फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) सडक़ों पर अवैध पार्किंग की वजह से बनने वाली जाम की स्थिति से निपटने के लिये बीते कई वर्षों से मीटिंगों का सिलसिला चला आ रहा है। बीते एक साल में ही ऐसी कई मीटिंगे हो चुकी हैं। इनमें कभी क्रेन द्वारा वाहन उठाने का ठेका देने की बात होती रही है तो कभी सडक़ किनारे पीली पट्टियां खींचने की। 25 वर्ष पूर्व इसी तरह की एक मीटिंग का भागीदार यह संवाददाता भी रह चुका है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए डीसीपी ट्रैफिक नीतीश अग्रवाल आईपीएस, एसीपी विनोद कुमार तथा एफएमडीए के अधिकारियों ने 15 मार्च को एक मीटिंग का आयोजन किया। मीटिंग के बाद जानकारी दी गई कि इन अफसरों ने जाम से मुक्ति पाने की रणनीति बना ली है। यानी कि अब तक सब कुछ बिना ही किसी रणनीति के चलता आ रहा है। इस रणनीति के अनुसार सबसे बड़ा काम इन अफसरों ने पार्किंग के लिये 14 स्थल चुनने का काम किया है। बहुत बड़ा काम किया है; पूरे शहर को इसके लिये इनका आभार प्रकट करना चाहिये। अब इन स्थलों पर लेवलिंग तथा टाइल्स आदि लगाने का काम शुरू किया जायेगा। गौरतलब है कि धरातल पर अभी तक कुछ भी नहीं किया है। सब कुछ ‘किया जायेगा’ कब किया जायेगा, कैसे किया जायेगा, टेंडर कब निकाले जायेंगे आदि-आदि कोई पता नहीं।
पार्किंग स्थल बनने के बाद सडक़ों पर अवैध रूप से खड़ी गाडिय़ों को उठाकर यार्ड में ले जाया जायेगा। जो पुलिस सडक़ों पर अवैध रूप से सडक़ घेरे वाहनों के चालान तक तो कर नहीं सकती उस पुलिस को वाहन कौन उठाने देगा? यदि पुलिस की नीयत वास्तव में ही कुछ करने की होती तो वह अवैध पार्किंग के चालान पर चालान करती चली जाती। दिन भर में 100-200 तो क्या 1000-2000 भी करने पड़े तो क्या दिक्कत है? इन महान रणनीतिकारों ने शेखचिल्ली की तरह मुफ्त फेरी सर्विस उपलब्ध कराने की बात भी कही है। इनके अनुसार पार्किंग स्थल में गाड़ी खड़ी करने के बाद लोगों को पैदल न चलना पड़े इसके लिये मुफ्त में छोटी गाडिय़ां सम्भवत: बैट्री रिक्शा आदि चलाई जायेगी। जो प्रशासनिक व्यवस्था भाड़े के बदले भी यात्रियों को पर्याप्त परिवहन व्यवस्था उपलब्ध न करा सके वह भला कैसी मुफ्त फेरी व्यवस्था उपलब्ध करा पायेगी, समझना कठिन नहीं है।