मोहना वालों ने महेंद्र प्रताप को समर्थन दिया, सरकारी दबाव में दिखावे को मुकरे

मोहना वालों ने महेंद्र प्रताप को समर्थन दिया, सरकारी दबाव में दिखावे को मुकरे
May 26 07:41 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे पर मोहना में कट बनवाए जाने की मांग पर बीते साढ़े सात महीने से धरना दे रहे 24 गांवों के लोगों ने कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। सोमवार को धरना स्थल पर पहुंचे महेंद्र प्रताप का हजारों ग्रामीणों ने गर्मजोशी से स्वागत किया गया, उन्होंने मंच से घोषणा की कि सांसद बनते ही वह एक्सप्रेस वे पर मोहना में कट बनवाएंगे। समर्थन की घोषणा होते ही भाजपाइयों में हाहाकार मच गया और डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनाई जाने लगी। मंगलवार और बुधवार को भाजपा और संघ के बड़े लोग मोहना वालों को मनाने और समझाने में लगे रहे। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना था कि जो कट बनवाएगा वोट उसकी को जाएगा। भाजपाइयों ने झूठे सच्चे आश्वासन देकर और प्रशासनिक कार्रवाई का भय दिखा कर ग्रामीणों को इस बात पर ‘राजी’ कर लिया कि वो किसी को भी समर्थन नहीं देने का ऐलान करें। आखिरकार, पिंड छुड़ाने के लिए प्रदर्शनकारियों ने बात मान ली।

मंत्री कृष्णपाल गूजर पद का बेजा इस्तेमाल करते हुए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे परियोजना में फरेंदा पर कट उतरवाने की अपनी तरफ से पक्की व्यवस्था पहले ही कर चुका है। कारण यह है कि मंत्री ने इस जगह सात सौ एकड़ जमीन मिट्टी के भाव खरीदी है, कट बनने के बाद जिसे सोने के दाम में बेच कर मुनाफा कूटेगा। पाठकों को याद होगा कि पूर्व सीएम खट्टर ने मई 2022 में एक्सप्रेस वे पर मोहना में कट बनवाने की घोषणा की थी, लेकिन मंत्री गूजर ने खट्टर को मना कर फरेंदा में कट बनवाने को राजी कर लिया था। इस दौरान मोहना वाले मंत्री गूजर से मिलते रहे और वह हर बार उन्हें झूठे आश्वासन देता रहा।

सितंबर 2023 में प्रोजेक्ट की ड्राइंग सामने आने पर गांव वालों को मंत्री द्वारा दिए जा रहे धोखे की जानकारी हुई। इस पर 24 गांवों की सरदारी मिलने के लिए गूजर के आवास पर पहुंची थी, वादा याद दिलाने पर गूजर ने उन्हें यह कहते हुए बेइज्जत किया था कि मुझसे वकीलों जैसी बातें न करो, मैं कुछ नही कर सकता, सरदारी को अपमानित होकर लौटना पड़ा था। सत्ता के घमंड में डूबा गूजर इन लोगों से कहता था कि मुझे तुम्हारे वोटों की जरूरत नहीं, तुमने तो मुझे नहीं, मोदी को वोट दिया था। अपना हक किसी भी कीमत पर पाने के लिए ग्रामीण अक्तूबर 2023 के अंत से ही धरने पर बैठे हैं। लोकतांत्रिक ढंग से अपनी मांग मनवाने के लिए किसान बीते साढ़े सात महीनों से सर्दी, बरसात और गर्मी झेलने के बाद धरने पर डटे हैं लेकिन घमंडी मंत्री गूजर ने अपने फायदे और लालच के आगे किसी की भी न सुनी।

इसे फरेंदा में खरीदी गई जमीन से होने वाली अकूत कमाई की लालच कहें या कृष्णपाल गूजर का घमंड कि मोहना वालों की घोषणा के बावजूद उन्होंने अपनी गलती नहीं सुधारी। चुनाव की घोषणा के बाद भी गूजर ने धरने पर बैठे मोहना और आसपास के दर्जनों गांव वालों से मिलना उचित नहीं समझा, उसे तो लगता था कि मोदी के अंधभक्त ये गांव वाले वोट तो उसी को देंगे। मोहना और आसपास के करीब तीन दर्जन गांव वालों ने चुनाव में हिसाब किताब चुकता करने की ठानी थी। मंत्री गूजर मोहना के इलाके में तो गया लेकिन प्रदर्शनकारियों से कभी न तो मिला और न ही उनकी मांग पर ध्यान दिया। कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप ने मोहना में कट बनवाने की घोषणा की तो आसपास के तीन दर्जन से अधिक गांव वाले उनके समर्थन में आ गए।

संघी-भाजपाइयों को समझ में आ गया कि मोहना का यह संदेश यदि फैला तो पूरे लोकसभा क्षेत्र में कृष्णपाल की नैया डूब सकती है। साम-दाम-दंड-भेद में माहिर संघी-भाजपाई मोहना वालों को अपने पक्ष में करने के अथक प्रयास करते रहे लेकिन कृष्णपाल गूजर के दुर्व्यवहार के कारण सफल नहीं हो सके। बताया जाता है कि यह कह कर भी दबाव बनाया गया कि यदि गूजर हार गया लेकिन केंद्र में मोदी की सरकार बनी तो फिर परिणाम क्या होगा ? उन पर प्रशासनिक कार्रवाई और धारा 144 यानी निषेधाज्ञा लागू होने के कारण तंबू कनात उखड़वाने का दबाव भी बनाया गया।

प्रदर्शनकारी इस पर भी टस से मस न हुए और खुलेआम गूजर का विरोध किया। सूत्रों के अनुसार हार कर संघी-भाजपाइयों ने कहा कि आप जिसका चाहे समर्थन करो या वोट दो लेकिन सार्वजनिक रूप से महेंद्र प्रताप को समर्थन की घोषणा न करो। बताया जाता है कि प्रदर्शनकारियों में से सिर्फ पांच गांव के प्रतिनिधियों ने ही सहमति जताई और कहा कि लोकतंत्र में सब अपनी पसंदीदा पार्टी के प्रत्याशी को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन संघी-भाजपाइयों ने प्रचारित करवा दिया कि मोहना वालों ने किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है, यहां तक कि प्रदर्शनकारियों की ओर से इस संबंध में एक पत्र भी जिला प्रशासन को भिजवा दिया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भले ही घोषणा कर दी गई है लेकिन कृष्णपाल की तेरहवीं के बाद श्राद्ध भी कर चुके और उनके नाम का मुुंडन करवा चुके इस क्षेत्र के लोग उन्हेंं बुरी तरह से हराएंगे ही।

चुनाव की घोषणा और टिकट मिलते ही कृष्णपाल गूजर ने दस लाख वोटों के अंतर से जीतने के बड़े बोल बोलने शुरू कर दिए थे। अपनी जीत सुनिश्चित मान कर उसने मोहना गांव वालों की जानबूझ कर अनदेखी कर दी मानो उसे इन लोगों का वोट चाहिए ही नहीं। उसे मालूम था कि महेंद्र प्रताप ही उसे हरा सकते हैं तो उसने कांग्रेस में बैठे संघ की स्लीपर सेल की मदद से उनका टिकट कटवाने की भी भरपूर कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो सका। महेंद्र प्रताप मोहना पहुुंचे तो उनका न केवल स्वागत हुआ बल्कि समर्थन की भी घोषणा की गई। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महेंद्र प्रताप को जितना समर्थन उनके प्रत्याशी होने के कारण मिल रहा है उससे ज्यादा फायदा कृष्णपाल का विरोध होने के कारण मिल रहा है।

मोहना वालों ने समर्थन की घोषणा कर दी लेकिन आम जनता भी कृष्णपाल से उतनी ही नाराज है और इस बार उसे वोट नहीं देने का मन बहुमत ने बना लिया है। यही कारण है कि महेंद्र प्रताप जहां भी जा रहे हैं जनता उनका जोरदार स्वागत कर रही है। समझने वाली बात है कि प्रदेश में बीते दस साल से कांग्रेस का संगठन नहीं है, ऐसे में महेंद्र प्रताप के कार्यक्रमों में जो लोग जुटते हैं वो कांग्रेस के कार्यकर्ता नहीं बल्कि आम आदमी होते हैं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles