फरीदाबाद (विकास शर्मा) निगम पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हुए काफी समय हो चुका है। लेकिन अभी तक निगम चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। कयास यह लगाए जा रहे थे कि फरवरी में चुनाव हो सकते हैं लेकिन दोबारा वार्डबंदी होने की वजह से तारीख निश्चित नहीं हो रही है। पार्षद चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपनी कमर कस रखी है। प्रत्येक पार्टी के नेता फ्लेक्स बोर्ड के माध्यम से अपने आप को भावी पार्षद उम्मीदवार के रूप में जनता के सम्मुख एकाएक प्रकट होने का काम कर रहे हैं। इनमें से तो कुछ भावी पार्षद उम्मीदवार ऐसे हैं जिनको अपने वार्ड की भौगोलिक स्थिति का भी ज्ञान नहीं है जो वार्ड बंदी से पहले की है। ऐसे नेता सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।
भाजपा, कांग्रेस, आप पार्टी, निगम चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने को तैयार है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी उन नेताओं को संजीवनी बूटी दे गए जो कहते थे कि पार्टी में अब दम नहीं रहा। हरियाणा में यात्रा को मिले प्यार से अन्य दल कांग्रेस को लेकर सचेत दिख रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस निगम चुनाव में एक अच्छी संख्या में अपने उम्मीदवारों को जितवा कर निगम सदन में भेज सकती हैं। भाजपा पार्टी शासन में है। भाजपा व जजपा मिलकर निगम चुनाव लड़ेगी या नहीं वो आने वाला समय बताएगा। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा मिलकर चुनाव लडऩे की चल रही है। मिलकर चुनाव लडऩे को लेकर पार्टी नेताओं के बयान भी आ चुके है। सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टी के बीच रस्साकशी हो सकती हैं। जिसका फायदा दूसरी पार्टी को मिलना स्वभाविक है। शासन में होने के नाते भाजपा में कई कार्यकर्ता पार्षद उम्मीदवार की दावेदारी दिखा रहे हे।
ये नेता अपने स्थानीय आलाकमान के सभी कार्यक्रमों में अपनी हाजरी लगवाने में पीछे नहीं रहते । अब यह देखना होगा कि आलाकमान अपने चाहने वालों को चुनाव लड़वाती है या फिर जनता के बीच रहने वाले कार्यकर्ता को। दिल्ली से सटे होने के कारण आप भी पहले से जिले में काफी मजबूत लग रही है।
दिल्ली निगम चुनाव में बहुमत के कारण यहां कार्यकर्ताओं में काफी जोश है। पार्टी के अंदर कुछ ऐसे पुराने चेहरे हैं जिन्होंने पार्टी को खड़ी करने में काफी योगदान दिया है। आप भी जिले में निगम चुनाव में जादुई करिश्मा दिखा सकती हैं। आज़ाद उम्मीदवारों का भी निगम चुनाव में बहुत बोलबाला रहता है। आज़ाद उम्मीदवार पार्टियों के उम्मीदवारों पर कई बार भारी पड़ते दिखे हैं। ये उम्मीदवार वार्ड की जनता में लोकप्रिय होते हैं और अपनी छवि के बलबूते सदन में पहुंचते हैं। पार्षद पद राजनीति में बड़ा नेता बनने की पहली सीढ़ी होती है। देखना यह होगा कि चुनावों मे कौन भावी पार्षद उम्मीदवार वास्तविक उम्मीदवार बनता है?