फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) शहर में चौक चौराहों पर कूड़े-कचरे का अंबार बढ़ता जा रहा है और सफाई की जिम्मेदार नगर निगम व ईकोग्रीन के बीच नूरा कुश्ती जारी है। नगर निगम कार्रवाई के नाम पर ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी का पाखंड कर रहा है तो ईकोग्रीन प्रबंधन दिन में दो बार कूड़ा उठाने के जुबानी दावे कर रहा हैं। इन सबके बीच आम जनता कूड़े के सड़ते ढेरों से उठने वाली बदबू और बीमारी फैलाने वाली कीटाणुओं से जूझने को मजबूर है।
स्वदेशी का राग अलापने वाली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री खट्टर ने चीन की कंपनी ईकोग्रीन को फरीदाबाद-गुडग़ांव में घर-घर से कूड़ा इकट्ठा करने और इस कूड़े का उपयोग कर बिजली बनाने का लाइसेंस करीब नौ साल पहले दिया था। कूड़े को बंधवाड़ी प्लांट तक पहुंचाने और बिजली बनाने के लिए सरकार द्वारा कंपनी को एक हजार रुपये प्रति टन की दर से भुगतान किया जाना था। इसके अलावा कंपनी घर-घर, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से भी कूड़ा उठाने का शुल्क वसूलती है। ईकोग्रीन कंपनी के आने से पहले जनता को यह सुविधा मुफ्त ही उपलब्ध थी और शहर में कूड़ा कचरा इस तरह नहीं दिखता था जिस तरह वर्तमान में हर चौक चौराहे और गलियों के नुक्कड़ पर दिखता है।
सरकार की ही तरह ईकोग्रीन कंपनी ने भी काम तो नहीं किया लेकिन काम का ढिंढोरा पीटने का ड्रामा कर अधिकारियों की मिलीभगत से लूट कमाई की। इस दौरान नौ साल में शहर की सफाई व्यवस्था बद से बदतर होती चली गई। फ्लॉप हो रही ईकोग्रीन को बचाने के लिए सरकार के इशारे पर नगर निगम प्रशासन ने अपने संसाधन, ट्रैक्टर और चालक आदि भी उपलब्ध कराने का खेल किया। सरकार की गोदी में बैठे कंपनी प्रबंधन ने कभी भी संसाधन बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया। अब चुनावी वर्ष शुरू हो चुका है सरकार के पास जनता को दिखाने के लिए कोई काम नहीं है। ऐसे में शहर में कूड़े के बढ़ते ढेरों से सरकार की फजीहत हो रही है। सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए ईकोग्रीन कंपनी पर कार्रवाई करने का पाखंड कर रही है। इसी पाखंड के तहत स्थानीय शहरी निकाय विभाग ने कंपनी पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया और ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी जारी कर जनता को संदेश दिया गया कि सरकार कठोर है। कंपनी प्रबंधन भी सरकार की तरह बड़े बड़े दावे कर जनता को वरगला रहा है। कंपनी प्रबंधन के अनुसार फरीदाबाद में अब खत्तों से दिन में दो बार कूड़ा उठाया जाएगा ताकि जरा भी गंदगी न रहे, इसके लिए कंपनी नए पांच हाइवा खरीदेगी। स्थानीय शहरी निकाय विभाग मुख्यालय को करीब से जानने वालों का कहना है कि कंपनी को प्रति माह जितना भुगतान किया जाता है और कंपनी घर घर से कमाती है उसका बहुत छोटा अंश ही जुर्माना लगाया गया है, यह वसूला भी जाएगा या नहीं कहना मुश्किल है। अखबारों में खबर छपवा कर जुर्माना लगाने का संदेश जनता को दे दिया गया यह बहुत है। इनके मुताबिक मोदी-खट्टर सरकार का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट होने के कारण ईकोग्रीन के फ्लॉप होने पर सरकारों के झूठ और आडंबर की पोल खुल जाएगी, इसलिए हजारों कमियां और खामियां होने के बावजूद सरकार द्वारा इस कंपनी को ढोया जा रहा है। तैयारी तो यह भी है कि यदि दोबारा खट्टर सरकार नहीं बनी जिसकी प्रबल संभावना है तो चुनाव से कुछ समय पहले सरकार कंपनी का लाइसेंस समाप्त कर उसे भगा देगी ताकि नई सरकार में उसकी फजीहत न हो सके।