नीलम पुल से बीके चौक तक एलिवेटेड सडक़ की शेखचिल्ली योजना

नीलम पुल से बीके चौक तक एलिवेटेड सडक़ की शेखचिल्ली योजना
February 04 23:25 2023

फरीदाबाद (म.मो.) बीके अस्पताल से नीलम पुल तक लगे रहने वाले जाम से मुक्ति दिलाने के नाम पर एफएमडीए ने इस मार्ग पर एलिवेटेड सडक़ निर्माण की योजना तैयार की है। लगता है कि इस भयंकर फिजूल खर्ची की प्रेरणा एफएमडीए को बदरपुर बॉर्डर पर तथा पलवल शहर में बनी एलिवेटेड सडक़ों से मिली है।

यद्यपि इन दोनों एलिवेटेड सडक़ों पर हुए बेहद भारी खर्चे को बचाया जा सकता था, यदि सडक़ों पर होने वाली अवैध पार्किंग व कब्जों को हटा दिया गया होता। फिर भी उक्त दोनों स्थानों की स्थिति एवं तुलना नीलम बीके रोड से नहीं की जा सकती। यह तो वही बात होने जा रही है कि बैलों के पैरों में नाल लगती देख कर मेंढकी ने भी नाल लगवाने को टांग उठाई। कहां तो बैलों की टांग और कहां मेंढकी की टांग?

बीके से नीलम ही क्या शहर की हर सडक़, चौक-चौराहे पर होने वाले ट्रैफिक जाम का एक मात्र कारण अवैध कब्जे व पार्किंग हैं। इनको अगर सख्ती से हटा दिया जाय तो जाम की कोई स्थिति हो ही नहीं सकती। नीलम बीके रोड पर अवैध पार्किंग व कब्जों को हटाने की बजाय एलिवेटेड रोड का विकल्प, सरकारी अफसरों की नजर में ज्यादा बेहतर है। फिर एक यही सडक़ क्यों? क्या बीके से हार्डवेयर चौक तक, हार्डवेयर से बाटा तक और बाटा से नीलम तक एलिवेटेड रोड बनाने की योजनायें बनेंगी? जब इतने से भी काम न चले तो क्या शहर की तमाम सडक़ों के ऊपर एक-एक एलिवेटेड सडक़ बनाने की योजना भी पेश की जायेगी?

यद्यपि इस वाहियात एवं फिजूल खर्ची वाली योजना की शहर को कोई आवश्यकता नहीं है, फिर भी यदि सरकार इस पर पैसा बर्बाद करना ही चाहती है तो पूरे प्रोजेक्ट एवं उसके डिजाइन को चुप-चाप एवं गुप्त रूप से बनाने की बजाय सार्वजनिक रूप से तमाम जनता के सामने रख कर उनके सुझाव आमंत्रित करे।

जनता पूरे प्रोजेक्ट एवं डिजाइन को देखकर उसे बनाने या न बनाने का फैसला करेगी। यदि बनाना ही जरूरी समझा जाय तो उसका डिजाइन कैसा हो, यह भी जनता ही बतायेगी। कहने की जरूरत नहीं है कि सरकारी दफ्तरों में बैठे अनपढ़ एवं चोर इंजीनियरों की अपेक्षा जनता में कहीं अधिक बुद्धिमान एवं दक्ष इंजीनियर एवं आर्किटेक्ट मौजूद हैं, जो सरकारी चोरों से कहीं अधिक बेहतर सुझाव दे सकते हैं।

यह भी समझ नहीं आ रहा कि यह योजना एफएमडीए के मुखिया सुधीर राजपाल आईएएस के दिमाग की उपज है अथवा उन नालायक, निकम्मे और चोर इंजीनियरों के दिमाग की उपज है जिन्हें सुधीर राजपाल दो साल तक पहचान ही नहीं पाये थे। मीडिया में आ रही खबरों के मुताविक बीके चौक से केएल मेहता महिला कॉलेज वाली सडक़ पर भी अंडरपास बनाने जैसी कोई खुराफाती योजना विचाराधीन है। बीके चौक से नीलम की ओर जा रहे नाले का भी पता लगाया जायेगा कि यह स्थाई या अस्थाई? बड़े कमाल की बात है कि ऐसा कहने वाले मानो किसी बाहरी देश से आयातित हों। सभी जानते हैं कि ये तमाम इंजीनियर कल तक फरीदाबाद नगर निगम में ही इन नालों की सफाइयां कराते फिरते थे और वही आज इसका इतिहास खोजने का ड्रामा करेंगे।

कुल मिला कर मामला सारा लूट कमाई पर आकर टिकता है। जितने बड़े-बड़े व भारी-भरकम प्रोजेक्ट बनेंगे उतनी ही मोटी लूट कमाई होगी। यहां लक्ष्य कोई जनता की सुविधा नहीं है बल्कि लक्ष्य तो केवल लूट कमाई बढ़ाने का है।

शहर का हर नागरिक जानता है कि किसी भी सडक़ अथवा सीवर का काम शुरू करने के नाम पर सडक़ व सीवर के गड्ढे खोद कर एक बार शुरू करके महीनों, कई बार तो वर्षों तक अधर में छोड़ दिया जाता है। विचाराधीन उक्त प्रोजेक्टों में भी यही सब कुछ नहीं होगा, मानने को कोई नागरिक तैयार नहीं है।

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Mazdoor Morcha
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