फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का ढिंढोरा पीटने वाले सीएम मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में नगर निगम भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। वर्तमान में निगम के एक्सईएन ओमदत्त की चर्चा जोरों पर है, निगम कर्मियों का मानना है कि भ्रष्टाचार में ओमदत्त तो पूर्व चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर से कहीं आगे है, मोटे कमीशन की एवज में कोई भी अवैध, नियम विरुद्ध काम करने को सदैव उपलब्ध केंद्रीय मंत्री किशन पाल गूजर का वरद्हस्त होने के कारण ओमदत्त निगमायुक्त तक को ठेंगे पर रखता है। एक्सईएन होने के नाते निगम के अधिकतर विकास कार्यों की टेंडर प्रक्रिया पर उसने कब्जा कर रखा है।
नगर निगम में दो सौ करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुए साढ़े तीन साल बीत चुके हैं। सत्ता पक्ष के मंत्रियों-नेताओं और आईएएस अफसरों की मिलीभगत से हुए इस घोटाले में तत्कालीन चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर, लेखा विभाग के कर्मचारियों और ठेकेदार सतबीर की गिरफ्तारी कर सरकार ने वाहवाही लूटी और अपने मंत्री व भ्रष्ट आईएएस अफसरों को बचाने के लिए जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
आईएएस अफसरों की कठपुतली कहे जाने वाले खट्टर ने इस घोटाले का खुलासा होने के बाद आईएएस अफसरों की जवाबदेही खत्म करने के उद्देश्य से एक करोड़ रुपये तक के काम कराने का अधिकार नगर निगम के एक्सईएन को दे दिया। यदि खट्टर सच में ईमानदार होते तो एक्सईएन की यह शक्ति नहीं बढ़ाते लेकिन उन्होंने अपने मंत्रियों की लूट कमाई बढ़ाने के लिए यह व्यवस्था कर डाली।
केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर का खास होने के चलते फर्जी डिग्री के बावजूद ओमदत्त नगर निगम में एसडीओ से एक्सईएन पद तक आसानी से पहुंच गया, इस दौरान उसकी फर्जी डिग्री की जांच चल रही है और सेवानिवृत्त होने तक चलती रहेगी। एक्सईएन की कुर्सी पर बैठने के बाद ओमदत्त अपने आका गूजर के इशारे पर काम कर रहा है। भ्रष्टाचार और मोटी कमाई की लालच में एक करोड़़ रुपये से कहीं अधिक कीमत वाले विकास कार्यो को दो से तीन हिस्सों में तोड़ कर कराया जाता है ताकि एक्सईएन ही सारे टेंडर जारी कर सके। उसके डिवीजन में शायद ही कोई विकास कार्य एक करोड़ से अधिक का हुआ हो। निगम के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार ई टेंडर प्रक्रिया सिर्फ देखने के लिए है, सारा काम उसकी मर्जी से ही होता है। टेंडर मिलता उसी ठेकेदार को है जिसकी सिफारिश आका गूजर ने की हो। ठेकेदार को टेंडर लेने के लिए सात से आठ प्रतिशत कमीशन पहले ही देना होता है। जिस ठेकेदार को टेंडर देना होता है,
ई-टेंडरिंग में सिर्फ उसकी और दो तीन डमी कंपनियों की बिड लगती है, अन्य असली ठेकेदारों की बिड सिस्टम कोई न कोई कमी बता कर रिजेक्ट कर देता है। कुछ खास ठेकेदारों के गुट को ही ओमदत्त काम देता है। बताया जाता है कि ये ठेकेदार उसके लिए जूते मोजों से लेकर महंगे सूट, मोबाइल आदि का इंतजाम करते हैं।
बताया जाता है कि केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर ओमदत्त को अपने बेटे की तरह मानते हैं, यही कारण है कि उस पर कोई आंच नहीं आने देते। संबंध इतने प्रगाढ़ हैं कि चंडीगढ़ मुख्यालय से ओमदत्त का ट्रांसफर दूसरे जिले में कर दिया गया लेकिन मंत्री के आदेश पर उसे रिलीव नहीं किया गया और चंद दिनों में ही तबादला आदेश रद्द कर दिया गया। नगर निगम में सहायक अभियंता पद पर रहते हुए रिश्वत लेने के मामले में विजिलेंस की गिरफ्त में आया था लेकिन मंत्री गूजर के कारण उसका कुछ नहीं हुआ।
निगम कर्मचारियों में यह भी चर्चा है कि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की अथाह कमाई से ओमदत्त ने मच्छगर, होडल में काफी बेनामी संपत्ति बना डाली है। कुछ समय पहले मच्छगर में अपनी इसी संपत्ति पर कब्जा करने के लिए बाउंड्री करवाने पहुंचा था तो गांव वालों ने उसे जमकर पीटा था, तब भी किशनपाल ने दोनों पक्षों में समझौता कराया था। किशनपाल से करीबी का अंदाजा इसी बात से भी समझा जा सकता है कि बडख़ल विधानसभा क्षेत्र तो इसको दिया ही गया है अतिरिक्त लूट कमाई के लिए निगम में जोड़े गए 27 गांवों के ‘विकास’ का भी जिम्मा इसे दिया गया है। इन गांवों में राजपाल मामा और केंद्रीय मंत्री के इशारे पर उनके सजातीय गुर्गों को विकास कार्य की रेवड़ी बांटने के लिए ही उसे लगाया गया है। जानकार सूत्रों के अनुसार जब कोई उससे पूछता है कि भ्रष्टाचार में पकड़े जाने का भय नहीं है क्या तो कहता है कि जांच अधिकारियों के मुंह में इतना पैसा भर दूंगा कि उनकी आंखें बंद हो जाएंगी।
ओमदत्त के भ्रष्टाचार के कारण निगम की बदनामी से दुखी कुछ अधिकारी कहते हैं कि यदि जांच हो जाए तो डीआर भास्कर का दो सौ करोड़ रुपये का घोटाला बहुत छोटा साबित होगा। एक्सईएन ने खुली लूट मचा रखी है जैसे उसे कायदे-कानून और नियमों का कोई खौफ ही नहीं है।
ईमानदारी का झूठा नारा लगानेे वाले खट्टर को नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों और भ्रष्टाचार की जानकारी न हो ऐसा नहीं हो सकता। उनकी ही पार्टी के पार्षद व अन्य जन प्रतिनिधि नगर निगम में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। वह खुद सार्वजनिक मंच पर नगर निगम में भ्रष्टाचार की बात कुबूल चुके हैं फिर भी निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के कोई कदम नहीं उठाते, उठाएं भी कैसे निगम की इस काली कमाई में उनकी ही पार्टी के लोग लगे हुए हैं।
सवाल तो निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास पर भी बनता है, अगर मंत्री गूजर और ओमदत्त ने ही शहर को लूट कर खाना है तो वे यहां क्यों बैठी हैं? या तो वे इस लायक नहीं कि उक्त लूट पाट को देखकर उस पर अंकुश लगा सकें या फिर वे खुद भी इस लूट में शामिल हो सकती हैं, फैसला खुद कर लें।