किसानों के साथ बड़ा धोखा : पेराई शुभारंभ का ढिंढोरा पीट कर चले गए मंत्री, छह दिन में ही बंद हुई मिल हजारों टन गन्ना सूखने से बर्बाद हो रहे किसान

किसानों के साथ बड़ा धोखा : पेराई शुभारंभ का ढिंढोरा पीट कर चले गए मंत्री, छह दिन में ही बंद हुई मिल हजारों टन गन्ना सूखने से बर्बाद हो रहे किसान
December 12 01:34 2023

पलवल (मज़दूर मोर्चा) बामनी खेड़ा शुगर मिल पेराई सत्र होने के छह दिन बाद ही बंद हो गई। घोषणा और काम का ढिंढोरा पीटने में माहिर खट्टर के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने पेराई सत्र का समारोहपूर्वक उद्घाटन करते हुए गन्ना उत्पादकों के हित में बड़ी बड़ी डींगें हांकी थीं। उद़्घाटन के बाद मिल का क्या हाल है, पलट कर यह भी जानना उन्होंने गवारा नहीं किया।

एमएसपी की गांरटी कानून बनाने की मांग पर दिल्ली में धरना देने वाले किसानों को खालिस्तानी, उग्रवादी जैसी उपाधियों नवाजने वाली भाजपा के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल यदि किसानों के हितैषी होते तो पेराई सत्र का उद्घाटन करने से ज्यादा मिल की मशीनों का सही काम करना सुनिश्चित किए जाने पर ध्यान देते। लेकिन मीडियाजीवी, धोषणावीर ढिंढोरेबाज मंत्री तो अपना नाम चमकाने आए थे। इस दौरान उन्होंने किसान हित की बड़ी बड़ी घोषणाएं कर तालियां भी बटोरीं। गर्व से बताया था कि सीएम खट्टर ने पिछले साल ही इस मिल की पेराई क्षमता बढ़ाकर 2200 टन्स केन पर डे (टीसीडी) करने की घोषणा की थी।

खट्टर ने भी घोषणा तो कर दी लेकिन न तो मंत्री और न ही अधिकारियों ने यह देखा कि पेराई क्षमता बढ़ाने के अनुपात में ही क्या मशीनरी अपग्रेड की गईं और उनके पुर्जों की क्षमता बढ़ाई गई है? घोषणा करना आसान होता है सो कर दी गई, बाकी का काम अफसर के रूप में बैठे चोरों पर छोड़ दिया गया। नतीजा वही हुआ जिसकी आशंका थी। खट्टर की घोषणा 2200 टीसीडी तो दूर मिल की मशीनें पेराई की पुरानी क्षमता यानी 1850 टीसीडी तक आने में ही खराब हो गईं। 15 नवंबर को चालू की गई मिल का टरबाइन पेराई शुरू करने के छठे दिन यानी 21 नवंबर की सुबह ही टूट गया।

मशीन किस हद तक खराब हुई इससे समझा जा सकता है कि मिल के मेकेनिक की तो छोडि़ए गुडंगांव और प्रदेश के बड़े इंजीनियर भी नौ दिन बाद तक उसे सही नहीं कर सके थे।
बताते चलें कि इस शुगर मिल के दायरे में इस वर्ष 16,980 एकड़ गन्ना खेती हुई है, और इस वर्ष 32 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा गया है। यदि मिल अपनी पूरी क्षमता यानी 2200 क्विंटल गन्ना प्रतिदिन से चली तो भी लक्ष्य पाने में कम से कम 145 दिन लग जाएंगे। ऐसे में दस-दस दिन तक मिल बंद रहने से दूसरे जिलों से गन्ना
लाने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पेराई के लिए नहीं लिए जाने से बाहर वाहनों पर लदा गन्ना सूख रहा है जिसका सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है, गन्ना लाने के लिए वाहन का किराया-भाड़ा और समय की बर्बादी अलग। सहकारी मंत्री जिस जोश से किसानों के हित की घोषणाएं कर के गए थे उन्हें चाहिए कि उसी जोश से किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान कराएं।

संदर्भवश, सुधी पाठक गन्ना किसान व चीनी मिल के संबंध को भी समझें, जिस क्षेत्र में चीनी मिल लगती है उस क्षेत्र में गन्ना किसानों को गुड़, शक्कर एवं खांडसारी आदि बनाने की इजाजत नहीं होती थी, लेकिन चीनी मिल वालों का हाल बेहाल देखकर इसमें कुछ छूट प्रदान कर दी गई। चीनी मिल हर एक किसान का गन्ना नहीं लेता, मिल केवल उसी किसान से गन्ना लेते हैं जिस किसान से उसने अनुबंध कर पर्ची दी होती है। जिस किसान के पास पर्ची होती है मिल को उससे गन्ना लेना ही होता है क्योंकि किसान ने मिल से अनुबंध पर ही गन्ना बोया था। किसान का गन्ना न लेकर मिल ने अनुबंध को तोड़ दिया। कानूनन अनुबंध तोडऩे वाले पर किसान को होने वाले नुकसान का हर्जा खर्चा दिया जाना चाहिए।

मिल चलाने वाला यह कह कर कानून की दृष्टि में अपनी जान नहीं छुड़ा सकता कि वह क्या करे मशीन खराब हो गई, सर्वविदित है कि मिल साल भर में केवल 108 दिन ही चलती है, बचे 257 दिन में भी जो मिल मालिक अपनी मिल का चुस्त दुरुस्त न कर सके उसकी सजा किसान के बदले मिल चलाने वाले को मिलनी चाहिए। यह भी जानना जरूरी है कि निजी क्षेत्र की चलने वाली मिल की मशीन कभी सीजन में खराब नहीं होती क्योंकि वे ऑफ सीजन में अपनी पूरी मशीनरी को चुस्त दुरुस्त करने में व्यस्त रहते हैं। मशीनों की यह खराबी केवल सरकारी मिलों में ही क्यों होती है? इसलिए होती है मिल चलाने वाले चोर अफसर ऊंचे कमीशनखोरी की लालच में घटिया से घटिया पुर्जे और घटिया से घटिया इंजीनियरिंग फर्म को ठेका देते हैं। ये अफसर भलीभांति जानते हैं कि जो मर्जी खाओ, जो मर्जी लूटो कोई पूछने वाला नहीं क्योंकि हर पूछ सकने वाले को लूट कमाई से पर्याप्त हिस्सा दिया जाता है।

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Mazdoor Morcha
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