हाईकोर्ट के जज की पत्नी बनीं एसएमओ, बैठेंगी हरियाणा भवन में, न स्टॉफ, न दवा-उपकरण फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) मेवला महाराजपुर में 26 मार्च को ‘शुरू हुआ’ 46 बेड का शहरी स्वास्थ्य केंद्र मरीजों के इलाज के लिए नहीं, बल्कि रसूखदार डॉक्टरों को फरीदाबाद में तैनाती देने के लिए बनाया गया है। एसएमओ का पद हाईकोर्ट के जज की पत्नी को सौंप दिया गया है जो सेलरी तो यहां से उठाएंगी लेकिन सेवाएं हरियाणा भवन दिल्ली में देंगी । इसी तरह डेंटिस्ट, गायनेकोलॉजिस्ट और जनरल फिजीशियन के पद भी रसूखदार लोगों के चहेतों को दिए जा रहे हैं। रही बात जनता की तो उसे इलाज क्या मिलेगा इससे समझा जा सकता है कि सीएचसी में न तो दवा है, न लैब टेक्रीशियन और न नर्सिंग स्टाफ।
छोटे काम का बड़ा ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा सरकार के केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गूजर ने करोड़ों रुपये की लागत से बनकर तैयार हुए मेवला महाराजपुर यूएचसी का 26 मार्च को धूमधाम से लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा शासन के नौ वर्ष में हुए विकास कार्यों की तुलना बीते चालीस वर्षों से करते हुए बड़ी बड़ी बातें कीं। यूएचसी से आम लोगों को फायदा होने की डींगें भी हांकीं। सच्चाई यह है कि यूएचसी में मरीजों का इलाज नहीं हो रहा। कारण, अभी तक यहां दवाएं नहीं हैं। फार्मेसिस्ट और लैब टेक्रीशियन के पद खाली हैं। 46 बेड पर मरीजों की देखभाल के लिए जरूरी 15 नर्सिंग स्टाफ भी नहीं होने के कारण बेकार साबित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस यूएचसी की स्थापना मरीजों के इलाज के लिए नहीं बल्कि फरीदाबाद में पोस्टिंग लेकर मजा काटने वाले रसूखदार चिकित्सा कर्मियों को सुविधा देने के लिए हुई है।
शायद यही वजह है कि यहां एसएमओ पद पर डॉ. सरला गुप्ता को ज्वाइन करवाया गया और तुरंत ही डेप्यूटेशन पर उन्हें हरियाणा भवन दिल्ली भेज दिया गया। हाईकोर्ट के जज की पत्नी डॉ. सरला गुप्ता तनख्वाह तो यहां से उठाएंगी और रहेगी दिल्ली में, जहां करने को कोई काम नहीं है। दो मेडिकल ऑफिसर और डेंटिस्ट की पोस्ट पर भी राजनेताओं के करीबियों ने कब्जा जमा लिया है।
राजनैतिक संरक्षण के कारण सीट पाने वाले यह चिकित्सक आम आदमी का इलाज तो क्या ही करेंगे। फार्मासिस्ट, दवा, लैब टेक्नीशियन न होने का बहाना बना कर मरीजों को लौटा दिया जाएगा। जो कृष्णपाल गूजर ईएसआई मेडिकल कॉलेज में 500 बेड का अतिरिक्त अस्पताल बनाने की मांग कर सकते हैं तो इस अस्पताल को अच्छे से चलाने की व्यवस्था क्यों नहीं कराते?
इससे भी बड़ी बात यह कि सरकार पहले से मौजूद सीएचसी पीएचसी में स्टाफ और स्वास्थ्य सेवाएं तो पूरी तरह से दे नहीं पा रही है, वाहवाही और इमारत निर्माण में कमीशन लूटने के लिए लगातार नए सीएचसी-पीएचसी बनाए जा रहे हैं। मेवला महाराजपुर का नया 46 बेड का यूएचसी भी इसका उदाहरण है।