फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। दो सौ करोड़ रुपये के घोटाले के बाद भी नगर निगम में विकास कार्यों के नाम पर गबन का खेल जारी है। अब प्रदूषण नियंत्रण और वायु गुणवत्ता सुधारने के नाम पर निजी संस्था से मिलीभगत कर पौधरोपण में लाखों रुपये डकारे जाने का मामला प्रकाश में आया है। चंद जगहों पर पौधरोपण का ड्रामा किया गया और निगम अधिकारियों ने 25 हजार पौधे लगाए जाने का प्रमाणपत्र जारी कर दिया। यह चोरी एनआईटी विधायक नीरज शर्मा ने पकड़ी है, और उन्होंने प्रधान सचिव स्थानीय शहरी निकाय विभाग को पत्र लिख कर विजिलेंस जांच कराने की मांग की है। फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र में भी एक निजी संस्था ने भी 49 लाख रुपये की ऐसी ही हेराफेरी की थी, वहां के भाजपा विधायक नरेंद्र गुप्ता ने यह धांधली पकड़ी थी, शिकायत भी की लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
शहर की खराब वायु गुुणवत्ता में सुधार करने के लिए नगर निगम ने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता कार्यक्रम के तहत एनआईटी विधानसभा क्षेत्र में 25 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए 52 लाख रुपये से अधिक खर्च का एस्टीमेट तैयार किया गया था। यादव कोऑपरेटिव लेबर एंड कंस्ट्रक्शन सोसायटी लिमिटेड सोहना गुडग़ांव ने एस्टीमेट से करीब छह प्रतिशत कम कीमत 49,00,448 रुपये की बिड डाली, तो उसे ठेका दे दिया गया। संस्था को ये 25 हजार पौधे 2 जून 2022 तक लगा देने चाहिए थे।
जून तो क्या 16 अगस्त 2022 तक संस्था ने पौधरोपण नहीं किया। इस पर एक्सईएन हॉर्टीकल्चर ने सात दिन में कार्य पूर्ण करने अन्यथा टेंडर अनुबंध का दस प्रतिशत जुर्माना लगाने का नोटिस जारी किया। बावजूद इसके संस्था ने पौधरोपण नहीं किया, यहां तक कि प्रबंधक ने निगम अधिकारियों का फोन उठाना भी बंद कर दिया।
पौधरोपण की तीन महीने की समय सीमा समाप्त होने के बाद ठेकेदार और निगम अधिकारियों ने लूट कमाई का खेल कर डाला। जिस ठेकेदार पर दस प्रतिशत जुर्माना लगाया जाना था उसे मार्च 2023 तक काम पूर्ण करने का अतिरिक्त समय दे दिया गया। यानी जो काम असली टेंडर में तीन महीने (जून) में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था, उसके लिए निगम अधिकारियों ने छह महीने बाद (सितंबर में) अतिरिक्त पांच महीने देकर मार्च तक पूरा करने की ‘अनुकंपा’ की। समझा जा सकता है कि यह अतिरिक्त समय मुफ़्त में नहीं दिया गया होगा।
अभी तक जिस संस्था को पौधे नहीं लगाने के लिए नोटिस जारी किए जा रहे थे अचानक उसके लिए सर्टिफिकेट जारी किया गया कि उसने 25 हजार पौधे लगा दिए हैं। दावे के प्रमाण के रूप में जुलाई 2022 में पौधरोपण कराए जाने की तस्वीरें भी लगाई गईं। सर्टिफिकेट में बताया गया कि इन 25 हजार पौधों में से 20,820 लेजर वैली पार्क में और बाकी 4180 डबुआ सब्जी मंडी से 3 नंबर पुलिया तक लगाए गए थे। लूटमार की सच्चाई पौधरोपण दर्शाने के लिए लगाई गईं फोटो से सामने आई। प्रमाणपत्र में लेजर वैली पार्क और डबुआ मंडी से तीन नंबर पुलिया तक पौधरोपण किया जाना बताया गया जबकि जो फोटो लगाई गईं उनमें बीके चौक, नेहरू ग्राउंड, नीलम चौक, भगत सिंह मार्ग, एसजीएम नगर, नीलम फ्लाईओवर, फ्रूट गार्डन, एनआईटी गुडग़ांव मार्ग, केसी रोड (यह एनआईटी विधानसभा क्षेत्र में नहीं आता) केएल मेहता रोड, सेक्टर सात व सेक्टर 6-7 विभाजक मार्ग (यह इलाके फरीदाबाद विधानसभा में आते हैं), डबुआ कॉलोनी, सेक्टर 50, सहित लेजर वैली पार्क दर्शाए गए हैं। पाठक जान लें कि यह पौधरोपण केवल एनआईटी विधानसभा में कराया जाना था लेकिन फोटो बडख़ल और फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र के पौधरोपण की लगाई गई हैं।
सवाल ये है कि जब लेजर वैली पार्क और डबुआ मंडी से तीन नंबर पुलिया तक 25 हजार पौधे लग गए तो फिर बाकी इलाकों में कौन सा पौधरोपण हुआ, इन पौधों की खरीद, गड्ढे खोदने, खाद-कीटनाशक आदि का भुगतान किस मद से किया गया। जो संस्था टेंडर में निर्धारित समय के भीतर एनआईटी विधानसभा क्षेत्र में पौधे नहीं लगा सकी उसने बडख़ल और फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र में पौधरोपण क्यों किया ? यदि निजी तौर पर किया तो नगर निगम के रिकॉर्ड में क्यों दर्ज किया गया।
एनआईटी विधायक नीरज शर्मा कहते हैं कि उन्होंने स्वयं पौधरोपण का मौका मुआयना कराया। लेजर वैली पार्क में इतनी बड़ी संख्या में पौधरोपण नहीं हुआ, पार्क में जो पौधे मौजूद हैं वे कई साल पुराने हैं। उनके मुताबिक एनआईटी विधानसभा क्षेत्र में कहीं भी इतनी खाली जगह नहीं बची है कि 25 हजार पौधे लगाए जा सकें। पौधरोपण के नाम पर घोटाला हुआ है। नगर निगम में पौधरोपण के नाम पर भ्रष्टाचार का यह केस नया नहीं है। निगम अधिकारियों ने फरीदाबाद विधानसभा में पौधरोपण, ट्री गार्ड, ग्रिल आदि लगाने का 49 लाख का टेंडर इसी यादव कोऑपरेटिस लेबर एंड कंस्ट्रक्शन सोसायटी नाम की अन्य संस्था को जारी किया था। वह संस्था रोहतक की बताई गई थी जबकि एनआईटी मेें पौधरोपण करने वाली संस्था गुडग़ांव की है।
अधिकारियों का भ्रष्टाचार और हरामखोरी इससे नजर आती है कि एनआईटी में 49 लाख में केवल 25 हजार पौधरोपण का टेंडर जारी किया गया जबकि फरीदाबाद विधानसभा में इतनी ही राशि मेें 25 हजार पौधों के साथ ग्रिल और घास लगाने का टेंडर जारी किया गया। एक ही धनराशि में काम में इतना बड़ा अंतर हेराफेरी दर्शाता है। यानी कागजों में काम दिखा कर धन की बंदरबांट करने नीयत से ये टेंडर जारी किए गए थे। फरीदाबाद विधानसभा में एक भी पौधा नहीं लगाए जाने से नाराज विधायक नरेंद्र गुप्ता ने भी भ्रष्टाचार और गबन का आरोप लगाया था। निगम अधिकारियों ने उनकी शिकायत पर यह कहते हुए पर्दा डाल दिया था कि जो पौधे लगाए गए थे उनका जीवन ही तीन महीने का था। केवल तीन महीने की हरियाली के लिए 49 लाख रुपये खर्च किया जाना जनता की गाढ़ी कमाई लुटाना ही है। बताते चलें कि एनआईटी विधानसभा मेें हर सिंगार, रतनजोत, गुड़हल, चांदनी, कनेर आदि पौधे लगाने का दावा किया गया है ये पौधे तीन माह में समाप्त नहीं होते, बावजूद इसके ये पौधे कहीं नजर नहीं आ रहे।
भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का ढिंढोरा पीटने वाले सीएम खट्टर जब अपने ही विधायक नरेंद्र गुप्ता के गबन के आरोप की जांच नहीं करवा सके तो विपक्षी विधायक नीरज शर्मा की शिकायत पर क्या जांच होगी समझा जा सकता है। सीएम भ्रष्टाचार को रोकने के प्रति कितने कार्यक्षम हैं इससे भी समया जा सकता है कि वे दो सौ करोड़ के घोटाले के बाद भी नगर निगम में घोटालों पर अंकुश नहीं लगा सके हैं। दरअसल, ये सारा भ्रष्टाचार उनके विधायक-मंत्रियों के इशारों पर ही हो रहा है तो वह किस मुंह से कार्रवाई करेंगे।