मालिक और मज़दूरों के हित, एक-दूसरे के विरोधी

मालिक और मज़दूरों के हित, एक-दूसरे के विरोधी
February 13 07:17 2024

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) मज़दूर साथियों, जैसा पहले कई बार चर्चा हो चुकी है, मालिक और मज़दूरों के हित, एक-दूसरे के विरोधी होते हैं. मज़दूरों की मेहनत का एक बड़ा हिस्सा चुराकर ही, मालिकों की दौलत के पहाड़ खड़े होते हैं. मालिक, इस विरोध को यह कहकर ढकने की कोशिश करते हैं कि हम तो एक परिवार की तरह हैं. नवंबर 22 में, लखानी कंपनी के गेट पर प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद,गेट बंद कर, पुलिस की मौजूदगी में, अंदर गेट के पास ही मीटिंग हुई थी, जिसमें लखानी ने कहा था, ‘तुम तो मेरे बच्चे जैसे हो’!! मई 2021 में जब कई सौ मज़दूरों को निकालने के लिए, इस्तीफे लिए, तब ‘बच्चे’ याद नहीं आए!! ग्रेचुटी की रक़म का भुगतान, 30 दिन के अंदर हो जाना चाहिए, अभी तक नहीं हुआ. ‘बच्चे’ किस हाल में हैं, ‘पिताजी’ ने सुध नहीं ली!! महीने के 4 प्रतिशत ब्याज पर कज़ऱ् लेकर, ‘बच्चे’ किसी तरह अपने परिवारों को जिंदा रखे हुए हैं, लेकिन ‘पिताजी’ उनका वाजिब हक देने को तैयार नहीं!!

‘पिताजी’ ने ‘बच्चों’ की, दस हज़ार महीने की तनख्वाह में से काटा गया, पीएफ़ भी उनके खातों में जमा नहीं किया था. उतना ही कंपनी का हिस्सा, ख़ुद जमा करना था, उसकी बात तो जाने ही दीजिए, वह तो अभी तक भी नहीं हुआ!! वह 1.15 करोड़ रूपया भी तब जमा किया, जब मज़दूरों ने,अपना संगठन, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ बनाया, और उसके झंडे के साथ, प्रदर्शन किए. पहले पीएफ़ विभाग पर, ‘अमानत में खय़ानत’ की एफ़आईआर दजऱ् कराई, फिर उस पर कार्यवाही करने के लिए आंदोलन चलाए. ड्राफ्ट जमा करने के बाद भी, कंपनी ने ज़रूरी रिटर्न अभी तक नहीं दाखि़ल किए हैं, इसीलिए पीएफ की रक़म, मज़दूरो के खातों में अभी तक भी जमा नहीं हुई है. उसके लिए, पीएफ़ विभाग पर लगातार दबाव बनाने की ज़रूरत है. उसके बाद, कंपनी के हिस्से के 1.15 करोड़ रुपये ब्याज और दंड के साथ जमा कराने का संघर्ष चलाया जाएगा.

यही सब कारण हैं कि कोई भी फैक्ट्री मालिक, मज़दूरों का संगठन नहीं बनने देना चाहता. बन गया है, तो उसे तोडऩे की कोशिशें ज़ारी रखता है. मज़दूर भाइयों के संगठन के कार्यकर्ताओं-नेताओं को धमकाकर, लालच देकर, संगठन तोडऩे में क़ामयाबी नहीं मिली, तो उनके ही बीच में मौजूद चंद डरपोक, कमज़ोर और चापलूस तत्वों को अपनी ओर कर, संगठन को कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही हैं. क्या मज़दूरों को मालिक से ये सवाल नहीं करने चाहिएं?

1) मज़दूरों की ग्रेचुटी की रक़म को, मालिक 3 साल से इस्तेमाल कर रहा है; उस पर वह कोई भी ब्याज क्यों नहीं दे रहा?
2) पीएफ़ का मज़दूरों का हिस्सा 1.15 करोड़ रुपये जमा करने के बाद भी, उसका रिटर्न क्यों दाखि़ल नहीं कर रहा? उसी वज़ह से वह पैसा आपके खातों में जमा नहीं हो पा रहा. पीएफ की इस रक़म पर भी ब्याज का क्या?
3) अपने हिस्से का 1.15 करोड़ रूपया, ब्याज और दंड के साथ, मालिक, क्यों नहीं जमा करा रहा? कब जमा कराएगा?
4) जून की 25 तारीख के चेक, आज, पूरे 5 महीने पहले देने से क्या फ़ायदा होगा? क्या ये आप लोगों को भटकाने, संघर्ष के रास्ते से हटाने की क़वायद नहीं है?
5) एक सवाल, आप लोग, ख़ुद से भी करिए; अगर आप लोगों ने, ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ ना बनाया होता, तब भी क्या,मालिक, आप लोगों को इसी तरह बुला-बुलाकर चेक थमाता? पीएफ़ का पैसा जमा कराता? लखानी कंपनी के लोगों ने तो श्रम-अदालत जाना भी, आप लोगों का संगठन बनने के बाद ही सीखा है. क्या, इसके बाद आपको संगठन की ज़रूरत कभी नहीं पड़ेगी? मज़दूर को उसका हक़, इज्ज़त और शोषण-जि़ल्लत से मुक्ति, संगठित होकर, संघर्ष करने, मालिक की आंखों में आंखें डालकर अपनी बात कहने, बेख़ौफ़ आवाज़ बुलंद करने से ही मिलती है. संगठन को कमज़ोर करने वाले, मालिक के pitthuye को दुत्कार कर, बेनक़ाब करो. अपनी एकता अटूट रखो. आप लोगों की मेहनत का एक-एक पैसा ब्याज के साथ वसूल होने तक, इंसाफ और सम्मान की ये जंग ज़ारी रहेगी. कोर कमेटी, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा, फऱीदाबाद

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Mazdoor Morcha
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