फरीदाबाद (म.मो.) विभागीय परीक्षा देने के लिये तमाम नायब तहसीलदार बीते सोमवार यानी 13 दिसम्बर से शुक्रवार तक पंचकूला में रहेंगे। इस दरमियान उप तहसीलों का काम-काज सुचारू रखने की कोई व्यवस्था प्रशासन की ओर से नहीं की गई। विदित है कि जायदादों की खरीद-फरोख्त के पंजीकरण का अति महत्वपूर्ण काम इन उप तहसीलों में होता है, इस काम में के्रताओं विके्रताओं का करोड़ों रुपया दांव पर लगा होता है।
इस काम के लिये सम्बन्धित लोग न केवल देश के विभिन्न भागों बल्कि विदेशों से भी आते हैं। सब लोगों ने अपने आने-जाने की टिकट व अन्य कार्यक्रम तय किये होते हैं। लेकिन तहसील में काम और वह भी पूरे एक हफ्ते तक न होने के चलते इन लोगों का भारी नुक्शान होना तय है। वयोवृद्ध तथा विकलांग तहसील के धक्के खाकर सरकार को कोसते व गालियां देते हुए घरों को लौट रहे हैं। जिन लोगों ने विक्रताओं को करोड़ों की पेमेंट कर दी है और रजिस्ट्री हो नहीं रही उनका चिन्ताग्रस्त होना स्वाभाविक है।
‘हूडा’ द्वारा विशेष प्रशासनिक फीस लेकर 90 दिन के भीतर जायदाद का पंजीकरण प्रमाणपत्र ‘हूडा’ में जमा कराना होता है। जब रजिस्ट्री समय पर नहीं होगी तो ‘हूडा’ में प्रमाणपत्र कैसे जमा हो पायेगा? ऐसे में ‘हूडा’ विभाग फिर से नई परमिशन जारी करने के नाम पर दोबारा फीस वसूलता है।
इन्हीं सब मुद्दों को लेकर फीवा (फरीदाबाद एस्टेट एजेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) के पदाधिकारी डीआरओ (डिस्ट्रिक्ट रेवेन्यू ऑफीसर) के दफ्तर में जा पहुंचे। उन्होंने समस्या को समझते हुए तहसीलदार बल्लबगढ़, फरीदाबाद व बडखल को यह काम सौंपे जाने के बाबत उपायुक्त की ओर फाइल बढाते हुए लोगों को शांत किया।
संदर्भवश फरीदाबाद तहसील का काम-काज भी तहसीलदार बडखल ही देख रही है। इस प्रकार केवल दो तहसीलदार ही इन तमाम उप तहसीलों का काम निपटायेंगी। लेकिन मजे की बात तो यह है कि डीआरओ द्वारा चलाई गई फाइल से निकल कर कोई आदेश इन तहसीलदारों के पास शुक्रवार तक भी नहीं पहुंच पाया। यही है मनोहर लाल खट्टर का डिजिटल एवं ऑनलान सिस्टम।
उप तहसीलों की खस्ता हालत सैंकड़ों हजारों लोग रोजाना इन तहसीलों में आकर सरकार को करोड़ों रुपया बतौर टैक्स देकर जाते हैं। इसके बावजूद इन तहसीलों की हालत कबाडख़ानों सी बनी हुई है। न कोई बैठने का इंतजाम है और न ही टॉयलेट की व्यवस्था। पानी की टूटियां टूटी पड़ी है, कोई पूछने वाला नहीं है।