फरीदाबाद (म.मो.) जर्जर सडक़ें, उफनते सीवर, गंदगी से बजबजाती गलियां, पीने को पानी नहीं, किसी भी काम के लिये निगम के पास पैसा नहीं, हर वक्त रोना कंगाली का। सोचने की बात है कि करदाता द्वारा दिया जा रहा हज़ारों करोड़ रुपये आखिर जा कहां रहा है? यह सब जा रहा है अफसरों, नेताओं व ठेकेदारों की जेबों में।
ऐसा ही एक अफसर धर्मसिंह नर्वत एसई के पद से गत वर्ष रिटायर हुआ है। मात्र डिप्लोमा पास, भ्रष्टाचार की सीढ़ी लगा कर, तमाम नियमों को ताक पर रख कर एसई के पद तक जा पहुंचा। खेड़ी कला गांव के मूल निवासी, फौजी सिपाही के पुत्र एवं पौना एकड़ ज़मीन के मालिक आज सैंकड़ों करोड़ के मालिक हैं। पांच विभिन्न कंपनियों के खुद तो डायरेक्टर हैं ही, बेटे को भी तब से डयरेक्टर बनाना शुरू कर दिया था जब वह मात्र 10 साल का था। इनके लम्बे-चौड़े हिसाब किताब में से कुछ कम्पनियों व जायदादों का व्योरा जो मिल सका वह इस प्रकार है:
जगदम्बा बिल्डर्स 27 फरवरी 1996 को रजिस्टर हुई जिसमें इनका 10 वर्षीय पुत्र हिमांशु नर्वत डायरेक्टर बना था, जाहिर है वह तो नाम मात्र का ही था, क्योंकि पैसा धर्म सिंह की लूट का लगा था। दूसरी डायरेक्टर थी रमेश देवी जो पूर्णतया अनपढ एवं अंगूठा छाप है, वह महिपाल नर्वत, मौजूदा सीनियर टाउन प्लानर की पत्नी होने के नाते डायरेक्टर बनी थी क्योंकि महिपाल को भी अपना काला धन निवेश करना था। कम्पनी का पता विष्णु पैलेस नीलम पुल, अजरोंदा चौक फरीदाबाद दर्ज कराया गया। इसी पते पर इन लोगों ने विष्णु पैलेस नाम से शानदार व्यापारिक इमारत तैयार करके बेची और मोटा मुनाफा कमाया। आज भी इनकी एक-एक दुकान इसमें मौजूद है।
दूसरी कम्पनी बनाई-एचएमडी इन्टरप्राइसेस एलएलपी यानी हिमांशु, मुनीष व धर्म सिंह। मुनीष इनकी पत्नी है जो शिक्षा विभाग को यथा-शक्ति लूटने में जुटी है। यह कम्पनी मकान नम्बर 478 सेक्टर 14 के पते पर रजिस्टर्ड है। करोड़ों रुपये का यह प्लॉट भी इनका अपना है। इस कंपनी का पंजीकरण 14 सितम्बर 2015 को कराया गया था। हिमांशु नर्वत, सुखी राम व अजय नर्वत इसके डायरेक्टर बनाये गये थे जो 2020 में सुखी राम व अजय की जगह बलजीत सिंह को डायरेक्टर बनाया गया। बलजीत सिंह मनशा ग्रुप का मालिक है जिसके साथ धर्म सिंह भविष्य में लम्बी पारी खेलने की योजना बना चुका था। इसी कम्पनी के नाम पर धर्म सिंह ने गुडग़ांव के सुभाष चौक से पटोदी रोड तक चार सीएनजी पम्प पहले से ही लगा रखे थे। इन पम्पों के लिये जमीन की एलॉटमेंट बतौर ‘हूडा’ प्रशासक अनीता यादव ने तमाम नियमों को तोड़ कर किया था। इनमें हीरो हांडा चौक वाला पम्प सबसे महत्वपूर्ण कमाई वाला है।
तीसरी कम्पनी मनशा इन्फ्रा एस्टेट प्राइवेट लि. के नाम से 21 जुलाई 2020 को पी-23 सेक्टर 75 फरीदाबाद के पते पर रजिस्टर कराई गयी। इसमें नरेश कुमार मलिक, हिमांशु और धर्म सिंह बतौर डायरेक्टर हैं। यह कम्पनी नहर पार के ग्रेटर फरीदाबाद में एक बड़ा टाउनशिप बनाने में जुटी है।
चौथी कम्पनी है मनशा बिल्ड कॉन प्रा.लि. जो 21 जून 2006 को उपरोक्त पते पर ही दर्जकराया गया था और डायरेक्टर भी वही सब थे; लेकिन 2020 में धर्म सिंह के रिटायर होने के बाद उन्हें भी इसमें डायरेक्टर बना दिया गया। पांचवी कंपनी एलटीवाई फार्मज़ प्रा.लि. दिनांक 5 मार्च 2014 को एससीएफ-157 सेक्टर 9 के पते पर रजिस्टर कराई गयी थी। इसमें बलजीत सिंह व हिमांशु नर्वत डायरेक्टर बने थे लेकिन पांच फरवरी 2021 को इसमें धर्म सिंह भी डायरेक्टर हो गये।
इन उक्त कम्पनियों के माध्यम से धर्म सिंह परिवार ने कितना काला-पीला धन बटोरा वह तो विस्तृत तफ्तीश का विषय है। फ़िलहाल इनके पास चौड़े में दिख रही सम्पत्तियां इस प्रकार हैं: सेक्टर 14 में 650 गज़ का प्लॉट नम्बर 604 पर बना कर शानदार मकान जो पत्नी मुनीष के नाम है। इसी सेक्टर में दूसरा प्लॉट नम्बर 478 जो पुत्र हिमांशु के नाम पर है। जी.एफ. 1 विष्णु पैलेस, गांव खेड़ी के पुश्तैनी पौना एकड़ खेत की ज़मीन, गांव भतौला में अपनी मां वती के नाम पर 7 एकड़ ज़मीन 2001 में खरीदी थी जिसे त्रिवेणी बिल्डर्स को बेच दिया था। इसके एवज में एक करोड़ 30 लाख 4 हज़ार 125 रुपये वर्ष 2008 में तथा 5 करोड़ 85 लाख 16 हजार 500 रुपये सन् 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट के माध्यम से मिले थे। इसके अलावा नम्बर 2 में लिये गये पैसे अलग से हैं जिनका कोई हिसाब नहीं होता।
मां के नाम पर सात एकड़ भतोला व 22 एकड़ ज़मीन घोड़ी गांव में खरीदी सन् 2009 में धर्म सिंह ने 22 एकड़ ज़मीन पलवल जि़ले के घोड़ी गांव में अपनी मां वती के नाम से खरीदी थी। विदित है कि इनके फौजी पिता 1962 की चीनी लड़ाई में शहीद हो गये थे। उनकी फौजी पेंशन इनकी माता जी को मिलती थी जिससे उन्होंने इन्हें पाल-पोस कर डिप्लोमा करा दिया। जाहिर है उनके पास ऐसे कोई साधन नहीं थे जो वे 22 एकड़ ज़मीन घोड़ी व सात एकड़ ज़मीन भतौला में खरीद सकती। यह सारा धंधा धर्म सिंह द्वारा नगर निगम से लूटे गये धन को ठिकाने लगाने का था। जिस मां के नाम पर धर्म सिंह इतना खेल खेलता रहा उसी मां के लिये इसके घर में जगह नहीं थी, इसलिये वे अपनी बहन के घर गांव सिहोल (पलवल) में रही। इतना ही नहीं धर्म सिंह की पत्नी मुनीष वहां भी अपनी सास को धमकाने पहुंच गयी तो परिजनों ने मुनीष की डंडों से अच्छी-खासी पिटाई कर दी। मुनीष ने पुलिस बुलाई तो उल्टा सवाल उसी पर उठा कि वह यहां करने क्या आई थी? फिर धर्म सिंह पहुंचा और जैसे-तैसे पत्नी को वहां से निकाल कर लाया।
बेटी की पढ़ाई व शादी पर करोड़ों का खर्च धर्म सिंह ने बेटी रिचा चौधरी को तीन साल तक कोटा से कोचिंग दिलाने के बाद महाराष्ट्र के लोनी पखरा स्थित मेडिकल कॉलेज में 1 करोड़ की पेड सीट पर एमबीबीएस में दाखिला कराया; उसके बाद दो करोड़ देकर जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज वर्धा से एमडी में दाखिला कराया। फिर सन् 2016 में उसकी शादी सूरजकुंड स्थित ताज विमांता में शाही ढंग से की जिसमें 80 लाख की ऑडी कार नं. एचआर-51-बीजे 4555 दी गयी तो साफ दिखाई दी बाकी जो करोड़ों का खर्च किया वह अलग से। इसी कार की बाबत जब आयकर विभाग वाले पूछताछ करने बेटी के पास पहुंचे तो उसने साफ कहा कि उसके पापा ने दी है। इसके बाद तो आयकर विभाग में धर्म सिंह का खाता खुल गया। जानकर बताते हैं कि इस विभाग ने उसे 17 करोड़ की पेनल्टी का नोटिस थमा रखा है।
बेटी की उक्त गाड़ी के अलावा भी इनके पास अनेकों लग्ज़री गाडिय़ां हैं। इनमें से कुछ का ब्योरा हाथ लगा है जो इस प्रकार है: क्रेटा एचआर-बीजे-2624 बेटे हिमांशु के नाम, एचआर-51-बीबी 9671 नम्बर की स्विट डिज़ायर भी हिमांशु के ही नाम पर दर्ज है। इस परिवार के पास जेवरात का हिसाब लगाना आसान नहीं लेकिन अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इनकी पत्नी मुनीष चौधरी, जि़ला मौलिक शिक्षा अधिकारी, हर समय किलो भर सोना तो अपने जिस्म पर लादे रहती हैं। बिना स्वीकृति के विदेश यात्रायें सरकार द्वारा बनाये गये कानून कायदों के अनुसार किसी भी सरकारी कर्मचारी को विदेश यात्रा के लिये सरकार से अनुमति लेनी अनिवार्य होती है। इतना ही नहीं की गई विदेश यात्राओं का हिसाब-किताब आयकर विभाग को भी देना होता है। परन्तु धर्म सिंह व उनकी पत्नी मुनीष चौधरी ने सरकारी सेवा में होने के बावजूद कभी भी इन नियमों का पालन करने की कभी कोई जरूरत नहीं समझी। भ्रष्ट राजनेताओं एवं बिके हुए अफसरों से अपने ‘अति मधुर’ सम्बन्धों के चलते यह दम्पत्ति उनमुक्त एवं बेखौफ होकर सरकारी नौकरी की मस्ती काटता रहा है।
इनके द्वारा की गई मॉरीसिश व दुबई आदि की यात्राओं का पूरा विवरण तो इनके पासपोर्टों से ही, यदि सरकार चाहे तो प्राप्त कर सकती है। सूत्रों द्वारा उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह दम्पत्ति 20-25 जून अथवा जुलाई 2018 में दुबई घूमने गया था। जानकारों का अनुमान यह भी है कि उस र्दाैरान इनके किसी पड़ोसी एवं करोबार में सांझेदार के बेटे की शादी का आयोजन वहां पर किया गया था।
इन यात्राओं का न तो आयकर विभाग को कोई व्योरा दिया गया है और न ही सरकार से कोई अनुमति ली गई थी। अनुमति तो दूर की बात पत्नी मुनीष चौधरी ने तो अपने विभाग से साधारण छुट्टी तक भी लेने की जरूरत नहीं समझी थी। यानी कि घुमाई-फिराई विदेश में हो रही थी और हाजरी दफ्तर में लग रही थी। आखिर इस मौज-मस्ती और बेफिक्री का आधार, भ्रष्टाचार व चापलूसी नहीं तो क्या है?
इस लूट कारोबार में धर्म सिंह कोई इकलौता लुटेरा नहीं है, लगभग तमाम छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक इस लूट में अपनी-अपनी औकात के अनुसार बेखौफ होकर जुटे हुए हैं, क्योंकि राजनेताओं का पूरा संरक्षण, हिस्सा-पत्ति के आधार पर इन्हें प्राप्त है।