव बनाने का प्रयास किया। दोपहर बाद एएसआई विजेंद्र कुमार ने दोनों पक्षों को ध्यान से सुना। थोड़ी ही देर में स्पष्ट हो गया कि संवाददाता कवरेज करने गया था न कि ब्लैकमेलिंग एवं वसूली करने। डिपो होल्डर को सही काम करने की सलाह देकर झूठी शिकायत नहीं करने की हिदायत दी। डिपो होल्डर ने गलती मानते हुए शिकायत वापस ले ली और कहा कि उसे तो एमडी शर्मा ने झूठी शिकायत करने के लिए उकसाया था। एमडी शर्मा ने पुलिस के जरिए दबाव बनाने का प्रयास किया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड की गई उनकी ऑडियो हटाई जाए। संवाददाता ने हटाने से इनकार किया तो एएसआई विजेंद्र ने भी सहमति जताई कि न्यूज पोर्टल पर अपलोड कंटेंट बिना संपादक की अनुमति नहीं हटाया जा सकता।

दरअसल डिपो होल्डर ने इस संवाददाता के विरुद्ध यह सब कार्रवाई अपने अकेले के दम पर नहीं की थी बल्कि उसकी लूट में हिस्सा पत्ती रखने वाले तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता, नेता और संबंधित अधिकारियों के सहयोग एवं सलाह मशविरे पर ही की थी। रही बात पुलिस की तो हवलदार द्वारा दिखाई गई चुस्ती भी कोई मुफ्त में नहीं दिखाई गई होगी, इसके लिए उसे भी वाजिब ‘मेहनताना’ तो मिला ही होगा। झूठी शिकायत देने वाले के खिलाफ धारा 182 की कार्रवाई न करके भी हवलदार साहब ने किशन को मुफ्त मेंं ही नहीं छोड़ा होगा।
डिपो होल्डर किशन के तो बडख़ल विधायक सीमा त्रिखा से पारिवारिक संबंध भी बताए जाते हैं। इसी के चलते वह पूरी तरह से बेखौफ होकर गरीबों का राशन डकारने में कोइ कोर कसर नहीं छोड़ता, जरा सा भी विरोध करने वाले लाभार्थी को वह धक्के मार कर भगाने से भी नहीं कतराता। डिपो होल्डर को बचाने का प्रयास करने वाले एमडी शर्मा और प्रभुदयाल के बारे में मिली जानकारी के अनुसार ये दोनों समाजसेवा की आड़ में दलाली करते हैं, भ्रष्ट राशन डिपो होल्डरों को संरक्षण देना, प्रशासनिक अधिकारियों से संबंध होने का झांसा देकर लोगों को ऐंठना इनकी कार्यशैली है। एमडी शर्मा के बारे में तो यह भी बताया जाता है कि रेहड़ी लगाने वालों को हटवाने की धमकी देकर उनसे मुफ्त में फल, सब्जी आदि एंठता है।
राशन डिपो होल्डर किशन तो हांडी का एक चावल है, लगभग सारे डिपो होल्डर ऐसे ही गऱीबों का राशन हड़प रहे हैं। किशन की धांधली इसलिए खुल गई क्योंकि मज़दूर मोर्चा से इसकी शिकायत की गई थी।

मज़दूर मोर्चा के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह हर एक डिपो पर जाकर जांच करे, इसके लिए खाद्य एवं आपूर्ति महकमा है। बड़े पैमाने पर राशन हड़पने का ये काला धंधा इसके अधिकारियों की जानकारी व मिलीभगत से किया जाता है, इसीलिए लूट का यह धंधा जारी है। यही कारण है कि इस संवाददाता द्वारा बताए जाने के बावजूद इन अधिकारियों ने किशन के डिपो की जांच नहीं की। यह भ्रष्टाचार इसी तरह चलता रहेगा क्योंकि जिनका हक मारा जा रहा है वो भी लडऩे को तैयार नहीं हैं, डिपो होल्डर कम राशन दे या वसूली करे अनुकंपा समझ कर लेकर लौट जाते हैं, यदि ये लाभार्थी अपना हक लेने के लिए अडिग हो जाएं तो डिपो होल्डर हों, अधिकारी या नेता किसी की भी नहीं चलेगी। बहरहाल, मज़दूर मोर्चा की नोटिस में इस तरह की जो भी लूट आएगी मज़दूर मोर्चा उसे प्रकाशित करेगा और गरीबों के हक में बेखौफ होकर खड़ा होगा।

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Mazdoor Morcha
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