संघी संजय गुप्ता की कंपनी याशी कंसल्टेंसी की गलतियों का खामियाजा भुगत रही आम जनता फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) हाउस टैक्स वसूली के बावजूद जनता से अतिरिक्त ठगाई करने की नीयत से खट्टर द्वारा चलाई गई प्रापॅर्टी आईडी योजना का खामियाजा आम जनता आज तक भुगत रही है। नगर निगम के बल्लभगढ़ जोन कार्यालय ने तिगांव रोड स्थित शव दाहगृह के प्रबंधन को साढ़े पांच लाख रुपये प्रॉपर्टी टैक्स जमा कराने का नोटिस भेजा है। इसकी सूचना जब श्मशान घाट प्रबंधन समिति के प्रधान लीलू पहलवान को मिली तो पहले तो उन्होंने समझा कि ये नोटिस उनकी किसी निजी संपत्ति के बारे में होगा, लेकिन उनकी इतनी बड़ी संपत्ति वहां आसपास है नहीं, इसलिए उन्होंने नोटिस का हवाला देकर निगम कार्यालय को बताया कि श्मशान घाट पर तो कोई टैक्स होता नहीं लेकिन जवाब मिला कि पहले टैक्स तो भरना ही पड़ेगा बाद में सुनवाई करेंगे। इस पर लीलू ने धमकाते हुए कहा कि अभी आ रहा हूं तुम्हें वहीं दूं मैं टैक्स। जब तक लीलू पहलवान वहां पहुंचते सभी संबंधित कराधान बाबू वहां से नौ दो ग्यारह हो चुके थे।
अगले दिन लीलू पहलवान फिर गए और उन्हें खूब हडक़ाते हुए कहा कि श्मशान को अटैच करने का दम तुम्हारे में तो क्या तुम्हारे कमिश्नर और उसके बाप तक में नहीं है। तुम्हारे में दम है तो श्मशान घाट को अटैच ही करके दिखा दो, सारे मुर्दे तुम्हारे ही दफ्तर में लाकर फूकेंगे। इस पर तमाम कार्यालय में हडक़ंप मच गया और सब गिड़गिड़ाते हुए कहने लगे कि हमारा नोटिस वापस दे दो। जवाब में लीलू ने कहा कि नोटिस वापस नहीं किया जाएगा, तुम्हारी मूर्खता और हरामखोरी के इस प्रमाणपत्र को सारे शहर में प्रचारित किया जाएगा। दरअसल ये सारी गड़बड़ी खट्टर की चहेती याशी कंसल्टेंसी द्वारा बनाई गईं फर्जी प्रापर्टी आईडी के कारण पैदा हुई हैं। पहले प्रॉपर्टी आईडी बनाने का काम नगर निगम ही करता था। इसके लिए उसके पास पर्याप्त मात्रा में कुशल कर्मचारी भी होते थे। ये कर्मचारी प्रापर्टी का पहले भौतिक सत्यापन व उसकी नाप जोख कर प्रापर्टी आईडी बनाते थे। खट्टर सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए पहले इन कर्मचारियों को निकम्मा, भ्रष्ट बता कर उनसे ये काम छीन लिया और याशी कंसल्टेंसी को लूट का ठेका दे दिया गया। कंपनी के अयोग्य कर्मचारियों ने जो झूठा और फर्जी डेटा बना कर निगम को दे दिया उसके आधार पर कर्मचारी नोटिस जारी कर रहे हैं। इन बेचारे कर्मचारियों को तो ये पता ही नहीं होता कि उन्हें जो फीडबैक दिया गया है वो सही है या नहीं।
लूट कमाई करने वाली खट्टर सरकार ने प्रॉपर्टी आईडी बनाने के नाम पर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने का पाखंड रच कर इसे जनता पर थोप दिया। प्रॉपर्टी आईडी बनाने का ठेका खट्टर ने अनुभवहीन संजय गुप्ता को दे दिया था, क्योंकि उसकी योग्यता संघ की शाखाओं में ढोल पीटने और लाठी भांजने की थी। ठेका मिलते ही संजय गुप्ता ने अपनी याशी कंसल्टेंसी कंपनी में प्रॉपर्टी आईडी बनाने के अति आधुनिक और तकनीकी काम के लिए दसवीं-बारहवीं पास नौसिखियों को लगा दिया। शहर में कंपनी ने 5.71 लाख प्रापर्टी आईडी बनाईं जिनमें 90 प्रतिशत से भी ज्यादा गड़बड़ और गलत थीं जो आज तक पूरी तरह से सही नहीं की जा सकी हैं। इन्हें ठीक कराने के लिए स्थानीय लोगों को निकाय कार्यालयों के चक्कर तो काटने ही पड़ रहे हैं मोटा सुविधा शुल्क भी चुकाना पड़ रहा है।
याशी कंसल्टेंसी की हरामखोरी की गाज तिगांव रोड स्थित शव दाहगृह प्रबंधन पर पड़ी है। शव गृह का प्रबंधन देख रहे बाल कृष्ण शर्मा का कहना है कि शव दाहगृह धार्मिक कार्य स्थल है और नियमानुसार इस तरह की प्रॉपर्टी टैक्स मुक्त होती है लेकिन कर्मचारियों ने उन्हें टैक्स की रकम जमा करवाने के बाद ही कोई सुनवाई की जाने की बात कही। याशी कंसल्टेंसी की करतूत से आम जनता आज भी परेशान है लेकिन खट्टर ने संघी साथी संजय गुप्ता को 57 करोड़ रुपये का भुगतान करा दिया। कंपनी पर जुर्माना लगाने और गलत प्रॉपर्टी आईडी उससे या उसके खर्च पर सही करवाने के बजाय खट्टर ने ठेका रद्द कर अभयदान देकर चले जाने दिया। कंपनी तो करोड़ों रुपये लेकर चली गई, रह गए ठगी का शिकार हुए प्रॉपर्टी मालिक तो बेचारे वे नगर निगम के टैक्सेशन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की मुट्ठी गर्म कर प्रॉपर्टी आईडी दुरुस्त कराने को मजबूर हैं।