कर्नाटक के शिमोगा में बजरंग दल वालों ने यह कहते हुए जयंत कैकिनी के नाटक जोतेगिरुवानु चंदिरा का मंचन बीच में रुकवा दिया कि इसमें पात्र मुस्लिम हैं और हिंदू (वीराशैव हिंदू) स्वामित्व वाले ऑडिटोरियम में इसका मंचन नहीं हो सकता।
बजरंग दल ने जब हस्तक्षेप किया, तब तक नाटक को शुरू हुए दो घंटे हो चुके थे। मतलब, ऑडिटोरियम के मालिकान को नाटक पर कोई एतराज़ नहीं था। जयंत कैकिनी लिखित जोतेगिरुवानु चंदिरा जोसफ स्टीन के बहुचर्चित उपन्यास “द फिडलर ऑन द रूफ” का कन्नड़ नाट्य रूपांतरण है। इसका मंचन रंगाबेलाकू थिएटर ग्रुप कर रहा था।
ख़ुद जोसफ स्टीन ने इसे शोलेम अलेखेम की बहुचर्चित कहानी “तेवये एंड हिज डॉटर्स” से डेवलप किया है।
मूल कहानी 1905 के लगभग की है और ज़ार के राज वाले रूस के एक काल्पनिक गांव अनातेवका के दूध बेचने वाले तेवये पर केंद्रित है।
तेवये यहूदी है। उसका परिवार बाहरी सामाजिक सांस्कृतिक प्रभावों से जूझ रहा है और वह अपनी यहूदी धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं को बचाने की कोशिश कर रहा है। इन्ही परिस्थितियों में वह अपनी पांच बेटियों की शादी को ले कर चिंतित है।
बजरंग दल की परेशानी अब आप समझ सकते हैं। यह उस देश में हो रहा है, जहां एक वक्त कुरान, हिंदू स्वामित्व वाले लखनऊ के नवल किशोर प्रिटिंग प्रेस में छपा करता था! मुंशी नवल किशोर ने इस प्रिटिंग प्रेस की स्थापना ग़दर के एक साल बाद 1858 में की थी।