फरीदाबाद (म.मो.) सेहतपुर गांव के निकट सीवर के पानी से भरे गड्ढे में गिर कर युवक की मौत के दो दिन बाद ही नगला इन्क्लेव स्थित खुले मैनहोल में गिर कर योगेश नामक युवक की जान तो बच गई लेकिन जबड़ा टूट गया। लोग मरते रहें, जबड़े तुड़बाते रहें क्या फर्क पड़ता है इस बेर्शम सरकार के निगम को?
बीते सप्ताह सेहतपुर गांव के इलाके में कच्ची सडक़ के किनारे सीवर से भरे खड्डे में एक युवक ने उस समय अपनी जान गंवा दी जब वह रात की ड्यूटी करके मोटरसाइकिल से घर आ रहा था। क्षेत्र की शिव कॉलोनी नामक इस स्थान पर न तो ढंग के रास्ते हैं और न ही कोई रोशनी की व्यवस्था है। रात के अंधेरे में खड्डे को न देख पाकर युवक उसमें गिर पड़ा। पीछे बैठी पत्नी जो खड्डे के बाहर गिरी थी, वह चिल्लाती हुई खड्डे में कूदी तो जरूर लेकिन अपने पति को ढूंढ नहीं पाई। समझा जा सकता है कि खड्डा 6-7 फीट से अधिक ही गहरा होगा। शोर सुनकर आये लोगों ने जैसे-तैसे दोनों को बाहर निकाला, लेकिन तब तक युवक की हालत खराब हो चुकी थी।
हरियाणा सरकार की बहुप्रचारित एम्बुलेंस सेवा के नम्बर 112 पर लगातार कई बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जैसे-तैसे युवक को ऑटो में डाल कर बीके अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सडक़ें सुरक्षित नहीं, एम्बुलेंस का जवाब नहीं, अस्पतालों में इलाज नहीं उसके बावजूद विकास का ढोल पूरे जोर से पीटा जा रहा है। नंगला इन्क्लेव वाले येागेश के मामले में निगम के एक्सईयन कर्दम से जब पूछा गया तो उनका जवाब था कि मैन होल का ढक्कन लगा दिया गया है। ढक्कन लगा हुआ क्यों नहीं था इसका कोई जवाब नहीं, केवल इतना कहा कि और भी कोई मैनहोल खुला हो तो उसे सूचित करें। उधर योगेश के परिजनों ने पुलिस में केस दर्ज कराने की बात कहीं है। जाहिर है यदि निगम वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें दर्ज हों और उन्हें सजा मिलने लगे तो नागरिकों की जान बच सकती है।