मंत्री कृष्णपाल जो कॉलोनी बनाये वही वैध, बाकी सब अवैध; तोड़-फोड़ जारी

मंत्री कृष्णपाल जो कॉलोनी बनाये वही वैध, बाकी सब अवैध; तोड़-फोड़ जारी
January 23 00:56 2023

फरीदाबाद (म.मो.) नहर पार ग्रेटर फरीदाबाद क्षेत्र में सतयुग स्कूल के निकट 10 एकड़ के भू-खंड पर बन रही कॉलोनी को अवैध बता कर बीते सोमवार को प्रशासन द्वारा ध्वस्त कर दिया गया। इसमें करीब 120 मकानों की डीपीसी बन चुकी थी, कुछ मकान इससे ऊपर भी बन चुके थे। लोगों के विरोध को रोकने के लिये भारी पुलिस बल का दुरुपयोग किया गया।

बड़ा प्रश्न यह है कि वैध क्या है व अवैध क्या है? संक्षेप में कहा जाय तो स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर जो कॉलोनी बनाये वह तो वैध तथा अन्य कोई बनाये तो अवैध। कृष्णपाल के इस धंधे को बढ़ावा देने के लिये खट्टर सरकार ने उनकी इच्छानुसार कॉलोनाइजेशन सम्बन्धित नीतियां भी बना दी हैं। उन्हीं नीतियों के अनुसार कॉलोनाइजेशन का लाइसेंस तथा सीएलयू जारी किया जायेगा। कमाल की बात तो यह है कि यदि कोई अन्य उसी सरकारी नीति के अनुसार लाइसेंस तथा सीएलयू के लिये आवेदन करता है तो उसकी फाइल दफ्तरों की चक्कर ही काटती रह जाती है, फाइल तभी निकल पाती है जब उसमें कृष्णपाल की हिस्सेदारी तय हो जाय।

ऐसा ही मामला अवैध बता कर तोड़ी गई उक्त कॉलोनी का है। यदि कॉलोनी का मालिक कृष्णपाल से सौदा करके हिस्सा-पत्ती कर ले तो फिर वह अवैध नहीं रह जाती। सर्वविदित है कि ग्रेटर फरीदाबाद में आज के दिन खुद कृष्णपाल सबसे बड़ कॉलोनाइजर के रूप में उभर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि अन्य कोई छोटा-मोटा कॉलोनाइजर उनके मुकाबले में आकर सस्ते दामों प्लॉट बेच कर उनके भाव गिरा दे। किसी से छिपा नहीं है कि किसानों से ली गई एक लाख रुपये की जमीन उनके पास आते ही एक करोड़ की हो जाती है। यह सब सत्ता का ही कमाल है।

अपना घर बनाने की इच्छा एवं आवश्यकता हर नागरिक की रहती है। इसी इच्छा एवं आवश्यकता को देखते हुए कॉलोनाइजर मजबूर नागरिकों को ब्लैकमेल करने से नहीं चूकते। नागरिकों की इस खुली लूट के पीछे असल ताकत सरकार की ही होती है। सरकार इस ताकत के बल पर जम कर सरकारी व गैर सरकारी वसूलियां करती हैं, वरना कोई ऐसा कारण नहीं है कि एक लाख रुपये की जमीन एक करोड़ की हो जाय।

कॉलोनाइजेशन का लाइसेंस तथा सीएलयू प्रमाणपत्र, दो ऐसे जादुई मंत्र सरकार के पास हैं जिन्हें पढ़ते ही मिट्टी सोना हो जाती है। जाहिर है कि सरकार, चाहे हुड्डा की रही हो या चौटालों की और आज खट्टर की, मुफ्त में ये मंत्र नहीं पढ़े जाते। इसके लिये अच्छी-खासी वसूली राजनेता करते आए हैं और आज भी कर रहे हैं। जब तक यह सरकारी एकाधिकार एवं लूट जारी रहेगी तब तक आम  आदमी को सस्ते प्लॉट एवं घर नहीं मिल पायेंगे।

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Mazdoor Morcha
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