किशन का है सिर पर हाथ तो कैसे टूटे कैलाश का फार्म हाउस

किशन का है सिर पर हाथ तो कैसे टूटे कैलाश का फार्म हाउस
February 13 08:37 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भाजपाई सत्ता का साथ हो तो पुलिस, प्रशासन या वन विभाग थाना सूरजकुंड के रिकॉर्ड में बतौर दुष्चरित्र दर्ज भूमाफिया कैलाश बैंसला जैसे व्यक्ति के खिलाफ न्यायालय के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं करते। मंत्री-विधायकों की जी हुजूरी में लगे ये सरकारी अधिकारी विभागीय नियमों को भी धता बताते हुए काम करते हैँ। दुष्चरित्र कैलाश बैंसला के अरावली संरक्षित वन क्षेत्र में धड़ल्ले से बन रहे मैरिज लॉन को वन विभाग के अधिकारी नहीं तोड़ रहे हैं। तोड़ें भी तो कैसे जब कैलाश के सिर पर मंत्री किशन पाल गूजर का हाथ हो।

कैलाश बैंसला का अवैध मैरिज लॉन सिद्धदाता आश्रम के सामने अरावली के संरक्षित वन क्षेत्र में बनाया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अरावली संरक्षित वन क्षेत्र में सभी अवैध निर्माण तोड़े जाने हैं। इस आदेश के आधार पर जिला वन अधिकारी राजकुमार 6 दिसंबर 2023 को पुलिस और प्रशासनिक अमले के साथ अवैध निर्माण तोडऩे का ढोंग करने पहुंचे थे। एक अवैध निर्माण में तोडफ़ोड़ की औपचारिकता की गई और दस्ता आगे बढ़ गया। औपचारिकता यानी तोडफ़ोड़ के नाम पर गेट और दीवार का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त कर रिकॉर्ड के लिए फोटो खींच ली जाती हैं, कभी पूरा निर्माण ज़मींदोज़ नहीं किया जाता। इस कार्रवाई के बाद तोडफ़ोड़ दस्ता कैलाश बैंसला के निमार्णाधीन मैरिज लॉन के सामने इक_ा हुआ। विभागीय सूत्रों के अनुसार कार्रवाई शुरू होने से पहले ही कैलाश बैंसला ने मंत्री किशनपाल गूजर से फोन करवा दिया। बस, मंत्री के पालतू अधिकारी की तरह डीएफओ बिना कोई कारण बताए तुरंत लौट पड़े। उनके लौटने पर पुलिस और अन्य प्रसानिक अमला भी वापस हो गया।

इधर कैलाश बैंसला ने मैरिज लॉन के निर्माण का कार्य तेज करा दिया। तोडफ़ोड़ की जगह तेजी से निर्माण होते देख कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने फिर इसकी शिकायत सीएम विंडो और वन विभाग में की। मजबूर होकर डीएफओ राजकुमार 18 जनवरी 2024 को फिर तोडफ़ोड़ दस्ता लेकर कैलाश बैंसला के फार्म हाउस पर पहुंचे। इस बार भी कैलाश बैंसला का आक़ा किशनपाल गूजर से संबंध काम आया। दबाव और जवाबदेही होने की बात पर बीच का रास्ता निकाला गया और तोडफ़ोड़ की औपचारिकता फोटो सेशन करके पूरी की गई। यानी तोडफ़ोड़ के बजाय गेट को जेसीबी से पूरा न गिरवा कर हल्का सा टेढ़ा कर फोटो खींची गई इसी तरह बाउंड्री वाल की ऊपरी परत के थोड़े से पत्थर गिराकर फोटो खींची गई। सुरक्षा व्यवस्था के लिए इक_ा हुए पुलिसकर्मियों में कार्रवाई को लेकर चर्चाएं होती रहीं और उनमें रोष दिखाई दिया। इन पुलिसकर्मियों को उम्मीद थी कि पूरी बाउंड्री वाल और अंदर बड़े इलाके में हो रहा निर्माण गिराया जाएगा, निर्माण सामग्री जब्त की जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पुलिसकर्मियों का कहना था कि जब कार्रवाई नहीं करनी है तो क्यों बार बार प्रशासन को बुलाया जा रहा है। कैलाश बैंसला का निर्माणाधीन मैरिज लॉन क्यों नेस्तनाबूद नहीं किया गया इस सवाल को जवाब डीएफओ राजकुमार ने नहीं दिया, हर बार वो किसी बैठक में होने या अन्य कोई बहाना बना कर फोन काट देते रहे।

दिल्ली एनसीआर का फेफड़ा कहे जाने वाली अरावली पहाडिय़ां और इसके संरक्षित वन क्षेत्र मेें सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से लगातार अवैध निर्माण और अतिक्रमण हो रहा है। डेढ़ साल पहले वन विभाग द्वारा अरावली संरक्षित वन क्षेत्र की ड्रोन मैपिंग कराई गई थी। इसमें संरक्षित वन क्षेत्र में करीब डेढ़ सौ फार्म हाउस और पांच सौ से अधिक अवैध निर्माण पाए गए थे। विभागीय सूत्रों के अनुसार ये कार्रवाई संरक्षित वन क्षेत्र को दोबारा हरा भरा करने के लिए नहीं की गई थी बल्कि इन अवैध निर्माणों का पता लगा कर वसूली के लिए की गई थीं। संभवत: यही कारण है कि रिपोर्ट बन गई, मैपिंग हो गई, अवैध निर्माण सामने आ गए लेकिन उनमें कभी किसी पर कार्रवाई नहीं की गई। हर एक से मोटी रकम जो ऐंठी गई थी।
एक और वजह बताई जा रही है कि पचास से अधिक फार्म हाउस और मैरिज लॉन तो बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के या उनकी पत्नी, रिश्तेदारों के नाम से हैं, कुछ फार्म हाउस राजनेताओं की बेनामी संपत्ति के रूप में हैं। वन विभाग के अधिकारी इन पर कार्रवाई तो दूर उस ओर जाते भी नहीं हैं, इसी कारण इन संपत्तियों तक पहुंचने के लिए अतिक्रमण कर चौड़ी सडक़ें तक बना डाली गई हैं। ये सारा अवैध निर्माण अतिक्रमण आम जनता को तो दूर से नजर आ जाता है लेकिन संरक्षण के नाम पर वन संपदा को लुटवा रहे वन अधिकारियों को मोटी कमाई और राजनीतिक आक़ाओं के कारण कतई नजऱ नहीं आता।

वन विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक जिले में पंजाब भूमि रोकथाम अधिनियम (पीएलपीए)-1900 के तहत करीब 5611 हेक्टेयर जमीन संरक्षित है। इसमें से अरावली में करीब 570 हेक्टेयर में अवैध निर्माण किए गए हैं। ये सभी निर्माण हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 और पंजाब भूमि नियंत्रण अधिनियम 1963 और हरियाणा शहरी विकास-1975 की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन कर बनाए गए हैं। इस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय हरियाणा सरकार को कई बार इन निर्माणों को गिराने के आदेश जारी कर चुका है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद फार्म हाउस टूटने के बजाय लगातार नए बनते जा रहे हैं।

दरअसल, इन अवैध फार्म हाउस का निर्माण केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर, सीएम खट्टर के कलेक्शन एजेंट अजय गौड़, विधायक सीमा त्रिखा के संरक्षण में कराया जा रहा है। कई आईएएस अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम पर भी यहां अवैध फार्म हाउस, मैरिज लॉन हैं।

अवैध कब्जों पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने छह मई 2022 को अरावली पहाड़ी को वन आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया था। इसके तहत खनन और खुदाई पर रोक लगा दी गई। अरावली में निर्माण करने के लिए केंद्रीय वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य कर दिया गया। वनों को बेच कर खा रहे वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने लूट कमाई के लिए सत्तासीन नेताओं और उनके लगुए भगुए भूमाफिया से गठबंधन कर लिया। नतीजा है कि अरावली में लगातार अवैध निर्माण हो रहे हैं लेकिन वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे। इसी का ज्वलंत उदाहरण कैलाश बैंसला का मैरिज लॉन है।

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Mazdoor Morcha
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