फरीदाबाद (म.मो.) 30 अप्रैल शनिवार का दिन, 122 साल का रिकॉर्डतोड़ गर्मी, उसके बाद भी सभागार में कुर्सियां कम पड़ गयी। अवसर था सूफियाना शाम और स्थान था एनएच-3 स्थित डीएवी शताब्दी कॉलेज का सभागार। कार्यक्रम का समय रखा गया था शाम के पांच बजे। कड़ी धूप के बावजूद साढ़े पांच बजते-बजते सभागार में लोगों की भाीड़ इस कदर उमडऩे लगी जैसे कि कोई बड़ा मेला हो अथवा संगीत की इस महफिल के प्रति लोगों का आकर्षण इतना जबरदस्त था कि उन्हें गर्मी की कोई परवाह न हो।
आने वाले श्रोताओं की इस भीड़ में शहर भर की मौजिज हस्तियां शामिल थी। टीएम ललानी सरीखे उद्योगपति, डॉ. एसएन पांडे जैसे शिवाविद् प्रो. चांसलर ग्लोबल ओपन यूनिवसिर्टी, नागालैण्ड थे। पद्मश्री ब्रह्मदत्त, अनेकों अन्य लेखक, साहित्यकार व गीतकार शोभायमान थे। सपरिवार आये करीब 500 लोगों की उपस्थित ने यह साबित कर दिखाया कि इस औद्योगिक नगरी में साहित्य व संस्कृति प्रेमियों की कोई कमी नहीं है।
सबसे मजे की बात तो यह थी कि प्रस्तुति देने वालों में कोई भी कलाकार पेशेवर नहीं था यानी भाड़े पर लाया हुआ नहीं था। डॉ अंजु मुन्जाल फऱीदाबाद में कई वर्षों से स्थापित ,सक्रिय संस्था स्वर साधना मन्दिर की सम्मानित निदेशिका हैं और संगीत के क्षैत्र में खिलती प्रतिभाओं को शीर्ष शिखर तक पहुंचाने के लक्ष्य को पूर्णतया समर्पित हैं। उन के शिष्य न सिर्फ़ अपनी गुरु मां पर अपार गर्व करते हैं बल्कि देश की विभिन्न गायन कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं में सफ़लता के शिखरों को छूकर अपनी विलक्षण गुरु मां का नाम रौशन करते हैं। मनीषा जेटली फऱीदाबाद के डी पी एस शिक्षण संस्थान में संगीत विभाग की एच ओ डी हैं आप देश के प्रख्यात संगीतकार श्री शशी भाल मिश्रा की पुत्री हैं और अनेक शिष्यों को संगीत के मर्म से वाकिफ़़ करवा रही हैं।
सरस्वती पुत्री सुगंधा विशिष्ट अपनी वाणी के प्रवाह से चंद लम्हों के लिए हवा को रोकने की क्षमता रखती हैं , सूफ़ी शाम को सुगंधा ने यह कर के दिखा दिया । सुगंधा ,देश के प्रख़्यात संगीत गुरु श्री मनमोहन भारद्वाज की शिष्या होने के साथ साथ ,उन की प्रिय नातिन भी है । दिल को छू लेने वाले एक गुरुबाणी के शब्द से प्रोग्राम का आगाज़़ करने वाले स्वर साधक मनकरण सिंह ,मोहतरमा मनीषा जेटली के शिष्य हैं।
बाकी गायकों के नाम सुबह सुबह भेज दूंगा इस सांस्कृतिक प्रोग्राम की शोभा में चार चांद लगाने वाले हरेराम समीप नेमा भी उपस्थित थे जिन्होंने हरियाणा साहित्य अकादमी का पांच लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार हाल ही में जीत कर इस शहर का मान तो बढ़ाया ही, साथ में सिद्ध भी कर दिया कि यह शहर मात्र उद्योगों एवं कल पुर्जो का नहीं है, यहां साहित्य एवं संस्कृति भी फल-फू ल रही है। समारोह में करतल ध्वनि के साथ उन्हें सम्मानित किया गया। इनके साथ-साथ अंजु जैमिनी दुआ को भी अकादमी पुरस्कार के लिये सम्मानित किया गया। इसी तरह की एक और पुरस्कार विजेता नाम बेशक सम्मानित होने के लिये कार्यक्रम में न पहुंच पाई हो लेकिन इन सब ने मिलकर यह तो सिद्ध कर ही दिया कि साहित्य, संगीत व संास्कृतिक मामलों में यह शहर किसी से भी पीछे नहीं है।
कार्यक्रम के आयोजक बेशक सुपरसिद्ध साहित्यकार एवं नाटक कार ज्योतिसंघ थे लेकिन उनके साथ जुड़ी शहर की अनेकों प्रतिभाओं का भरपूर योगदान रहा। इतने लोगों का योगदान लेना भी अपने आप में एक कला ही है जिसके ज्योतिसंघ धनी हैं। यह उनकी ही मेहनत एवं लगन का परिणाम है जो शहर भर के बिखरे मातियों को एक धागे में पिरो कर कितनी शानदार माला बना सकते हैं।