प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किया नोटिस
फरीदाबाद (म.मो.) हाल-फिलहाल में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बादशाहपुर स्थित एसटीपी (सीवेज शोधन प्लांट) द्वारा शोधित जल के जो नमूने लिये थे वे बूरी तरह से फेल हो गये। जो बीओडी 10 होना चाहिये वो 78 पाया गया तथा जो सीओडी 50 होना चाहिये वो 315 पाया गया। यह कोई नई बात नहीं है। बीते 10-15 साल में अथवा यों कहें कि जब से यह प्लांट व अन्य दो प्लांट (मिर्जापुर व प्रतापगढ़) लगे हैं तब से लेकर आज तक किसी के भी नमूने कभी पास नहीं हो पाये और न ही कभी होने की सम्भावना है।
अपना फर्ज अथवा औपचारिकता निभा कर अपनी उपयोगिता सिद्ध कराते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर निगम के ची$फ इंजीनियर को नोटिस देकर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली है। इसके अलावा अधिक से अधिक, बोर्ड द्वारा नगर निगम पर कुछ जुर्माना लगाया जा सकता है। फिलहाल तो बोर्ड ने नगर निगम से केवल जवाब तलब किया है। जवाब देने में नगर निगम को कभी कोई दिक्कत नहीं होती। इसका भी बड़ा सधा-सधाया एवं नपा-तुला जवाब दे दिया जायेगा। जो सभी को मालूम है।
सवाल यह पैदा होता है कि इस जवाब तलबी से अथवा जुर्माना वसूली से जनता को क्या लाभ होने वाला है? इस प्रदूषित जल से यमुना नदी तो प्रदूषित हो ही रही है, इसके अलावा जो सीवेज इन प्लांटों तक पहुंचता ही नहीं और सीधे ही आगरा एवं गुडग़ांव नहर में डाल दिया जाता है, उससे इन नहरों का पानी भी प्रदूषित होकर पूरे क्षेत्र में जहर फैलाने का काम कर रहा है। यह पानी खेतों में जाकर फसलों को जहरीला बना रहा है तो दूसरी ओर इसे पीने से पशु-धन भी बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है।
क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केवल नोटिस जारी करने तथा जुर्माना वसूलने के लिये ही बना रखा है? क्या इतना भर करने से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल जायेगी? यदि मिलनी होती तो, बीते 30-40 साल से ‘काम’ कर रहे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य को प्रदूषण मुक्त कर दिया होता। इसके विपरीत इन बीते वर्षों में प्रदूषण स्तर लगातार बढता ही जा रहा है जो इस बोर्ड की अनुपयोगिता को सिद्ध करने के लिये पर्याप्त है। नोटिस देने व जुर्माना वसूलने का काम तो सरकार का कोई भी दूसरा महकमा कर सकता है, फिर इस बोर्ड को पालने-पोसने पर कर दाता का पैसा क्यों बहाया जा रहा है?
नगर निगम का सधा-सधाया एक ही जवाब है कि उक्त तीनों प्लांट फलां, फलां, फलां कारणों से बेकार हो चुके हैं और नये प्लांट लगा कर ही सीवेज शोधन का काम सफलतापूर्वक किया जा सकेगा। ये प्लांट कब तक लग पायेंगे और क्या नये लगने वाले प्लांट भी ऐसे ही नाकारा साबित नहीं होंगे, इसका कोई पुख्ता जवाब किसी के पास नहीं है। हां, ‘मज़दूर मोर्चा’ इतना जरूर जानता है कि जब तक अनपढ़ इंजीनियर तथा लुटेरे शासक-प्रशासक रहेंगे प्रदूषण दिन दूणा रात चौगुणा बढ़ता रहेगा। सीवेज शोधन की बात तो छोडिय़े पेयजल तक के नमूने भी यहां कभी पास होकर नहीं आ सके।