गुजरात की रहने वाली यशोदाबेन का विवाह बचपन में ही हो गया था। 18 वर्ष की होने पर, जब उसे शादी का अर्थ मालूम हुआ तब तक उसका पति उसे छोडक़र फरार हो चुका था। स्थिति ऐसी बनी कि न तो विधवा और न ही तलाकशुदा। यशोदा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने बाकायदा पढ़ाई-लिखाई करके एक अध्यापिका की नौकरी पकड़ी। अपने अदम्य साहस के बल पर उसने आत्मसम्मान से भरा जीवन जिया है। दूसरी ओर उसका पति तीन बार गुजरात का मुख्यमंत्री और दो बार भारत का प्रधानमंत्री बनने में कामयाब हो गया। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ तथा महिला उत्थान के खोखले नारे देने वाले इस पति ने कभी मुड़ कर अपनी परित्यक्ता पत्नी की सुध लेने की जरूरत नहीं समझी। यशोद बेन की जीवट को सलाम।