मजदूर मोर्चा खबर का असर : मेट्रो अस्पताल ब्लड बैंक का लाइसेंस 3 माह के लिये निलंबित

मजदूर मोर्चा खबर का असर : मेट्रो अस्पताल ब्लड बैंक का लाइसेंस 3 माह के लिये निलंबित
March 21 13:09 2022

मजदूर मोर्चा ब्यूरो
मेट्रो अस्पताल के ब्लड बैंक के लाइसेंस को 3 माह की अवधि के लिए कैंसिल कर दिया गया है। जैसा कि विदित है, पिछले कुछ सप्ताह से लगातार मजदूर मोर्चा द्वारा मेट्रो अस्पताल के ब्लड बैंक में चल रही अनियमितताओं के बारे में जानकारी दी जा रही है। सर्वप्रथम मजदूर मोर्चा ने ही प्रमुखता से फरीदाबाद के सीनियर ड्रग कंट्रोल इंस्पेक्टर राकेश दहिया द्वारा की गई इंक्वायरी रिपोर्ट के मद्देनजर जो अनियमितताएं मेट्रो ब्लड बैंक में मिली थी को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। औषधि नियंत्रक अधिकारी फरीदाबाद द्वारा इस इंक्वायरी रिपोर्ट को सिविल सर्जन फरीदाबाद को भी भेजा गया था। क्योंकि ब्लड बैंक सिविल सर्जन फरीदाबाद की निहित शक्तियों के तहत नहीं आते जिसके चलते सिविल सर्जन फरीदाबाद द्वारा इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।

लंबी कार्रवाई के परिणाम स्वरूप हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इस पर संज्ञान लेने के पश्चात वरिष्ठ औषधि नियंत्रक पंचकूला को मेट्रो अस्पताल के ब्लड बैंक के लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दे दिए। विज के अनुसार, राज्य में लोगों के स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से कार्य करने वाले दूसरे ब्लड सेंटरों को भी बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने स्टेट ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिए हैं कि राज्य के सभी ब्लड सेंटरों की जांच की जाए और उनका निरीक्षण केंद्रीय एजेंसियों के नोडल अधिकारियों के साथ मिलकर किया जाए। यदि किसी ब्लड सेंटर में किसी भी प्रकार की अनियमितता या उल्लंघना पाई जाएगी तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

लाइसेंस निलंबन को लेकर मेट्रो अस्पताल के प्रवक्ता ने एक झूठ परोसते हुए कहा है कि उनका निलम्बन तरुण चोपड़ा नामक एक व्यक्ति, जिनकी माता का देहांत उनके अस्पताल में हो गया था, की शिकायत पर गलत ढंग से कर दिया गया है। जबकि, सर्वविदित है कि स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ऐसा निलम्बन किसी मरीज़ की शिकायत पर नहीं होता बल्कि ब्लड बैंक को चलाने में पाई गयी घातक अनियमितताओं के आधार पर होता है।

तरुण चोपड़ा ने दस्तावेज़ी हकीकत उजागर करते हुए बताया कि यह निलम्बन फरीदाबाद के सीनियर ड्रग कंट्रोलर राकेश दहिया की उस रिपोर्ट पर हुआ है जिसमें उन्होंने निरीक्षण के दौरान 9 घातक लापरवाहियां पाई गयी थी। इसी खुंदक में मेट्रो अस्पताल वालों ने इस अधिकारी का यहां से तुरंत तबादला भी करा दिया था जो मात्र चार माह पूर्व यहां नियुक्त हुआ था और उसकी जगह अपने उस पालतू अधिकारी गोदारा को ले आये जो बीते 6 वर्षों से इनकी लापरवाहियों की पर्दापोशी करता आ रहा था।

अब निलम्बन वापसी की जिस अपील का दावा मेट्रो अस्पताल कर रहा है, वह मात्र ले-देकर अपने रसूखदारी से इस निलम्बित लाईसेंस को बहाल कराना है।

प्रदेश नेगलिजेंस बोर्ड की नेगलिजेंस
माननीय हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय के आदेश पर हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में डिस्ट्रिक्ट नेगलिजेंस बोर्ड का गठन किया गया था जिनकी जिम्मेदारी जिले के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ आई शिकायतों का निवारण करना है। हरियाणा में जन सामान्य को क्या स्वास्थ्य सेवाएं सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई हैं , इसका अंदाजा पीजीआई रोहतक की कार्यशैली की दुर्दशा देखकर लगाया जा सकता है। आरटीआई में जानकारी के अनुसार कुल 4 वर्षों में जनवरी 2018 से जनवरी 2022 के मध्य पीजीआईएमएस रोहतक के मेडिकल बोर्ड को नेगलिजेंस प्रैक्टिस की 72 शिकायतें प्राप्त हुईं। इन 72 शिकायतों में कितने अस्पताल दोषी पाए गए पीजीआई रोहतक में इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। उन शिकायतों की सुनवाई के दौरान कितने अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस पीजीआई द्वारा जारी किया गया इसका भी कोई रिकॉर्ड पीजीआई में उपलब्ध नहीं है। आरटीआई के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि पीजीआई मेडिकल बोर्ड के द्वारा इन समस्त 72 शिकायतों में किसी को भी दोषी नहीं पाया गया तथा बोर्ड द्वारा किसी को भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया।

पीजीआई रोहतक मेडिकल बोर्ड की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह स्पष्ट है। स्पष्ट है कि पीजीआई रोहतक में गठित मेडिकल बोर्ड द्वारा प्राइवेट अस्पतालों से मिलीभगत के तहत इन सभी 72 शिकायतों में गोलमाल तरीके से निपटारा किया गया। पीजीआई रोहतक के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को स्पष्ट करना चाहिए कि किन कार्यशैली के किन मानकों के तहत शिकायतों से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़े पीजीआई रोहतक में उपलब्ध नहीं है? पीजीआई रोहतक में गठित मेडिकल बोर्ड के पास जिले की सीधी शिकायतों के अलावा राज्य भर के कुछ अन्य शिकायतों को भी निपटारे हेतु स्थानांतरित किया जाता है। संज्ञान में आया है कि पीजीआई मेडिकल बोर्ड के द्वारा शिकायतों का निपटारा बिना सुनवाई के ही कर दिया जाता है। ऐसी ही एक शिकायत महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं पंचकूला द्वारा पीजीआई रोहतक में जनवरी 2022 में कार्रवाई हेतु भेजी गई थी उसका निराकरण भी पीजीआई द्वारा बिना किसी सुनवाई तथा शिकायतकर्ता को बिना सुने कर दिया गया।

मजदूर मोर्चा ने अभी कुछ सप्ताह पूर्व ही आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार खबर प्रकाशित की थी सिविल सर्जन फरीदाबाद के नीचे गठित डिस्ट्रिक्ट नेगलिजेंस बोर्ड को प्राप्त 88 शिकायतों में भी कोई दोषी नहीं पाया गया। तब भी किसी को भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया था।

फरीदाबाद तथा रोहतक दो महत्वपूर्ण जिलों के आंकड़ों के अनुसार कुल 160 शिकायतों में मेडिकल बोर्ड द्वारा किसी को भी दोषी नहीं पाया गया। इन शिकायतों में कोविड-19 प्रथम तथा द्वितीय लहर के दौरान की शिकायतें भी शामिल थीं।

हरियाणा सरकार द्वारा गठित जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट नेगलिजेंस बोर्ड जोकि सिविल सर्जन के नीचे हैं तथा पीजीआई जैसे संस्थान तक में लोगों को अपनी शिकायतों का न्याय नहीं मिल पा रहा है तो एक सामान्य नागरिक अपनी शिकायतों के निवारण हेतु तथा न्याय प्राप्ति हेतु कौन सा दरवाजा खटखटाए?

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles