कुत्तों के टीकाकरण-नसबंदी के नाम पर फिर होगी लूट

कुत्तों के टीकाकरण-नसबंदी के नाम पर फिर होगी लूट
March 04 05:59 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) काम कराए बिना ही सरकारी धन की बंदरबांट करने में माहिर नगर निगम के अधिकारी कुत्तों की नसबंदी के नाम पर एक फिर लूट कमाई करेंगे। इसके लिए निगम स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय से वृंदा शर्मा नाम की महिला के नाम वर्क ऑर्डर जारी करने की तैयारी की जा रही है। आवारा कुत्तों की आबादी नियंत्रण, उनके टीकाकरण, भोजन आदि का जिम्मा नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने अपने सिर पर उठा रखा है ताकि इसके नाम पर लूट कमाई होती रहे। कर्मचारियों की फौज होने के बावजूद निगम अधिकारी ये काम खुद न करा कर तथाकथित सामाजिक या पशु प्रेमी संस्थाओं से कराते हैं, इसके लिए संस्थाओं को चालीस से पचास लाख रुपये प्रति वर्ष भुगतान किया जाता है। जमीन पर कोई काम यानी कुत्तों का टीकाकरण और नसबंदी तो होती नहीं, हां बिल लगाकर मोटा भुगतान किया जाता है। ज़ाहिर है कि बिना काम के इतना बड़ा भुगतान बिना बंदरबांट तो किया नहीं जाता होगा।

आरटीआई कार्यकर्ता रविंद्र चावला के अनुसार नगर निगम के पास शहर में न तो आवारा कुत्तों का और न ही पालतू कुत्तों या पशुओं का कोई रिकॉर्ड है। 2014 में खट्टर सरकार बनने पर उस दौरान मेनका गांधी की करीब रहीं शहर की प्रीति दुबे को कुत्तों के टीकाकरण, नसबंदी, भोजन, शेल्टर आदि सेवाएं देने का ठेका दिया गया था। प्रीति दुबे की संस्था ने कागजों पर काम दिखा कर बिल लगाए और कमीशनखोर अधिकारियों ने भुगतान करवाया। खास बात ये है कि प्रीति दुबे की संस्था का ठेका 31 मार्च 2023 तक बार बार रिन्यू किया जाता रहा लेकिन उनके कामों का न तो प्रीति ने खुद और न ही निगम अधिकारियों ने हिसाब रखा।

आरटीआई कार्यकर्ता नरेंद्र सिराही के अनुसार इस दौरान नगर निगम ने प्रीति दुबे को करीब सवा करोड़ रुपये का भुगतान कर डाला। वर्ष 2018 से 2023 के बीच हर माह लगभग ढाई लाख रुपये की से भुगतान तो किया गया लेकिन इस भुगतान के एवज मेें प्रीति दुबे की संस्था ने कितने कुत्तों की नसबंदी की, टीकाकरण किया और गंभीर घायल कुत्तों का इलाज कराया इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया। बिना काम और रिकॉर्ड के ये भुगतान बिना हिस्सा बांट के तो किया नहीं गया होगा।

कुत्तों की सेवा-टहल के नाम पर अकेले प्रीति दुबे तो इतनी बड़ी रक़म हड़प नहीं सकती थी, उसको यह ठेका सत्तापक्ष के जिन नेता मंत्रियों की सिफारिश से दस साल तक दिया जाता रहा, वह हर साल मलाई मिलने के कारण ही ठेका दिलाते होंगे। बिना काम के ही सालाना करीब चालीस लाख रुपये की बंदरबांट इस दौरान रहने वाले प्रत्येक निगमायुक्त की जानकारी में न हो ऐसा नहीं हो सकता, बावजूद इसके न तो किसी भी निगमायुक्त ने इस पर कभी आपत्ति दर्ज नहीं की, समझा जा सकता है कि इन निगमायुक्तों ने भी लूट कमाई के इस खेल में हिस्सेदारी निभाई होगी। देखना है कि वर्तमान निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास वित्त वर्ष के अंत मेें कुत्तों की देखभाल के लिए जारी किए जा रहे इस वर्क ऑर्डर पर आपत्ति दर्ज कराएंगी या फिर वो भी बहती गंगा में हाथ धोएंगी, यह समय बताएगा।

मीडिया में इस घोटाले की खबर आई तो अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए टेंडर जारी नहीं किया लेकिन जिसे हरामखोरी की आदत पड़ जाए वो ऊपरी कमाई के बिना ज्यादा दिन नहीं बैठ सकता। वित्त वर्ष 2023 -24 खत्म होने में महज एक महीना ही बचा है लेकिन कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण की मद में किसी वृंदा शर्मा नाम की महिला के नाम पर वर्क ऑर्डर जारी किया गया है। वर्क ऑर्डर कितने रुपयों का जारी किया गया है इस पर अधिकारी मौन साधे हुए हैं।

जानकारों का मानना है कि वित्त वर्ष समाप्त होने वाला है और इस मद में आए धन को ठिकाने लगाना जरूरी है अन्यथा करीब चालीस लाख रुपया लौटाना पड़ेगा। इसी के मद्देनजऱ जल्दबाज़ी में सारा खेल किया जा रहा है। लोगों का तो यहां तक मानना है कि विवादित हो जाने के कारण प्रीति दुबे स्वयं सामने नहीं आई है बल्कि वृंदा शर्मा का मुखौटा लगाया गया है, लोगों की बातेें कितनी सच्ची हैं या झूठी ये तो पड़ताल का विषय है लेकिन ये तो तय है कि कुत्तों के नाम पर एक बार फिर सरकारी खज़ाने की बंदरबांट होने वाली है।

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Mazdoor Morcha
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