फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम का जेई प्रवीण बैंसला चुनाव आयोग द्वारा पोलिंग अफसर बनाया गया है लेकिन वह तो अपने आक़ा कृष्णपाल गूजर की चुनावी रैलियों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। यह मानना गलत नहीं होगा कि ऐसा अफसर मतदान के समय अपने आक़ा यानी कृृष्णपाल गूजर के हित में मतदान प्रभावित करने का भरपूर प्रयास कर सकता है। प्रवीण बैंसला पूरे जोर शोर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सत्तापक्ष के प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार प्रसार करने में जुटा है।
प्रवीण बैंसला नगर निगम में जेई पद पर कार्यरत है। जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से उसे एनआईटी दो लखानी धर्मशाला मतदान केंद्र के पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। चुनाव ड्यूटी में लगाए गए अधिकारी या कर्मचारी का किसी भी राजनैतिक पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने पर पूर्णतया प्रतिबंध है। किसी प्रत्याशी के समर्थन या विरोध में सार्वजनिक रूप से वह कोई बात भी नहीं कर सकता।
भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गूजर के समर्थन में रविवार को मेवला महराजपुर गांव में जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में लखानी धर्मशाला का पोलिंग अफसर यानी प्रवीण बैंसला कृष्णपाल गुजर के समर्थन में सक्रिय रूप से शामिल हुआ। जुलूस में सबके साथ चल रहा प्रवीण बैंसला लोगों को इकट्ठा कर एक साथ चलने को प्रेरित करता, प्रत्याशी के समर्थन में नारेबाजी करता नजर आया। दरअसल प्रवीण बैंसला को नगर निगम में कृष्णपाल गूजर की सिफारिश पर ही आउट सोर्सिंग पर जेई पद की तैनाती मिली थी। गूजर ने उसे न सिर्फ तैनाती दिलवाई बल्कि सबसे ज्यादा कमाई वाला तोडफ़ोड़ विभाग भी उसे ही दिलवा दिया जिसका उल्लेख समय समय पर मज़दूर मोर्चा में किया जाता रहा है।
इस पद पर रहते हुए प्रवीण बैंसला ने कृष्णपाल गूजर और सीमा त्रिखा के एजेंट के रूप में काम किया। आकाओं के इशारे पर उनके विरोधियों के अवैध निर्माण, अतिक्रमण पर ही बुलडोजर चलाने और सत्ता पक्ष के नेता, आकाओं के लगुए भगुओं के अवैध निर्माण, अतिक्रमण पर शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीें करने का उस पर आरोप लगा था। बावजूद इसके उसे आकाओं के इशारे पर ओल्ड और एनआईटी का भी तोडफ़ोड़ का चार्ज दे दिया गया। अवैध निर्माण की नोटिस और मोटा रुपया लेकर छोडऩे का खेल वह और कृष्णपाल गूजर का चहेता अमरपाल बेलदार मिलकर करते रहे। विवादित होने पर कुछ समय पहले ही उसे तोडफ़ोड़ विभाग से हटा दिया गया था। यहां भी आक़ा गूजर ने उसे संभाला और उनके इशारे पर निगमायुक्त ने उसे मेवला महराजपुर का जिम्मा सौंप दिया।
प्रवीण बैंसला के लिए आक़ा गूजर के इतने अहसानों का बदला चुकाने का सुनहरा अवसर चुनाव के रूप में आया है। वह आक़ा की चुनावी रैलियों में ही सक्रिय रूप से शामिल हो नहीं रहा है, सूत्रों के अनुसार रैलियों के प्रबंधन से लेकर भीड़ जुटाने और वोट मांगने के लिए भी भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मुस्तैदी से भाग ले रहा है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि 25 मई को पोलिंग अफसर के रूप में वह लखानी धर्मशाला में भी आक़ा को फायदा पहुंचाने की नीयत से मतदान प्रक्रिया भी प्रभावित करने के प्रयास करेगा।
नगर निगम में चर्चा है कि चुनाव में प्रवीण का उपयोग करने के लिए ही गूजर ने नगर निगम से उसे मेवला महाराजपुर के इलाके की तैनाती दिला दी थी। बताया जा रहा है कि वह सहकर्मियों को गारंटी देता घूम रहा है कि ताऊजी (कृष्णपाल गूजर) के जीतते ही उसे फिर से तोडफ़ोड़ विभाग का चार्ज मिल जाएगा।
जिला निर्वाचन अधिकारी निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने का बार बार ढिंढोरा पीट रहे हैं, यदि उन्हें प्रत्याशी के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे प्रवीण बैंसला जैसे सरकारी कर्मचारियों की जानकारी ही नहीं है तो स्पष्ट है कि वो झूठे दावे कर रहे हैं। यदि उन्हें इसकी जानकारी है तो प्रवीण बैंसला या उसके जैसे अन्य राजनीतिक प्रभाव वाले सरकारी कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कराकर उन्हें हटाना चाहिए था। यदि वे ऐसा नहीं करते तो माना जा सकता है कि वो भी सत्ता पक्ष के आगे नतमस्तक हो चुके हैं।