‘अदालत का आदेश लागू करो’ लखानी मज़दूरों की ललकार क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा

‘अदालत का आदेश लागू करो’ लखानी मज़दूरों की ललकार क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा
October 30 12:05 2023

‘लखानी फुटवेयर प्रा. लि, 266 सेक्टर 24, फऱीदाबाद द्वारा मज़दूरों की ढाई साल से लंबित ग्रेचुटी की रक़म का भुगतान कराने के माननीय श्रम अदालत के आदेश का अनुपालन कराने में फऱीदाबाद प्रशासन की नाकामी से गुस्साए लखानी में काम कर चुके मज़दूरों ने ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा’ तथा ‘लखानी मज़दूर संघर्ष समिति’ के संयुक्त बैनरों तले 26 अक्टूबर को लघु सचिवालय स्थित, उप-आयुक्त, कार्यालय पर ज़ोरदार आक्रोश मार्च निकाला। मुख्य द्वार पर सभा की तथा उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। सुबह 10 बजे से ही लाल झंडे, बैनर व तख्तियां लिए लखानी में काम कर चुके मज़दूर, जिनमें लगभग आधी महिलाऐं थीं राजस्थान सेवा सदन के सामने वाले नुक्कड़ पर इकट्ठे  होने शुरू हो गए थे।

‘श्रम अदालत का आदेश लागू कराने में नाकाम फऱीदाबाद प्रशासन शर्म करो’, ‘क़ानून की नजऱ में सब बराबर हैं, यह भी एक जुमला है’, ‘अदालत का हुक्म मज़दूरों के हित में हो, तो वह लागू नहीं होता; ये कैसा इंसाफ़ है’, ‘अदालतों से भी न्याय नहीं, मज़दूर इंसाफ़ के लिए कहां जाएं?’, ‘सारा शासन तंत्र मालिकों के लिए ही क्यों काम करता है?’, ‘प्रशासन, मज़दूरों पर गुर्राता है, मालिकों के आगे बिछ जाता है’, ‘सबको घर, सबको काम; वर्ना होगी नींद हराम’; मज़दूर इन नारों से लिखे पोस्टर अपने बदन पर चिपकाए हुए थे तथा क्रांतिकारी नारों की तख्तियां लिए हुए थे।

सभा को कामरेड्स नरेश, सत्यवीर सिंह, अशोक, रजनीश, चंदन तथा सीमा देवी ने संबोधित किया। वक्ताओं ने बताया कि क़ानून अगर मालिक और मज़दूर के लिए बराबर होता, जैसा कि संविधान में लिखा हुआ है तो मज़दूरों को श्रम अदालत का आदेश लागू कराने के लिए एक दफ़्तर से दूसरे दफ़्तर न भटकना पड़ता।

फऱीदाबाद स्थित सहायक श्रमायुक्त की माननीय अदालत ने, दिनांक 10.05.2020 को लखानी फुटवेयर प्रा. लि, 266, सेक्टर 24, फऱीदाबाद, को आदेश दिया था कि वे अपने मज़दूरों रजनीश तथा भूपेन्द्र को 9 जून 2021 से लंबित, उनकी ग्रेचुटी की रक़म का भुगतान उसी तारीख से 9 प्रतिशत ब्याज की दर से तत्काल करें। लखानी कंपनी ने उक्त आदेश के विरुद्ध न कोई अपील की है और न आज तक भुगतान ही किया है। जि़ला वसूली अधिकारी तथा जिला कलेक्टर द्वारा वसूली के आदेश जारी हुए 4 महीने हो चुके हैं। जि़ले के इतने बड़े अधिकारियों का आदेश नायब तहसीलदार नहीं कर रहा और उन्हें इस हुक्म-अदूली का बुरा नहीं लग रहा। इसे किस तरह समझा जाए?

मज़दूरों के हित में फ़ैसला हुआ हो तो उसे लागू कराने वाली फ़ाइल एक टेबल से दूसरी टेबल तक स्वयं अपनी नैसर्गिक गति से क्यों नहीं चलती? उसे मज़दूरों को धकेलना क्यों पड़ता है? जिला वसूली अधिकारी का कहना है उन्होंने आर सी काट दी, अब आगे उनकी जि़म्मेदारी नहीं है!! तहसीलदार से मिलकर भी वसूली कराने की अपील कर चुके हैं। उनका कहना है मेरे पास तो बडख़ल तहसील का अतिरिक्त कार्यभार है मैं, बडख़ल का तहसीलदार थोड़े ही हूं। मतलब सरकार ने बडख़ल का तहसीलदार नियुक्त नहीं किया तो क्या ये मज़दूरों का क़सूर है? गोँछी नायब तहसीलदार का कार्यालय में तो कार्य होता ही नजऱ नहीं आता। एक के बाद एक आश्वासन ऐसी मासूमियत से थमाए जाते हैं कि बंदे को लगेगा घर पहुंंचने से पहले उसका काम हो चुका होगा लेकिन कागज़ उस हवेली से लखानी की फैक्ट्री की तरफ़ एक इंच नहीं बढ़ता।

‘लखानी मज़दूर संघर्ष समिति’ ने जब 20 अक्टूबर को तहसीलदार से मिलने के बाद आंदोलन करने की घोषणा की तब गौछी नायब तहसीलदार ने लखानी की कंपनी में वसूली के नोटिस भेजे जबकि उन पर तारीख 27 सितम्बर लिखी हुई है!! गौंछी से, सेक्टर 24 पहुंचने में पत्र ने, पूरे 24 दिन लिए। 10 मई के आदेश की वसूली के आदेश भेजने में वसूली विभाग ने पूरे 5 महीने का वक़्त लिया।

दरअसल डबल इंजन की भाजपाई सरकार की कड़वी हकीक़त ये है कि जिस मुद्दे से, समाज हिन्दू-मुस्लिम में बंटता हो, गाय-गोबर का मामला हो, उसे उठाना, आगे बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है, बाक़ी जाए भाड़ में!! प्रशासनिक अधिकारी बहुत काइयां होते हैं. वे अच्छी तरह जानते हैं, राजनीतिक मा-बदौलत क्या चाहते हैं।

उन्हीं फाइलों को आगे बढ़ाया जाता है, बाक़ी फाइलें किनारे होती जाती हैं। मौजूदा खट्टर सरकार तथा मोदी सरकार, अभी तक की सबसे ज्यादा जन-विरोधी तथा मज़दूर-विरोधी सरकारें हैं। हम विनम्रतापूर्वक आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि फऱीदाबाद में श्रम क़ानूनों का अनुपालन नहीं हो रहा है। कारखाना मालिकों द्वारा, मज़दूरों का शोषण-उत्पीडऩ चरम पर है। ‘इस्तीफे लिख दो, आपका सारा भुगतान हो जाएगा’, कह कर लखानी ने इन मज़दूरों से इस्तीफे लिए और 2 साल तक भुगतान नहीं किया। न्याय पाने के लिए ये गऱीब मज़दूर जो मात्र 10,000 रुपयों में पूरे परिवार का पूरे महीने का खर्च चलाने को मज़बूर हैं, श्रम अदालत गए। लखानी, अदालत का हुक्म मानने को तैयार नहीं, और प्रशासन आदेश को लागू नहीं करा पाया। ग्रेचुटी का भुगतान 10 दिन के अंदर करना होता है। इसीलिए कम्पनी एक्ट के अनुसार लखानी फुटवेयर प्रा लि को, उसके लिए प्रावधान करना चाहिए था जो उसने नहीं किया, लेकिन कंपनी विभाग भी कोई कार्यवाही नहीं कर रहा। सारे सरकारी इदारे पंगु किए जा चुके हैं।

इस प्रदर्शन और आंदोलन में मज़दूरों ने बस एक ही मांग का ज्ञापन उपायुक्त को दिया था। माननीय श्रम अदालत के फैसले को तुरंत लागू कराया जाए जिससे कज़ऱ् में डूबे मज़दूरों को न्याय मिल सके। भुगतान में देरी के लिए कंपनी मालिक तथा संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध समुचित कार्यवाही की जाए। श्रम अदालत के आदेशानुसार, मज़दूरों की ग्रेचुटी का पैसा 10 दिन में उनके खातों में जमा न होने की स्थिति में, फऱीदाबाद के दूसरे कारखानों के मज़दूरों को शामिल करते हुए आंदोलन को अगले चरण में ले जाया जाएगा, उसे और तेज़ किया जाएगा। मज़दूर अच्छी तरह जान चुके हैं कि वे, अगर संगठित होकर, नहीं लड़े तो उन्हें महीने की जो पगार तय हुई है, वह भी नहीं मिलने वाली। अपने संगठन, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा को फऱीदाबाद के हर कारख़ाने में ले जाने के अहद और बुलंद नारों के साथ सभा समाप्ति की घोषणा हुई।

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Mazdoor Morcha
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