फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) ग्रीन बेल्ट पर चाहे भाजपा कार्यालय बने या शराब के अहाते, नेताओं-दलालों के आज्ञाकारी अधिकारियों को नजर नहीं आते, आएं भी क्यों जब इसके एवज में उन्हें सुविधा शुल्क से लेकर शराब और नेताओं का संरक्षण हासिल होता है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण कर शहर में चालीस शराब अहाते धड़ल्ले से चल रहे हैं। यह अहाते कोई आज से नहीं चल रहे, 2019 में भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने ग्रीन बेल्ट पर चल रहे 21 से ज्यादा अहातों को हटाने का सख्त आदेश जारी किया था। हटाया जाना तो दूर चार साल में इनकी संख्या लगभग दो गुनी हो गई। शराब कारोबारी ग्रीन बेल्ट जैसी सार्वजनिक जगहों पर अहाते खोलने की हिम्मत यूं ही नहीं कर पाते, उन्हें केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर के मामा राजपाल का साथ मिला हुआ है। इन कारोबारियों को ठेका दिलवाने से लेकर ग्रीन बेल्ट पर कब्जा करवाने तक की सहूलियत मामा ही दिलाता है। यह काम वह कोई मुफ्त या समाजसेवा के लिए नहीं करता, बल्कि ठेकेदार को आमदनी पर कमीशन चुकाना पड़ता है, यानी ये अहाते मामा की अघोषित पार्टनरशिप में चलते हैं। इसके बदले मामा इन ठेकेदारों को हूडा, नगर निगम और पुलिस से संरक्षण दिलाता है। पुलिस सूची में घोषित दलाल मामा राजपाल की अधिकारी भी हां में हां इसलिए मिलाते हैं कि एक तो वह केंद्रीय मंत्री किशनपाल का मामा है दूसरे दलाल के रूप में वह इन अधिकारियों को ऊपरी कमाई भी करवाता है।
अधिकारियों को मालूम है कि राजपाल को नाराज करना यानी किशनपाल गूजर से बैर मोल लेना। मंत्री का संरक्षण, मामा का सहयोग और ठेकों से मुफ्त शराब और सुविधा शुल्क जैसी सहूलियत मिले तो कौन अधिकारी कार्रवाई करना चाहेगा। यही कारण है कि एनजीटी के आदेश के बाजवूद ग्रीन बेल्ट पर ठेकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आय बढ़ाने की जद्दोजहद में लगे आबकारी विभाग के अधिकारी ठेके का लाइसेंस जारी करते समय यह भी नहीं देखते कि कारोबारी के पास ठेका खोलने के लिए जमीन है भी या नहीं, रही बात नगर निगम और हूडा के अधिकारियों की तो उनकी आखों पर राजपाल मामा के रसूख और नोटों का चश्मा चढ़ा है।
एनजीटी के आदेश पर कार्रवाई रिपोर्ट भेजने का हुनर तो इन अधिकारियों को आता ही है। 2019 में एनजीटी ने ग्रीन बेल्ट को मुक्त कराने का आदेश जारी किया तो नगर निगम ने उसे भी गुमराह कर दिया। 2020 में तोडफ़ोड़ का नाटक करने के बाद अधिकारियों ने एनजीटी को कार्रवाई रिपोर्ट भेज दी। कार्रवाई के तुरंत बाद मामा के चहेतों ने फिर से ग्रीन बेल्ट पर कब्जा कर डाला। कई जगहों पर ठेका तो थोड़ी सी जगह में खुला लेकिन पीने वालों को सहूलियत देने के लिए ग्रीन बेल्ट के और ज्यादा इलाके पर कब्जा कर डाला गया। हरियाणा को नशा मुक्त करने के लिए साइकलाथॉन का नाटक कर रहे मुख्यमंत्री खट्टर को यहां ग्रीन बेल्ट उजाडक़र बनाए जा रहे शराब ठेकों की जानकारी नहीं हो यह नामुमकिन है लेकिन उनमें अपनी पार्टी के नेताओं की नाराजगी मोल लेेने की हिम्मत नहीं है।