फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में जगह जगह रखे गए शौचालय इस्तेमाल के लायक नहीं हैं। कारण, इन शौचालयों में न तो पानी की व्यवस्था है और न ही सफाई की। करोड़ों रुपये कीमत के यह शौचालय देखभाल और रखरखाव के अभाव में बर्बाद हो चुके हैं। विकास के नाम पर नगर निगम और सरकारी विभाग जनता के कर की गाढ़ी कमाई इसी तरह बर्बाद कर रहे हैं लेकिन सरकार को यह नजर नहीं आ रहा।
2014 में केंंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का जुमला दिया था। इसके तहत खुले में शौच पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था। खुले शौच रोकने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत फरीदाबाद में 1200 शौचालय स्थापित किए गए थे। करोड़ों रुपये कीमत खर्च कर लगाए गए इन शौचालयों में कुछ दिन तक तो पानी और सफाई की गई, उसके बाद इन्हें लावारिस छोड़ दिया गया।
दरअसल, प्रत्येक शौचालय की पानी और सफाई व्यवस्था के लिए कम से कम एक स्वच्छता कर्मी की तैनाती अनिवार्य थी। निगम प्रशासन के पास इतने स्वच्छता कर्मी तैनात करने का न तो बजट था और न ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत इनकी व्यवस्था का प्रावधान किया गया था। हुआ यह, कि योजना का खूब ढिंढोरा पीटा गया और खुले में शौच करने वालों पर उत्साहपूर्वक जुर्माना लगाकर उन्हें हतोत्साहित किया गया। मजबूरी में लोग इन शौचालयों का इस्तेमाल तो करने लगे लेकिन सफाई नहीं होने के कारण इनमें शौच करना मुश्किल हो गया।
दो अक्तूबर 2015 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कृष्णानगर मलिन बस्ती में झाड़ू लगाकर सफाई अभियान का ड्रामा करते हुए फोटो खिंचाई थी। इस बस्ती के पास भी शौचालय लगाया गया। मैदान में झुग्गियां डाल कर रहने वाले लोगों ने बताया कि इन शौचालयों में कभी सफाई ही नहीं की गई। कुछ दिन तो पानी की व्यवस्था की गई लेकिन करीब छह साल से वह भी बंद है। इन गंदे और बदबूदार शौचालयों में जाने से तो अच्छा है खुले में शौच करना, यह तो बीमारियों की जड़ हैं।
सैक्टर 21 सी मार्बल मार्केट में भी करीब सात वर्ष पहले लगाए गए शौचालय तो कभी शुरू ही नहीं हुए। इनमें न तो पाइप का कनेक्शन दिया गया और न ही ताला खोला गया। इस्तेमाल किए बिना ही यह शौचालय जर्जर हो गए। सभी 1200 शौचालयों की हालत इसी तरह जर्जर है। नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश शास्त्री बताते हैं कि शहर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्थापित किए गए बारह सौ शौचालयों में कोई सफाई कर्मचारी तैनात नहीं है। उन्हें छोड़ भी दिया जाए तो नगर निगम में सफाई कर्मियों के स्वीकृत पद भी खाली पड़े हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था के जिम्मेदार नगर निगम के एक्सईएन पद्मभूषण ने शौचालयों की अव्यवस्था के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। एक्सईएन बेचारा बताए भी तो क्या उसके पास है ही क्या बताने को।