भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले व्हिसल ब्लोअर पर लगाया निजी स्वार्थ का आरोप, सीएम विंडो से ब्लैकलिस्ट करने की सिफािरश की फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली खट्टर सरकार के नुमाइंदे ही नगर निगम में मची लूट-खसोट और भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में जुटे हैं। विज्ञापन विभाग में चल रही धांधली की शिकायत करने वाले व्हिसल ब्लोअर को सीएम विंडो की प्रख्यात नागरिक ने ब्लैकमेलर बता कर शिकायत बंद करवा दी। इससे आहत पीडि़त ने सीएम विंडो पर प्रख्यात नागरिक के खिलाफ शिकायत दर्ज करा कार्रवाई की मांग की है।
मुजेसर निवासी दीपक गोदारा नगर निगम की विज्ञापन शाखा में अनुबंध कर्मचारी रह चुके हैं। उनके अनुसार ड्यूटी के दौरान उन्होंने पाया कि प्रतिबंध के बावजूद मोबाइल वैन और पोल कियॉस्क पर विज्ञापन लगाए जा रहे हैं और इनसे होने वाली लाखों रुपयों की कमाई की बंदरबांट हो रही है, जबकि निगम के खजाने में कुछ नहीं जा रहा। इसी तरह गैंट्री और यूनीपोल भी निर्धािरत संख्या से कहीं अधिक लगवा कर मोटी कमाई की जा रही है। उन्होंने इसका विरोध किया तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
उन्होंने भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सीएम विंडो पर 30 दिसंबर 2022 को इसकी शिकायत दर्ज कराई। निगम के अधिकारियों ने शिकायत में दर्शाए गए बिंदुओं का जवाब नहीं दिया और विद्वेष की भावना से शिकायत करने का आरोप लगाया।
सीएम विंडो की प्रख्यात नागिरक रीता गोसाईं ने भी दीपक पर निजी स्वार्थ में आरटीआई लगाने और सीएम विंडो पर शिकायत करने का आरोप लगाते हुए उसे ब्लैकलिस्ट करने की सिफािरश कर दी। दीपक गोदारा का आरोप है कि भाजपा में विभिन्न ओहदों पर रह चुकीं रीता गोसाईं ने शिकायत के बारे में उनसे एक बार भी संपर्क नहीं किया और निगम अधिकारियों की मिलीभगत से उनके खिलाफ मनगढ़ंत रिपोर्ट तैयार कर भेज दी।
शिकायत की जांच तक नहीं की गई। उन्होंने सीएम विंडो पर फिर से आवेदन किया है कि यदि उनकी शिकायत गलत पाई जाए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए, यदि सही हो तो प्रख्यात नागरिक रीता गोसाईं के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने की कार्रवाई की जाए।
24 आरटीआई लगाईं लेकिन नहीं मिला जवाब नगर निगम की विज्ञापन शाखा में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दीपक गोदारा 24 आरटीआई लगा चुके हैं लेकिन अधिकारियों ने जवाब नहीं दिया। आरटीआई का जवाब नहीं दिए जाने की शिकायत उन्होंने दो बार सीएम विंडो पर भी की लेकिन कार्रवाई के नाम पर उन्हें ही आरटीआई और सीएम विंडो से ब्लैकलिस्ट किए जाने की तैयारी की जा रही है। यदि नगर निगम की विज्ञापन शाखा में सबकुछ ठीक है तो अधिकारियों को आरटीआई के जवाब देने में देर नहीं करनी चाहिए।
जिस आरटीआई कार्यकर्ता एवं पूर्व निगम कर्मचारी गोदारा को ब्लैकलिस्ट करने की चर्चा चल रही है आखिर उसने पूछा ही क्या है? यही न कि कितने विज्ञापन लग रहे हैं और निगम की कितनी आय हो रही है। यदि निगम अधिकारी इस धंधे में मोटी डकैती नहीं मार रहे तो हिसाब किताब क्यों नहीं सार्वजनिक करते? रही बात रीता गोसाईं की तो उन्हें इन लुटेरे अधिकारियों द्वारा अपने पक्ष में करना क्या मुश्किल है। पूछने पर दीपक गोदारा ने बताया कि उन्होने 21 दिसंबर 2021 को राज्य सूचना आयोग में दूसरी अपील की थी। जिसका आज तक जवाब नहीं आया, और अगले कई वर्षों तक आने की संभावना भी नहीं है।