नफरती एजेंडे पर काम कर रहा बिट्टू बजरंगी, सेवादारी में जुटा खट्टर प्रशासन

नफरती एजेंडे पर काम कर रहा बिट्टू बजरंगी,  सेवादारी में जुटा खट्टर प्रशासन
January 02 04:30 2024

14 दिसंबर की रात संदिग्ध हालात में झुलसा था छोटा भाई महेश

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। सांप्रदायिकता और नफरत की दुकान चला कर फल फूल रहा बिट्टू बजरंगी दंगाई मानसिकता से ही काम कर रहा है। वह सोशल मीडिया पर खुलेआम धमकियों भरी भडक़ाऊ पोस्ट डाल रहा है और खट्टर की पुलिस कार्रवाई करने के बजाय उसकी सेवादारी में लगी है। 14 दिसंबर की रात बिट्टू का छोटा भाई महेश पांचाल बाबा डबुआ फल एवं सब्जी मंडी में संदिग्ध हालात में झुलस गया था। बजरंगी ने पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने और हिंदुओं की सहानुभूति बटोरने के लिए तुरंत ही एक मुस्लिम जूस वाले पर भाई को जलाने का आरोप लगाया था। उस समय बिट्टू ने सोशल मीडिया चैनलों पर हमलावर को नहीं छोडऩे की खुली धमकी देते हुए कहा था कि ये लोग छिपने की तैयारी कर लें जैसे को तैसा जवाब मिलेगा। बिट्टू की धमकी के आगे झुके पुलिस आयुक्त ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी, इसके बावजूद उसकी संतुष्टि के लिए उन्होंने खुद भी घटना का मौका मुआयना किया।

घायल महेश पंचाल ने पुलिस को बयान दिया कि अरमान नामक युवक और पांच अन्य ने उसे जलाकर मारने के प्रयास किया था। आरोप के आधार पर तुरंत ही पुलिस ने अरमान को गिरफ्तार कर पूछताछ की, लेकिन वह इनकार करता रहा। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार घटना को सांप्रदायिक रंग देने के लिए संघ के कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने बिट्टू को शहर में दंगा और तोडफ़ोड़ करने को उकसाया। इन लोगों की साजिश थी कि बिट्टू तोडफ़ोड़ शुरू करे, इसके बाद संघी दंगाई पूरे शहर में तोडफ़ोड़ और माहौल खराब कर समाज का धु्रवीकरण करेंगे। ये वही नफरती संघ-विहिप-बजरंगदल के लोग हैं जिन्होंने नूह दंगे के तुरंत बाद बिट्टू को अपना मानने से ही इनकार कर दिया था। अब नफरती एजेंडा फैलाने के लिए तुरंत ही बिट्टू के संपर्क में आ गए।

इधर, पुलिस जांच में महेश के बयान घटना से मेल नहीं खा रहे थे। महेश ने पुलिस को बताया था कि एक मारुति वैगनार में पांच लोग आए थे, उनमें से एक ने पूछा कि तुम बिट्टू के भाई हो, हां कहने पर उन लोगों ने ज्वलनशील पदार्थ डाल का आग लगा दी। घटनास्थल पर पुलिस को न तो ज्वलनशील पदार्थ डाले जाने के कोई सुबूत मिले और न ही आग लगाए जाने के। महेश ने बताया कि आग लगने पर उसने नाले में कूद कर जान बचाई थी। नाले में उसके जले हुए कपड़े बरामद हुए। वारदात के बताए गए समय पर घटना स्थल के आसपास सो रहे या मौजूद रहे लोगों ने भी किसी तरह का शोर शराबा सुनने या हलचल होने की पुष्टि नहीं की। पुलिस ने घटना के बताए गए समय से तीन घंटे पहले से लेकर तीन घंटे बाद तक की सीसीटीवी फुटेज चेक की। इस दौरान उस ओर से गुजरने वाली मारुती वैगनार सहित सभी अन्य कारों के मालिकों से पूछताछ की गई लेकिन किसी का भी घटना में शामिल नहीं पाया गया।

महेश ने पुलिस को जो बयान दिए थे मजिस्ट्रेट के सामने उनसे मुकर गया। पुलिस को उसने अरमान का नाम बताया था लेकिन मजिस्ट्रेट को दिए बयान में किसी को भी पहचानने से इनकार कर दिया। दावा किया कि सामने आने पर हमलावरों को पहचान लेगा। हमलावरों की संख्या भी पांच से बढ़ा कर बारह बताई। महेश के बयान पलटने पर उसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 182 यानी लोक सेवक को किसी के खिलाफ गलत जानकारी देने का कलंदरा भरा जाना चाहिए, लेकिन पुलिस ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। यूं भी एक मारुति वैगनार कार में बारह लोगों का आना बहुत ही मुश्किल है। घटना का संदिग्ध होने का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि आग लगने के बाद उसे बुझाने के लिए महेश घटना स्थल से नाले तक गया लेकिन लपटें उसके चेहरे और सिर तक नहीं पहुंची। महेश पांचाल के बार बार बयान बदलने से यह आशंका भी जताई जा रही है कि उसने बिट्टू बजरंगी के साथ मिलकर किसी को फंसाने के लिए घटना की साजिश रची है।

इधर सोमवार को बिट्टू ने सोशल मीडिया पर धमकी दी कि बीस दिसंबर के बाद वह किसी की नहीं मानेगा चाहे कोई भी हो। इसका मतलब ये है कि बिट्टू ने कुछ लोगों को इस घटना में लपेटने का इरादा पहले से ही बना रखा है। सोशल मीडिया पर इस तरह की धमकी देकर वह दंगा समर्थकों को तैयार होने के इशारे दे रहा है। सोशल मीडिया पर खुलेआम धमकियां देने वाले बिट्टू के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के बजाय पुलिस आयुक्त राकेश आर्य उसकी चाकरी में लग गए। धमकी वायरल होने के बाद सोमवार सुबह सीपी खुद जांच करने के लिए मंडी पहुंचे। एसआईटी के साथ उन्होंने भी घटनास्थल का मुआयना किया। चर्चा है कि उन्होंने ऐसा करके बिट्टू को संदेश दिया है कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है कृपया हाथ हल्का रखें।

हालांकि दंगाई बिट्टू का समर्थन बटोरने के लिए सोशल मीडिया पर धमकी देने का दांव चल नहीं पाया। बिट्टू ने सोचा था कि उसके समर्थन में बहुत से लोग आ जाएंगे लेकिन संघी दंगाइयों ने एक बार फिर उसे धोखा दे दिया। पुलिस भले ही किन्ही कारणों से सच्चाई समझने में असमर्थ हो लेकिन आम लोगों ने समझ लिया कि ये सारा झूठा ड्रामा था और कोई समर्थन में नहीं आया। इधर तोडफ़ोड़ करने के आदेश को ठुकराने के कारण बिट्टू से नाराज संघी दंगाइयों ने भी उसे अकेला छोड़ दिया। अकेला पडऩे पर सोमवार तक धमकी देने वाले बिट्टू के सुर बुधवार तक बदल गए, अब वह बोल रहा है कि समाज के लोगों से बात करने के बाद आगे का फैसला लेगा।

सूत्रों के अनुसार महेश पांचाल गांजा पीेने और नशा करने का आदी है और बिट्टू का भाई होने के कारण मंडी में उसकी धमक है। मंडी के रेहड़ी-फड़ी लगाने वालों से दुकान लगाने के एवज में रोजाना दस-बीस रुपये वसूली की जाती है। बिट्टू का भाई होने के कारण कोई सामने तो उससे नहीं बोलता लेकिन उसकी दुश्मनी कई लोगों से है। यदि पुलिस महेश पांचाल से ठीक से पूछताछ करे तो आग लगने की घटना की सच्ची कहानी सामने आ सकती है। पुलिस को चाहिए कि सोशल मीडिया पर दंगे भडक़ाने और खुलेआम धमकियां देने वाले बजरंगी के खिलाफ भी केस दर्ज करे और शहर का माहौल खराब होने से बचाए।

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Mazdoor Morcha
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