डॉक्टर रणबीर सिंह
पेट मैं मारण की तैयारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।। क्यों चालै मेरे पै कटारी , मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।। 1 मातम मनाते मेरे होण पै छोरे पै बजती थाली क्यों छठ छोरे की सारे मनाते गामां ताहिं के हाली क्यों नामकरण करते छोरे का पढ़े लिखे और पाली क्यों अग्नि देनी शमशान घाट मैं म्हारी करते टाली क्यों पराया धन गई मैं पुकारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।। 2 धन धरती का हक म्हारा, किसनै खोस्या हमनै बताओ रिवाज पुत्र वंश चलाने का किसनै थोंप्या हमनै बताओ दोयम दर्जा म्हारे ताहिं , किसनै सोंपया हमनै बताओ म्हारा मान सम्मान दखे किसनै खोस्या हमनै बताओ म्हारी जगाह सिमटती जारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।। 3 स्वयंम्बर करकै पति चुनै या रही परंपरा म्हारी बताई दमयंती नै नल के गल मैं माला खुद तैं डारी बताई मातृ सत्ता म्हारे समाज मैं बहोत दिन रही जारी बताई पितृ सत्ता की संस्कृति खुद बै खुद उभरती आरी बताई आज या चारों कांहीं छाहरी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।। 4 धापां सीमा संतोष काफी यो नाम धरया भतेरी क्यों सारी उम्र इन नामां करकै महिला झेलैं अंधेरी क्यों दोयम दर्जा म्हारा समाज मैं लाज जावै बखेरी क्यों कोई रास्ता नहीं देवै दिखाई चारों तरफ तैं घेरी क्यों बनाई सां हम अबला नारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।। 5 इसे माहौल मैं माता क्युकर बेटी पैदा करदे देखो परिवार महिला की नाड़ पै तुरत कटारी धरदे देखो माँ का कसूर कड़ै इसमैं चाहवै रंग जीवन मैं भरदे देखो सन्तुलन जब बैठे जब हटैं समाज की आंख्यां तैं परदे देखो या पूरे समाज की बीमारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।। 6 औरत मर्द जड़ै बराबर वोहे समाज ठीक जताया सै इस संकट की जड़ों मैं हाथ पितृ सत्ता का पाया सै पुत्र लालसा छोरी मारै परिवारों नै जुल्म कमाया सै परिवार पूरे समाज का दर्पण यो गया सही बताया सै रणबीर की कलम पुकारी , मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।