मज़दूर मोर्चा ब्यूरो पंचकुला के सेक्टर 16 निवासी मकान मालिक ने एक स्थानीय अदालत में केस दायर करके पड़ोसी के पांच मंजिला भवन निर्माण पर रोक लगवा दी। याचिका कर्ता का कहना है कि पड़ोसी द्वारा अपने भवन निर्माण के लिये खोदी जाने वाली बेसमेंट से उसके बने-बनाये मकान को खतरा है। विदित है कि ‘हूडा’ नियमों के तहत दो प्लॉटों के बीच में दीवार साझी होती है यानी नींव सहित आधी-आधी दीवार दोनों प्लॉटों में खड़ी होती है। जाहिर है अब पड़ोसी खाली प्लॉट में बेसमेंट सहित पांच मंजिला भवन का निर्माण करेगा तो पहले से बना मकान टिका नहीं रह पायेगा। इसी आधार पर अदालत ने भवन निर्माण पर रोक लगाते हुए ‘हूडा’ अधिकारियों को भी नोटिस जारी करके तलब कर लिया।
इसी दौरान पंचकुला की अनेकों आरडब्लूए (रेजिडेंट वैलफेयर एसोसिएशन) भी मैदान में उतर आई हैं। इनका कहना है कि सरकार द्वारा ‘हूडा’ बॉयलाज में संशोधन करके ढाई मंजिला की जगह पांच मंजिला मकान बनाना बिल्कुल गलत, गैरकानूनी व जनविरोधी है।
इनका तर्क है कि ‘हूडा’ ने उन्हें प्लॉट बेचते वक्त बताया था कि यहां केवल ढाई मंजिला मकान ही बनाये जा सकेंगे। जाहिर है सडक़, सीवर, पेयजल, बिजली आदि की आपूर्ति व्यवस्था भी इसी आधार पर की गयी थी। पार्क व सामुदायिक भवन आदि भी इतनी ही आबादी के लिये बनाये गये थे। लेकिन जब मकान ढाई की जगह पांच मंजिला बनेंगे तो आबादी भी वहां दोगुणी हो जायेगी, जिसके लिये पहले से दी गयी तमाम नागरिक सुविधायें अपर्याप्त होनी तय हैं, वैसे तो पर्याप्त आज भी तयशुदा आबादी के लिये नहीं हैं। दोगुणी होने पर निवासियों की क्या दुर्दशा होगी समझी जा सकती है। कुल मिला कर आधुनिक नवनिर्मित सेक्टरों की दशा दिल्ली की उन गलियों-कूचों जैसी हो जायेगी जहां न कभी धूप के दर्शन होते हैं न शुद्ध हवा के।
खट्टर सरकार द्वारा 7 मार्च, 2019 को लिये गये इस दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय के पीछे एक मात्र उद्देश्य, भ्रष्टाचार व ऐयाशियों के चलते खाली हो चुके सरकारी खजाने को भरना रहा है। उन्होंने निर्णय लेते समय यह नहीं सोचा कि इसके दुष्परिणाम क्या होंगे। उन्हें तो केवल प्रत्येक प्लॉट से मिलने वाले 18-20 लाख रुपये दिख रहे थे। इस सरकारी उगाही के अलावा कर्मचारियों ने नक्शे पास करने व कम्पलीशन के नाम पर जो लूट मचाई वह अलग से। इस वैध व अवैध लूट का सारा भार तो अंतत: नागरिकों पर ही पडऩा था जो पड़ भी रहा है।
कोई पूछे खट्टर सरकार से कि जब कोई प्लॉट धारक अपने ही प्लॉट पर ढाई की जगह पांच मंजिला मकान बनाने जा रहा है तो सरकार उससे किस बात की वसूली कर रही है? क्या सरकार इस अतिरिक्त वसूली से कोई अतिरिक्त नागरिक सुविधायें बढाने जा रही है? जी नहीं, बिल्कुल नहीं। यह वसूली तो केवल सरकारी फिरोती है।
जो भी हो फ़िलहाल इस खबर से उन तमाम बिल्डरों में हडक़ंप मच गया है जिन्होंने प्लॉटों के सौदे तय करके पांच मंजिला फ्लैट निर्माण का काम हाथ में लिया हुआ है। उनकी घबराहट को ‘हूडा’ के चीफ अर्किटेक्ट के उस पत्र ने और भी बढ़ा दिया है जिसमें तमाम सम्बन्धित अधिकारियों से इस मामले पर जानकारी मांगी गयी है।