शौचालय न होने से दोनों टांगें ट्रेन से कटवा चुके चंदन को इंसाफ कब? क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा 38 वर्षीय चंदन कुमार फऱीदाबाद की आज़ाद नगर मज़दूर बस्ती में बल्लभगढ़ की तरफ़ नहर किनारे रहते हैं। इसी साल 25 फरवरी को वे एएनएस जेवीएम फैक्ट्री सेक्टर 24 में काम के बाद घर लौट ही थे कि शौच जाने की ज़रूरत महसूस हुइ। उनकी झुग्गी के आस-पास 2 किमी तक कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं है। वे शौच के लिए रेल पटरियों के किनारे गए और बहुत तेज़ गति से आ रही रेलगाड़ी की चपेट में आ गए।
उनकी दोनों टांगें बुरी तरह टूट गईं, जिन्हें जयप्रकाश नारायण अस्पताल में काट दिया गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा 3 बच्चे भी हैं। बड़ी लडक़ी की उम्र 10 साल की है। जिंदा रहने का कोई दूसरा ज़रिया नहीं। फैक्ट्री ने यह कहकर कोई मुआवज़ा नहीं दिया कि दुर्घटना फैक्ट्री से बाहर हुई है और वे ठेका मज़दूर थे। सरकार से भी, उन्हें कोई मुआवज़ा या आर्थिक मदद नहीं मिली। यहां तक की हरियाणा सरकार की विकलांग पेंशन भी उन्हें नहीं मिली है।
पडौसियों की मदद से किसी तरह जि़न्दगी घिसट रही है। चंदन कुमार का जीवन जीने का हौसला पहले की तरह ही बुलंद है लेकिन क्या करें? उनका कहना है कि उन्हें बैटरी-संचालित ऑटो रिक्शा मिल जाए कुछ आर्थिक मदद और पेंशन मिले, तो वे मेहनत कर, अपने और अपने परिवार के जीने का जुगाड़ कर सकते हैं। ‘मैं मर जाऊंगा लेकिन भिखारी नहीं बनूंगा’, बोलते वक़्त उनकी आवाज़ में दर्द के साथ स्वाभिमान की खनक स्पस्ट महसूस की जा सकती थी।
क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा हरियाणा सरकार से मांग करता है कि:- 1) चंदन कुमार को बैट्री-संचालित ऑटो रिक्शा तत्काल, निशुल्क उपलब्ध कराया जाए। 2) हरियाणा सरकार की मासिक विकलांग पेंशन उन्हें तत्काल मंज़ूर की जाए। 3) दोनों टांगे गंवा चुके लेकिन हौसला साबुत रखे चंदन कुमार को समाज कल्याण विभाग से समुचित आर्थिक मदद तत्काल मंज़ूर की जाए। 4) आज़ाद नगर में बल्लभगढ़ की ओर नहर के किनारे भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण अविलम्ब किया जाए। शौचालय होता तो चंदन कुमार की टांगें महफूज़ होतीं। 5) विकलांग श्रेणी में उनके लिए रोजग़ार की व्यवस्था सरकार करे।