फरीदाबाद (म.मो.) केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर ने दिनांक 27 जुलाई को (एनपीटीआई) के सभागार में बिजली क्षेत्र के उच्च प्रशिक्षित इंजीनियरों को भाषण देते हुए बताया कि इस क्षेत्र में जो काम 2030 तक पूरे होने वाले थे उन्हें मोदी जी ने 2021 में ही पूरा करा दिया। वर्ष 2014 में जहां बिजली का कुल उत्पादन 2,48,554 मेगावाट होता था वह अब बढक़र 4,00,000 मेगावाट हो गया। यह देश की कुल आवश्यकता से 1,85,000 मेगावाट अधिक हो गई है। इसलिये अब भारत पड़ोसी देशों को बिजली का निर्यात भी करने लगा है। मंत्री महोदय के प्रवचन को सुनकर बिजली क्षेत्र के, ज्ञानवान प्रशिक्षु मंद-मंद मुस्करा रहे थे और आपस में ही फुसफुसा कर एक दूसरे से पूछ रहे थे कि बीते आठ साल में मोदी जी ने कितने पावर प्लांट खड़े कर दिये, उनका विवरण मंत्री जी क्यों नहीं दे रहे? मंत्री यह भी तो बतायें कि किस देश को कितनी बिजली भेजकर भारत ने कितना पैसा कमाया है?
पिछले दिनों पूरे देश भर ने देखा था कि कोयले के आभाव में अधिकांश बिजली प्लांटों का उत्पादन न्यूनतम स्तर से भी नीचे चला गया था। कई प्लांट तो बंद भी करने पड़े। वह बात अलग है कि कोयले का यह आभाव मोदी जी ने इसलिये खड़ा किया था ताकि उनके मित्र अडाणी का विदेशी कोयला देशी प्लांटों के मत्थे मढ़ा जा सके। इसके चलते बिजली उत्पादन की लागत बढऩी निश्चित है जिसे उपभोक्ताओं से ही वसूला जायेगा।
पूरे देश को तो छोडिय़े, मंत्री जी के इस अपने शहर में लोग किस प्रकार पावर संकट से जूझ रहें हैं। उद्योगों व रिहायशी क्षेत्रों में घंटों-घंटों बिजली गुल रहती है। यह सब तो तब है जब आईपीडीएस (इंटीग्रेटेड पावर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) पर बीते पांच साल में 100 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं।
इस सिस्टम के तहत नये सब स्टेशन व नये ट्रांसफार्मर आदि लगाने का दावा किया गया था। कहा गया था कि यह सब करने के बाद पावर सप्लाई में कोई व्यवधान नहीं आयेगा। लेकिन इस सबके बावजूद लम्बे-लम्बे पावर कट तथा स्थानीय व्यवधान जनता को बराबर परेशान किये हुए है। जनता पूछती है कि वे 100 करोड़ रुपये कौन डकार गया?