कोरोना काल ऑक्सीजन घोटाला: जांच दबाए बैठे हैं रेडक्रॉस अधिकारी ठंडे बस्ते में चली गई विजिलेंस जांच

कोरोना काल ऑक्सीजन घोटाला: जांच दबाए बैठे हैं रेडक्रॉस अधिकारी ठंडे बस्ते में चली गई विजिलेंस जांच
May 13 09:34 2023

रीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) जनसेवा का ढिंढोरा पीटने वाली रेडक्रॉस सोसायटी के पदाधिकारियों ने कोरोना महामारी में ऑक्सीजन के लिए मरते लोगों से भी लाखों रुपये ऐंठे। सिक्योरिटी के नाम पर प्रति सिलिंडर दस हजार रुपये वसूल कर आपस मेें बंदरबांट कर डाली। उससे भी खराब यह हुआ कि इस लूट कमाई की जांच भी अधिकारियों ने ठंडे बस्ते में डाल दी। विजिलेंस भी पंद्रह महीने में सच्चाई तक नहीं पहुंच सकी है।

कोरोना की दूसरी लहर ने महामारी का रूप ले लिया था। अस्पतालों में मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हो रही थी। जरूरतमंद मरीजों को निशुल्क सिलिंडर उपलब्ध कराने के लिए हरियाणा सरकार ने एक एप जारी किया था। जरूरतमंद व्यक्ति इस एप पर पंजीकरण करा, मरीजो को ऑक्सीजन देने की डॉक्टर की सलाह पर्ची आदि का ब्यौरा भर कर ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए आवेदन कर सकते थे। आवेदन के आधार पर जिला रेडक्रॉस सोसायटी मरीज को ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया कराती।

आरटीआई कार्यकर्ता रवींद्र चावला कहते हैं कि सोसायटी के पदाधिकारियों ने यहीं पर खेल किया। उनका आरोप है कि मरीज के परिजनों से सिलिंडर की सिक्योरिटी के रूप में दस हजार रुपये जमा करवाए गए। यह रुपये रेडक्रॉस सोयायटी के बैंक खाते में नहीं लिए गए, न ही इनकी रसीद काट कर दी गई बल्कि रेडक्रॉस सोसायटी के आजीवन सदस्य विमल खंडेलवाल के मोबाइल नंबर पर मंगाए गए। यह खेल तत्कालीन सचिव विकास, जितेन शर्मा और विमल खंडेलवाल की मिलीभगत से हुआ।

रेड क्रॉस के आंकड़ों के अनुसार एप पर फरीदाबाद के 2262 लोगों ने ऑक्सीजन के लिए आवेदन किया था। चावला कहते हैं कि इनमें से अधिकतर लोगों से सिक्योरिटी के नाम पर निजी खाते में रकम डलवाई गई। सिलिंडर लौटाने के बाद सिक्योरिटी राशि वापस नहीं दी गई। इस तरह लाखों रुपयों की बंदरबांट की गई।

इस घोटाले की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता धर्मवीर ने डीसी से लेकर आला अधिकारियों तक की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंत में उन्होंने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजा तो मार्च 2022 में मामले की विजिलेंस जांच कराने के आदेश हुए।

धर्मवीर कहते हैं कि वह तब से कई बार विजिलेंस कार्यालय में हाजिर हो चुके हैं लेकिन जांच बढ़ी नहीं है। उनका आरोप है कि इस सरकार में किसी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करवाना आसान नहीं है। सरकार जो चाहती है वही होता है, यह सरकार पीटती है और रोने भी नहीं देती। विजिलेंस वाले न तो कोई कार्रवाई कर रहे हैं और न ही कुछ बताते हैं।

रवींद्र चावला ने भी एक जून 2021 को आरटीआई डाली। जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने इसकी पहली और दूसरी अपील भी की। राज्य सूचना आयोग में तत्कालीन सचिव विकास ने बताया कि उन्होंने रवींद्र चावला को जुलाई 2021 को रजिस्टर्ड डाक से जवाब भेज दिया था। रवींद्र चावला ने आयोग को बताया कि उन दिनों लॉकडाउन होने के कारण डाकखाने बंद थे, और रजिस्टर्ड डाक भेजने की रसीद मांगी। दूसरी पेशी में आयोग को बताया गया कि क्योंकि डाकघर बंद थे इसलिए जवाबी पत्र में डाकटिकट लगा कर डाकपेटी में डलवा दिया गया था। 10 मई 2023 को हुई पेशी में भी विकास जवाब भेजे जाने का कोई सुबूत पेश नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने आरटीआई का जवाब रवींद्र चावला को उपलब्ध करा दिया है।

 

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Mazdoor Morcha
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