फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) दर्जनों अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का गवाह रहा हरियाणा का पहला क्रिकेट स्टेडियम आज पूरी तरह से बर्बाद है। इसकी शुरूआत सन 2010 के आसपास उस वक्त शुरू हो गई थी जब राज्य क्रिकेट संघ के ‘मालिक’ रणबीर महिन्द्रा ने अपना निजी क्रिकेट स्टेडियम भिवानी के गांव लाहली में बनाना शुरू कर दिया। महिन्द्रा द्वारा की जा रही उपेक्षा के विरुद्ध स्थानीय क्रिकेट प्रेमियों द्वारा काफी हो-हल्ला मचाये जाने का भी कोई लाभ न मिला।
इसी संदर्भ में पूर्व रणजी खिलाड़ी एवं संयोजक क्रिकेट स्टेडियम बचाओ समिति, संजय भाटिया ने, सांसद बनने की दौड़ में शामिल किशनपाल गूजर से भी गुहार लगाई तो उन्होंने निम्न पत्र लिख कर जो आश्वासन दिया था वह पूरी तरह से झूठा एवं खोखला साबित हुआ।
जैसा कि पत्र से स्पष्ट है कि, यह 4 अप्रैल 2014 को लिखा गया था। उस वक्त तक बेशक यह स्टेडियम उपेक्षित तो जरूर था लेकिन खेल गतिविधियां जैसे-तैसे चल पा रही थी। सैंकड़ों छोटे-बड़े क्रिकेट खिलाड़ी इसमें अभ्यास कर लेते थे। स्टेडियम का ढांचा एवं पिच सही सलामत कायम थी। छोटे-मोटे मैचों के अतिरिक्त हरियाणा के तत्कालीन उद्योगमंत्री विपुल गोयल ने भी यहां सेलिब्रिटी मैचों का आयोजन कराया था।
इस दौरान स्टेडियम के रख-रखाव की ओर ध्यान देने की अपेक्षा तत्कालीन मुख्यमंत्री खट्टर ने यहां अपना हेलिकॉप्टर उतारना शुरू कर दिया और वह भी ठीक पिच के ऊपर। इससे बिगड़ी पिच को जब तक खिलाड़ी खेलने योग्य बनाते तब तक खट्टर जी का हेलिकॉप्टर फिर आ उतरता। यानी कि सत्यानाश करने में खट्टर ने कोई कसर न छोड़ी थी। स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा ने इसमें सुधार तो क्या कराना था, इसकी बिल्डिंग में तहसील एवं एसडीएम कार्यालय खुलवाने की पूरी तैयारी कर छोड़ी थी। समय रहते पता चलने पर स्टेडियम बचाओ समिति जब इसके विरोध में उतर आई तो कहीं जाकर ये कार्यालय मौजूदा स्थान यानी कि दौलतराम धर्मशाला के बगल में खोले गए।
मौजूदा सरकार द्वारा इस स्टेडियम की इतनी उपेक्षा शायद का$फी नहीं थी। लिहाजा खट्टर सरकार ने इस स्टेडियम को न केवल पूरी तरह से बर्बाद कर देने के साथ-साथ इससे लूट कमाई का रास्ता भी खोज निकाला। इसके लिये सन 2019 में गुजरात की रणजीत बिल्डकॉन कम्पनी को इसका ठेका दे दिया गया। शुरू में इसके लिये 115 करोड़ों रुपये का बजट रखा गया था लेकिन धीरे-धीरे काम पूरा होने की तारीख व बजट कीे रकम भी बढ़ती गई। जानकारों के मुताबिक 200 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने के बावजूद आज यह स्टेडियम किसी लायक भी नहीं बचा है। अपनी काली करतूत को छिपाने के लिये स्टेडियम को पूरी तरह से सील बंद करके रखवाली के लिये एक चौकीदार भी बैठा दिया है ताकि कोई इसके भीतर जाकर दुर्दशा की तस्वीर न ले- ले।
विदित है कि इसी स्टेडियम की बदौलत यहां से अनेकों रणजी खिलाड़ी व कुछेक टेस्ट खिलाड़ी भी निकल चुके हैं। इसी स्टेडियम में बाकायदा एक क्रिकेट नर्सरी भी चलती थी जिसका आज कोई अता-पता नहीं। सरकार की इसी बदमाशी का भरपूर लाभ उठाते हुए कुकुरमुत्तों की तरह अनेकों क्रिकेट एकेडमी यहां उग आई हैं जो उभरते खिलाडिय़ों को बेदर्दी से लूट रहीं हैं। (इससे सम्बन्धित खबर 15-21 अक्टूबर 2023 में विस्तृत खबर प्रकाशित की गई थी)