गुडग़ाव (म.मो.) गुडग़ांव, मानेसर, धारूहेड़ा, बावल व रेवाड़ी इत्यादि के क्षेत्र में करीब 20 लाख मज़दूर ईएसआई कार्पोरेशन में अपना अंशदान अदा करते हैं। ईएसआई मान कर चलती है कि एक अंशदाता का मतलब कम से कम चार लोगों का परिवार तो होता ही है। इसका अर्थ यह हुआ कि इस क्षेत्र के करीब 80 लाख लोग ईएसआई प्रदत्त स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े हुए है। ये तमाम लोग कार्पोरेशन से बेहतरीन चिकित्सा सेवायें लेने के हकदार हैं। इन्होंने इस सेवा के लिये अग्रिम भुगतान कार्पोरेशन को कर रखा है। इसके बावजूद कार्पोरेशन इन्हें कभी भी समुचित चिकित्सा सेवायें नहीं दे पाई है। सेवा के नाम पर कार्पोरेशन ने हरियाणा सरकार को बाइपास करते हुए स्वयं 100 बिस्तर का एक अस्पताल गुडग़ाव व 50 बिस्तरों का ही दूसरा अस्पताल मानेसर में बना कर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली थी। दरअसल मानेसर में डेढ़ एकड़ का प्लॉट डिस्पेंसरी के लिये लिया गया था। जिसमें यह अस्पताल खड़ा कर दिया गया। इस तरह का अस्पताल न तो डिस्पेंसरी की सेवा दे पाता है और न ही अस्पताल की।
बीते करीब 11 साल से इस क्षेत्र के मज़दूर इन आधे-अधूरे अस्पतालों को भुगतने को मज़बूर रहे हैं। निकृष्टतम सेवाओं के बावजूद इन अस्पतालों से निजी अस्पतालों के लिये रेफर होना कोई आसान काम नहीं था। ये दोनों अस्पताल अपने मरीज़ों को दिल्ली के सफदरजंग व एम्स के लिये रैफर करके निश्चिंत हो जाते थे। विदित है कि दिल्ली के इन अस्पतालों के लिये इस तरह के रेफरेंसों को कोई प्राथमिकता कभी नहीं मिलती थी। यानी कि बिना रेफरेंस के भी सीधे ही वहां जाया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि फिर ईएसआई कार्पोरेशन उनसे मोटी वसूली किस लिये करती है?
इन बदत्तर हालात को देखते हुए कार्पोरेशन ने मानेसर में, करीब दो माह पहले 500 बिस्तरों के एक अस्पताल का शिलान्यास किया है। मात्र साढे सात एकड़ के प्लॉट पर बनने जा रहा यह अस्पताल भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही है। यदि कार्पोरेशन थोड़ी भी दूरदर्शिता से काम लेती तो साढ़े सात एकड़ के इस प्लॉट की अपेक्षा, आस-पास कहीं 50 एकड़ का भूखंड लेकर एक बड़े अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू करती। बताने की जरूरत नहीं कि मात्र पांच लाख ईएसआई अंशधारकों के लिये फरीदाबाद में 500 बेड का अस्पताल आज छोटा पड़ रहा है तो यहां 20 लाख अंशधारकों के सामने यह 500 बेड का अस्पताल कब तक टिकेगा? एचएसआईडीसी के प्लॉट पर बनने जा रहे इस अस्पताल के चारों ओर औद्योगिक प्लॉट होने के चलते कभी भी इसका विस्तार नहीं किया जा सकेगा।
फरीदाबाद, व सनत नगर (हैदराबाद) व कुछ अन्य ईएसआईसी मेडिकल कॉलेजों ने यह सिद्ध कर दिया है कि बेहतरीन चिकित्सा सुविधायें देने के लिये ये कॉलेज निहायत ही उपयोगी हैं। इसे देखते हुए कार्पोरेशन मानेसर एक छोटे से प्लॉट पर 500 बेड का अस्पताल बनाने की अपेक्षा एक बड़े प्लॉट पर 1000 बेड का अस्पताल व मेडिकल कॉलेज का निर्माण करता तो सही रहता।
संदर्भवश सुधी पाठक यह भी जान लें कि मानेसर का यह प्रोजेक्ट केन्द्रीय श्रम मंत्री भूपेन्द्र सिंह यादव के खाते में लिखा गया है। यादव, वैसे तो राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी उन्हें अहीरवाल के दिग्गज़ नेता राव इन्द्रजीत के मुकाबले में स्थापित करना चाहती है। इसी के चलते केन्द्र व हरियाणा सरकार उन्हें काफी बढावा दे रही है। मानेसर का यह अस्पताल भी, क्षेत्र में उनकी पैठ बढ़ाने के लिये बनाया जा रहा है।
लेकिन जिस स्तर का यह अस्पताल बनने जा रहा है उससे उनका कोई विशेष यशोगान होने वाला नहीं है। यदि वास्तव में ही भूपेन्द्र यादव इस क्षेत्र में अपनी पैठ जमाना चाहते हैं तो उन्हें इस छुटकू से अस्पताल के अपेक्षा कुछ बड़ा काम करना चाहिये। मेडिकल कॉलेज एवं बड़े अस्पताल के निर्माण हेतु मज़दूरों ने, इस पर होने वाले खृर्च से कहीं अधिक पैसा कार्पोरेशन को दे रखा है।