कुलियों के माध्यम से रेल यात्रियों को लुटवा रही मोदी सरकार

कुलियों के माध्यम से रेल यात्रियों को लुटवा रही मोदी सरकार
October 08 15:22 2022

नीलिमा झा
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कुलियों का बहुत बड़ा गैंग है और इन्हीं की दादागिरी भी चलती है। ये यात्रियों को इस तरह से टार्चर करते हैं कि वे थके-हारे पहले से ही परेशान रहते हैं और कुलियों का ऐसा व्यवहार उन्हें और दुखी कर देता है। यहां पर कुलियों से, पुलिस, रेलवे के कुछ कर्मचारी, टैक्सी वाले, ऑटो वाले, बुजुर्गों को स्टेेशन लाने ले जाने वाली बैट्री रिक्शा, सभी इनसे मिले होते हैं। वहां टैक्सी, ऑटो वालों का कहना है कि 300 रुपये में 50 रुपये, और 1000 में 150 रुपये तो कुली ही अपना कमीशन ले लेता है, इसके कहे अनुसार नहीं करेंगे तो ये एक भी सवारी मुझे नहीं देगा।

वहां ट्रेन से उतरने से पहले, चलती ट्रेन में ही कुली चढ़ कर मोल-भाव शुरू कर देता है और सामान को जबरदस्ती पकड़े रहेगा। प्लेटफार्म पर उतरने के बाद टैक्सी वाले ऑटो वाले सभी से इनका कमीशन बंधा रहता है। यहां ट्रेन पर चढने से पहले और उतरने के बाद कुलियों की मनमर्जी चलती है। वो जो कहेंगे वो मानना पड़ेगा नहीं तो गलत रास्ता बता देंगे और इससे यात्रियों को भटकना पड़ता है, ट्रेन भी छूट जाती है। जिन यात्रियों के पास छोटा-मोटा भी सामान रहता है जिसे वो आसानी से लेकर चल सकते हैं, तो ये गैंग कहने लगेंगे कि तुम वहां तक नहीं पहुंच पाओगे मैं छोड़ देता हूं, 500 रुपये लगेंगे। आप मेरे साथ चलो नहीं तो पुलिस वाले आपको एंट्री नहीं देंगे। ऐसा कहकर यात्रियों को बरगला देते हैं।

नई दिल्ली तो ऐसा रेलवे स्टेेशन है कि यहां विदेशों से भी यात्रीेगण आते हैं। कई बार मेरे साथ वाराणसी, गया, राजगीर जो इनका तीर्थ और पर्यटन स्थल भी है। वो नई दिल्ली से मेरे साथ ही ट्रेन में बैठे थे। उन्हें तो यहां के बारे कुछ पता नहीं होता है कुली जितना पैसा मांगता है, निकाल कर दे देते हैं। हम लोग जैसे यात्री भी सोचने लग जाते हैं कि ट्रेन छुटने पर टिकट के 2000-2500 रुपये बेस्ट भी चला जायेगा और ट्रेन भी नहीं पकड़ पायेंगे तो इससे अच्छा है कि इसे 500 रुपये देकर आसानी से ट्रेन तक पहुंच जायेंगे और ज्यादातर यही होता भी है। सही में पुलिस भी एंट्र्री नहीं देती है, यात्री धक्के खाते रह जाते हैं।

यात्रियों को, मेट्रो के एक नम्बर गेट से निकलते ही वहां कुली का गैंग खड़ा रहेगा और उनका छोटा सा भी बैग हो तो उनसे जबरदस्ती छीनने की कोशिश करने लगता है। जिसे रेलवे स्टेशन से मेट्रो जाना है उसके साथ कुली के नहीं रहने पर एक नम्बर गेट से इंट्री नहीं देगा। कुली साथ है तो जिस गेट से मर्जी है चले जाओ कोई कुछ नहीं कहेगा।

मेरे साथ भी 28 सितम्बर को यही हुआ किन्तु मुझे पता था। एक-दो बार मेरे साथ भी ऐसा ही हो चुका है। मुझे पटना जाने के लिये राजधानी पकरनी थी। जैसे ही मैट्रो के एक नम्बर गेट से बाहर निकली कि वहां कुली खड़ा था और कहने लगा कि कौन सी ट्रेन पकडऩा है? में आपको वहां तक छोड़ देता हूं 500 रुपये लगेंगे। मैं कुछ नहीं बोली आगे निकल गई। थोड़ी दूर जाने पर वहां फिर दूसरा कुली कहने लगा आप वहां तक नहीं जा सकते हो मैं छोड़ देता हूं 300 रुपये लगेंगे। मैं आगे बढ़ती चली गई, जब तीन नम्बर गेट के पास पहुंची तो वहां पुलिस खड़ी थी। वो मुझे अंदर नहीं जाने दिया। मैं पूछी जब आप अंदर नहीं जाने देते हो तो ये रास्ता किसलिये है। पुलिस बोला यहां आपका सामान कैसे चेक होगा? ये बाहर निकलने का रास्ता है। उसी वक्त कुली के साथ आने वाले यात्री अंदर चले गये ओर मुझे नहीं जाने दिया। फिर दूसरी गेट के समीप एस्क्लेटर के पास जाने पर वहां भी पुलिस खड़ी थी वो भी यही कहा। इस गेट से अंदर नहीं जाना है आगे से जाओ। मैं कही मेरी ट्रेन छुट जायेगी प्लीज जाने दो, किन्तु वो कहां सुनने वाला था।

इसके बाद एक नम्बर गेट से ऊपर की ओर गई, जहां से टिकट मिलती है। वहां पर न पुलिस थी और न ही कुली, वो कोई कर्मचारी था। वो मुझे वहीं रोक लिया और पूछा कि आप कैसे जाना चाहते हो? मैं इस बात को नहीं समझी और बोल दी कि जैसे मैं जल्दी पहुंच जाऊं, मेरी ट्रेन लगी हुई है। वो कहने लग गया कि देख लो कितनी लम्बी लाइनें लगी है प्लेटफार्म तक जाने में एक घंटे से कम नहीं लगेंगे और ट्रेन भी खुल जायेगी मैं कुली से छोड़वा देता हूं। मैं पूछी कितने पैसे लोगे तो कहा बस 300 रुपये दे देना। मैं बोली मेरे पास पैसे नहीं है और वहां खड़ी होकर अंदाजा लगाने लगी कि कितनी देर में यात्री कहां तक निकलते है। मुझे पता चल गया कि मैं भी आसानी से चली जाऊंगी। मैं भी लाइन में लग गई और ठीक पांच से सात मिनट के अंदर 14 नम्बर प्लेट$फार्म पर पहुंच गई।

ट्रेन मैं बैठने के बाद कुछ यात्री कुली की चर्चा करने लगे मेरे से इतने पैसे मांगा, वहां से अंदर नहीं आने दिया, ये यात्रियों को लुटते हैं। यहां ज्यादातर यात्री बाहर से आते हैं उन्हें पता नहीं होता है और कुली के चक्करों में फस जाते हैं। वे सोचते हैं कि चलो इतने पैसे ही तो लेगा, आसानी से जगह पर पहुंचा तो देगा।

इतना ही नहीं प्लेटफार्मों पर मिलने वाली ई-रिक्शा द्वारा बाहर निकलने तक का भाड़ा 500 रुपये तथा ब्हील चेयर का किराया 400 रुपये वसूला जाता है। यही है मोदी का विकास मॉडल।

दरअसल स्टेशन पर होने वाली यात्रियों की इस लूट में कुली तो मात्र एक मोहरा है। कुली की इतनी औकात नहीं हो सकती कि वह इस तरह से खुलेआम यात्रियों को लुटे। इस लूट में पुलिस व सम्बन्धित रेलवे अधिकारी सम्मिलित रहते हैं। वल्र्ड क्लास रेलवे स्टेशन बनाने का दावा करने वाली मोदी सरकार को अपनी नाक के नीचे होने वाली ये लूट क्या नज़र नहीं आ रही?

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Mazdoor Morcha
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