फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) कितना हास्यास्पद है, लघु सचिवालय के पास वाहन पार्किंग के नाम पर इंच भर भी जगह नहीं है और पार्किंग का ठेका एक वर्ष के लिये 26 लाख में, जिला प्रशासन द्वारा छोड़ दिया गया है। जाहिर है ऐसे मेंं ठेकेदार लघु सचिवालय के चारों ओर की सडक़ों पर वाहन खड़े करने वालों से वसूली करेगा।
सेक्टर 12 स्थित इस लघु सचिवालय के साथ न्यायिक परिसर, ‘हूडा’ ऑफिस तथा खाद्य एवं आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण कार्यालय है। इनमें हजारों लोग प्रति दिन आते हैं। इसके परिणाम स्वरूप चारों ओर की सडक़ों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। एक ओर तो पुलिस का कत्र्तव्य है कि सडक़ पर खड़े वाहनों का चालान करे और दूसरी ओर जि़ला प्रशासन उन्हीं सडक़ों पर वाहन खड़े करने का भारी-भरकम ठेका छोड़ रहा है। जाहिर है कि इससे इन सडक़ों पर आवागमन दूभर हो जाता है। संकटकालीन स्थिति में एम्बुलेंस आदि का भी निकलना कठिन हो जाता है।
यूं तो यह स्थिति बीते दसियों बरस से चली आ रही है जिसकी मौन स्वीकृति पुलिस ने भी दे रखी थी। परन्तु अब पहली बार किसी पुलिस अधिकारी ने इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए विरोध किया है। नव नियुक्त डीसीपी ट्रैफिक अमित यशवर्धन ने पार्किंग ठेकेदार को इस बाबत कड़ी हिदायत जारी करने की बात कही है। लगता है पहली बार कोई रीढ़ की हड्डी वाला पुलिस अधिकारी यहां प्रकट हुआ है। अब देखना यह है कि जि़ला प्रशासन के सामने यह रीढ़ कब तक सीधी खड़ी रह पायेगी?
समस्या की जड़ में दूरदृष्टि का अभाव वर्ष 1985-86 में यहां लघु सचिवालय के नाम से पहली पांच मंजिला बिल्डिंग का निर्माण किया गया था। कुछ समय बाद इसमें जि़ला अदालतों को भी घुसेड़ दिया गया। उस समय शासन-प्रशासन चलाने वालों को इस बात की समझ नहीं थी कि आने वाले समय में वाहन पार्किंग की समस्या भी होगी। यदि उसी समय उस बिल्डिंग के नीचे 400-500 वाहन पार्किंग के लिये बेसमेंट बनाई होती तो यह समस्या इतनी विकराल न होती।
सन् 2004-5 में मौजूदा लघु सचिवालय का निर्माण किया गया। इसमें तहसील, एसडीएम आदि के कार्यालय सहित तमाम दफ्तरों को लाया गया। यहां फिर दूरदृष्टि का अभाव नज़र आया। इस बिल्डिंग के नीचे पार्किंग के लिये जो बेसमेंट बनाई गई थी उसमें भी तमाम कार्यालयों का सामान एवं रिकार्ड इत्यादि भर दिया गया और तो और ये नई बिल्डिंग भी इतनी अपर्याप्त बनाई गई कि इसमें न तो शिक्षा विभाग के दफ्तर समा सके न ही जि़ला कोषागार, समाज कल्याण के दफ्तर को भी यहां से निकालना पड़ा, पुलिस विभाग के लिये सेक्टर 21 में नई बिल्डिंग तलाशी गई। कुल मिलाकर शासन-प्रशासन केवल आज भर की सोचता है कल को क्या स्थिति होगी इसकी कोई समझ इन्हें कभी नहीं रही।
करीब 12 वर्ष पूर्व वकीलों के चेम्बर बनाते वक्त भी किसी की बुद्धि ने काम नहीं किया कि पार्किंग के लिये बेसमेंट भी बना दिया जाए। यही स्थिति नवनिर्मित जि़ला न्यायिक भवन की भी है।