न तनख्वाह, न पद फिर भी साहब नगर निगम में जेई हैं

न तनख्वाह, न पद फिर भी साहब नगर निगम में जेई हैं
October 01 12:03 2023

नगर निगम में क्यों न हो भ्रष्टाचार

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम को लूट कर इसे भ्रष्टाचार का केंद्र बनाने वाले हरामखोर अधिकारी यहां अपने ही नियम कानून चलाते हैं। नगर निगम का पूर्व कर्मचारी वीर सिंह कोई पद नहीं होने के बावजूद जूनियर इंजीनियर के रूप में काम कर रहा है। कहीं से वेतन नहीं मिलने के बावजूद उसे वार्ड 31 का काम सौंप दिया गया। महीनों से वह यह न सिर्फ देख रहा है बल्कि ऊपर से आने वाले आदेश का पालन कर उसकी रिपोर्ट भी बना कर भेज रहा है। निगम में चर्चा है कि एसई ओमबीर के साथ हिस्सा पत्ती होने के कारण वह निगम में लूट कमाई वाले काम संभालता है।

नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार वीर सिंह यहां 2012 तक निगम रोल पर कार्यरत था। इसके बाद नगर निगम में सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को ठेके पर रखा जाने लगा तो वीर सिंह भी ठेका कर्मचारी बन गया। नवंबर 2021 में खट्टर ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम की स्थापना की घोषणा की। अप्रैल 2022 से सभी ठेका कर्मियों को एचकेआरएन के तहत भर्ती किया जाने लगा। नगर निगम में ठेके पर लगे जेई सहित अन्य कर्मचारियों को नोटिस जारी कर एचकेआरएन में पंजीकरण कराने के निर्देश कई बार जारी किए गए। वीर सिंह को छोड़ कर बाकी सभी जेई एचकेआरएन में पंजीकरण करा भर्ती भी हो गए। एचकेआरएन के तहत भर्ती होने के बजाय वीर सिंह ने न्यायालय में याचिका दायर कर दी।

अक्तूबर में सर्विस प्रोवाइडर यानी ठेका कंपनी का अनुबंध समाप्त हो गया। अनुबंध समाप्त होने के कारण वीर सिंह को वहां से वेतन मिलना बंद हो गया और एचकेआरएन में पंजीकरण नहीं होने के कारण वह अधिकृत रूप से नगर निगम का कर्मचारी नहीं रहा। नगर निगम में 16 दिसंबर को कार्यालय आदेश जारी कर जेई की पोस्टिंग की गई। कर्मचारी नहीं होने के बावजूद उस आदेश में वीर सिंह को जेई दर्शाते हुए वार्ड नंबर 31 का प्रभारी बना दिया गया। बताया जाता है कि वीर सिंह को यह पद उसके आका एसई ओमबीर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दिलाया, हालांकि ओमबीर ने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर यह काम किया।

वीर सिंह बीते आठ-नौ महीनों से बिना वेतन के वार्ड नंबर 31 में हर काम करवा रहा है। जनता की शिकायतों का निस्तारण कराने से लेकर ऊपर से आने वाली चि_ियों का जवाब और रिपोर्ट तैयार करने के साथ ही वार्ड के विकास कार्यों के लिए ठेकेदारों से संपर्क वही करता है।

जाहिर सी बात है कि वीर सिंह बिना वेतन इस पद पर कोई समाजसेवा के लिए तो काम कर नहीं रहा है। अधिकारियों का वरद्हस्त होने के कारण अपना और ऊपर वालों का खर्चा वह यही काम करते हुए निकाल रहा है, तभी तो आज तक बेताज बादशाह की तरह टिका हुआ है।

निगम आयुक्त मोना ए श्रीनिवास वैसे तो नगर निगम की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए ‘सख्त’ कदम उठा रही हैं, जैसे कि हाल ही में तिगांव विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की रणनीति बनाने के दौरान एक जेई ने उन्हें ‘फलां’ ठेकेदार को काम देने की नसीहत दी तो उन्होंने जेई को उसकी औकात बताते हुए कहा कि किसे काम देना है किसे नहीं मुझे न बताओ, ढंग से नौकरी कर लो नहीं तो नौकरी नहीं रहेगी। लगता है कि अभी मोना ए श्रीनिवास को बिना पद और वेतन के जेई बन कर काम कर रहे वीर सिंह के बारे में जानकारी नहीं हुई है अन्यथा वह कार्रवाई अवश्य करतीं।

बिना वेतन के सरकारी पद पर रहने का अर्थ बड़ा स्पष्ट है। अक्सर कहते सुना जाता है कि मुझे थानेदार लगा दो तनख्वाह की जरूरत नहीं है, मुझे तहसीलदार लगा दो तनख्वाह की जरूरत नहीं है अथवा मुझे फलां फलां पद पर लगा दो तनख्वाह तो उल्टे सरकार मुझसे ले लिया करे।

इस तरह के जुमलों को मूर्त रूप प्रदान कर रहे हैं जेई वीर सिंह। यदि निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास अभी तक इस तथ्य से अनभिज्ञ हैं तो यह उनकी काबिलियत पर प्रश्नचिह्न है यदि वे यह सब जानती हैं तो उनकी भी हिस्सा पत्ती होने से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि मोना श्रीनिवास वास्तव में ईमानदार और काबिल अफसर है तो वीर सिंह को इम्परसोनेशन के जुर्म में गिरफ्तार कर जेल भिजवा देती और साथ में उसके पैरोकार एसआई ओमबीर को भी लपेटती।

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Mazdoor Morcha
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