मेवात में दंगेबाज़ों को मुंह की खानी पड़ी

मेवात में दंगेबाज़ों को मुंह की खानी पड़ी
August 23 10:15 2023

52 पाल के पंचों और संयुक्त किसान मोर्चा के विरोध दर्ज कराने से कच्छाधारियों में बेचैनी 

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) मेवात और खासकर हरियाणा में सदियों से चले आ रहे हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को तोडऩे में जुटे संघी दंगेबाज़ों और उनकी समर्थक खट्टर सरकार को तब झटका लगा जब 52 पाल के पंचों और संयुक्त किसान मोर्चा ने उनकी इस साजि़श में शामिल नहीं होने की घोषणा कर दी। दो दिन पहले यानी 13 अगस्त को पलवल के पोंडरी गांव में हुई कथित महापंचायत में बड़े-बड़े नफरती दावे करने वाले धर्मोन्मादी इतने बड़े स्तर पर महापंचायत का विरोध देखने-सुनने के बाद चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी चाल नाकाम करके हरियाणा की जनता ने पीढिय़ों से चले आ रहे सौहार्द और सांस्कृतिक एकता को बरकऱार रखने का संदेश कट्टरपंथियों से लेकर सरकार को दिया है।

जलाभिषेक यात्रा के नाम पर अवैध हथियारों और दंगे भडक़ाऊ नारे लगाने वाले बजरंगियों की 31 जुलाई को हुई जबरदस्त पिटाई से खिसियाए संघी चट्टे बट्टों ने इस घटना की आड़ में पूरे प्रदेश को जलाने की साजि़श रचनी शुरू की। जिस निषेधाज्ञा में मुस्लिम समाज को जुमे की नमाज़ मस्जिद में अदा करने से प्रशासन ने रोका उसी ने संघी चट्टे-बट्टों को पलवल के गांव पोंडरी में 13 अगस्त को ‘हिंदू’ सर्वजातीय महापंचायत का आह्वान करने की इजाजत दी।

यात्रा में हुए विवाद के बाद पलवल में भी काफी हिंसा हुई, बावजूद इसके बजरंगियों, विहिपियों ने पोंडरी नौरंगाबाद को महापंचायत के लिए चुना। महापंचायत का उद्देश्य ही विक्टिम कार्ड खेल कर हिंदुओं भी भावनाओं को भडक़ाना था। महापंचायत में वक्ताओं ने यही किया, समस्या से ज्यादा मुस्लिम समाज को गालियां देने, कोसने और भडक़ाऊ बातों में समय बिताया गया।

संघी दंगेबाज़ों के चाल चरित्र से वाकिफ रावत, डागर, सहरावत, चौहान आदि पालों ने पहले ही इसका बहिष्कार कर दिया था। 52 पाल के अध्यक्ष चौधरी अरुण जेलदार को कट्टरपंथियों ने बहला-फुसला कर महापंचायत में बुला लिया था। अध्यक्ष को बुलाने का उनका उद्देश्य यह दर्शाने का था कि उन्हें सभी पालों का समर्थन मिला हुआ है।

महापंचायत के दूसरे दिन ही 52 पालों के अन्य पंचों ने भी इस महापंचायत का विरोध कर खुद को इससे और इसके द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से अलग रखने की घोषणा कर दी। प्रदेश के समाज का बड़ा हिस्सा पालों के अलग होने से कट्टरपंथियों के होश उड़ गए। जिन लोगों को धर्म की चटनी चटा कर 28 अगस्त को दोबारा जलाभिषेक यात्रा निकाले जाने की हुंकार भरी गई थी उन्हीं ने इसका बायकाट कर दिया। बायकाट के बाद से कट्टरपंथी कुछ बोलने की हालत में नहीं रहे गए।

इस बायकाट का सबसे बड़ा झटका हिंदुत्व के खेत में वोटों की खेती करने वाली भाजपा और मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को लगा। आम जनता ये समझने लगी है इस तरह की खेती में मानव खूून से सिंचाई होती है, जिससे बचने के लिए समाज इन दंगाइयों के विरुद्ध एकजुट खड़ा होता जा रहा है। नूह दंगे के बाद विक्टिम कार्ड खेल रहे संघ और बुलडोजर चला कर हिंदू हृदय सम्राट बनने की तैयारी कर रहे खट्टर ने पाया कि दांव उल्टा पड़ गया है। हरियाणा की सर्वजातीय एकता के चलते धर्मोन्मादियों के झूठे और समाज को तोडऩे वाले कार्य कामयाब नहीं होंगे। खट्टर जानते हैं कि यही बायकाट करने वाले आने वाले चुनाव में उनकी लुटिया डुबो सकते हैं। इधर जी-20 समूह की बैठक में सरकार को अंतर्राष्ट्रीय समूहों के प्रतिनिधियों को अपने निष्पक्ष होने का संदेश भी देना था। ऐसे में उन्होंने पलटी मारी, अभी तक एकतरफा कार्रवाई में जुटे खट्टर ने वोट बैंक बचाने और विश्व में अपनी साख बचाने के लिए अपने प्यारे प्यादे बिट्टू बजरंगी की बलि चढ़ा दी। जिस बिट्टू के आगे पुलिस नतमस्तक रहती थी उसे ही गिरफ्तार कर घसीटते हुए ले जाया गया। इसकी वीडियो भी वायरल की गई, ताकि असंतुष्ट पालों में यह मैसेज जाए कि सरकार निष्पक्ष होकर काम कर रही हैं।
खट्टर चाहे जितने हाथ पैर मार लें बीते नौ वर्षो में केंद्र और राज्य सरकारों ने जो बांटो और राज करो की राजनीति की है उसे अब जनता समझ चुकी है। महापंचायत का बहिष्कार इसका ही नतीजा है और भविष्य में चुनाव में भी जनता इसे साबित करेगी।

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Mazdoor Morcha
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