मनेठी में एम्स खोलने का नाटक समाप्त

मनेठी में एम्स खोलने का नाटक समाप्त
November 18 06:02 2023

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
जुमलेबाज़ी के द्वारा जनता को वरगलाने में पूरी महारत रखने वाली खट्टर सरकार के साथ-साथ मोदी की केन्द्रीय सरकार अनगिनत मेडिकल कॉलेज व एम्स खोलने की घोषणाएं बीते आठ-नौ वर्ष से करते आ रहे हैं। खट्टर ने तो हरियाणा के हर जि़ले में मेडिकल कॉलेज खोलने की जो घोषणा कर रखी है उसे आये दिन दोहराना अपना परम धर्म समझते हैं।

इसी शृंंखला में रेवाड़ी जि़ले के गांव मनेठी में एम्स खोलने का जुमला कई वर्ष पहले उछाला था। दरअसल दिल्ली स्थित एम्स में बढती भीड़ को घटाने के लिये वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने देश भर में दिल्ली जैसे छ: एम्स खोलने की घोषणा की थी। कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने वाजपेयी की घोषणा पर 2006 में काम शुरूकरके वर्ष 2012 तक सभी छ: एम्स को चालू करा दिया था। उसी काल में सरकार ने एम्स एक्ट में वांछित संशोधन करके भविष्य में नये एम्स खोलने का रास्ता भी साफ कर दिया था। इसके अलावा 2012 में मनमोहन सरकार ने सातवें एम्स की आधारशिला रायबरेली में रखी थी जिसे मोदी सरकार ने 2018 में चालू कर दिया था।

इसके बाद 2014 में मोदी सरकार ने चार, 2015 में छ:, 2017 में तीन तथा 2019 में दो एम्स खोलने की घोषणा व कुछ का शिलान्यास भी कर डाला था। इन्हीं में से एक मनेठी वाला एम्स है। इसकी मांग 2015 में स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत ने उठाई थी। इसके जवाब में 2019 में तत्कालीन केन्द्रीय वित्तमंत्री पियुष गोयल ने इसे बनाने की घोषणा अपने बजट भाषण में की थी। हरियाणा सरकार ने इसके लिये मनेठी में जो 60 एकड़ ज़मीन चिह्नित की थी उस पर वन विभाग ने एतराज लगा दिया।

इसके बाद हरियाणा सरकार ने इसी जि़ले के माजरा गांव पंचायत की 60 एकड़ तथा 130 एकड़ ज़मीन और खरीद कर केन्द्र सरकार के हवाले करते हुए एम्स निर्माण शुरू करने की बात कही। इसके जवाब में केन्द्र ने किसी भी एम्स के लिये 250 एकड़ ज़मीन का होना अनिवार्य शर्त बताया, वैसे यह शर्त कोई नई न होकर पहले से ही घोषित थी। हरियाणा सरकार द्वारा शेष 60 एकड़ ज़मीन शीघ्र अति शीघ्र जुटा लेने के आश्वासन पर केन्द्र सरकार ने हिन्दुस्तान लेटेक्स लिमिटेड (एचएलएल) नामक कम्पनी को इस ज़मीन पर प्रारम्भिक काम-काज शुरू करने का ठेका दे दिया। लेकिन वर्षों इन्तजार करने के बावजूद हरियाणा की खट्टर सरकार आवश्यक वांछित ज़मीन नहीं जुटा पाई तो केन्द्र सरकार ने उक्त ठेका रद्द कर दिया।

संदर्भवश एम्स क्या है यह भी समझना जरूरी है। किसी भी मेडिकल कॉलेज को चालू करने के लिये एमसीआई जिसे अब एनएमसी कहा जाता है, की स्वीकृति लेना अनिवार्य होता है। इसके लिये एनएमसी बाकायदा निरीक्षण करने के बाद ही स्वीकृति प्रदान करता है। एम्स अपने-आप में एक स्वायत्त संस्थान होता है जिसे किसी से भी निरीक्षण कराने व स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं होती। जाहिर है कि भाजपा सरकार एम्स का फट्टा लगाकर तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए मेडिकल कॉलेज चलाने का प्रयास कर रही है।

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